सावधान आपकी आवाज सुन रहे हैं ठग..! A I की मदद से हो रही ठगी .. एक साल में वॉइस क्लोनिंग का शिकार बना हर चौथा भारतीय

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साइबर ठग अब तक अपने शिकार से बैंक ओ.टी.पी. या फर्जी प्रोफाइल बनाकर पैसे मांगने जैसे तरीके से ठगी कर रहे थे लेकिन साइबर ठग अब नए ढंग से ठगी की वारदात को अंजाम देने में लगे हैं। आपके पास भी अगर कोई सगा संबंधी बनकर फोन करे और मदद के नाम पर रुपय मांगे तो आप सावधान हो जाएं। ए.आई. वॉयस क्लोनिंग के जरिए साइबर ठग हु-ब-हु आवाज निकाल कर आपके अपनों को कहीं फंसे होने का हवाला देकर या फिर अपहरण करने की बात कह कर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं।

ज्यादातर मामलों में साइबर ठग Artificial Intelligence की मदद से युवाओं की नकली आवाज तैयार कर उनके माता पिता को फोन करते हैं। बेटा है तो उनके बेटे को ये ठग पुलिस ने रेप के आरोप में गिरफ्तार करने या उनके बेटे और बेटी ने कोई दूसरा अपराध किया है। यह बताकर माता पिता से कहते हैं कि आप इस मामले को रफादफा कराना चाहते हैं तो उन्हें एक से पांच लाख रुपये तत्काल ऑनलाइन ट्रांसफर करने होंगे। जब तक यह पैसा ट्रांसफर नहीं हो जाता साइबर ठग फोन रखने नहीं देते फोन काटने नहीं देते। माता-पिता को विश्वास दिलाने के लिए साइबर उन्हें उनके ही बच्चों की नकली आवाज सुनते हैं। यह आवाज नकली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बनाई गई एक डीप फेक वॉइस होती है। यह असली आवाज से 90 से 95 फीसदी तक मेल खाती है। इसी वजह से जब माता-पिता फोन पर अपने ही बच्चों की आवाज सुनते हैं। वह बच्चे उनसे यह कहते हैं हमें बचा लीजिए। हमें किसी तरीके से यहां से छुड़ा लीजिए तो लोग विश्वास कर लेते और फिर अपराध का शिकार हो जाते हैं। यह साइबर अपराधी उनके बैंक अकाउंट को खाली कर देते हैं।

अब आवाज चुरा कर ठगी कर रहे ठग

आधुनिकता और सुविधा संपन्न जीवन कभी-कभी मुसीबत भी बन जाता है। मौजूदा समय में ए आई के विकास ने दुनिया को कई सुविधाएं प्रदान की हैं। लेकिन इसके साथ ही नए-नए खतरे भी सामने आ रहे हैं। इसमें सबसे अहम है वॉइस क्लोनिंग। ए आई के माध्यम से वॉइस क्लोनिंग का उपयोग कर ठगी करने वालों के लिए लोगों को शिकार बनना आसान हो गया है। जालसाज इस आधुनिक तकनीक का उपयोग हमारी आवाज की नकल पर परिजन और परिचितों से पैसा एंठ रहे हैं। उन्हें धोखा देने के लिए हमारी आवाज की क्लोनिंग का उपयोग किया जा रहा है। ओपन आई जैसी कंपनियां के प्लेटफार्म का उपयोग कर कोई भी 15 सेकंड के ऑडियो क्लिप को क्षण भर में किसी की भी आवाज की कॉपी बना सकता है। जिसके चलते ठगी का यह खेल दिन प्रतिदिन भयावाह स्तर तक बढ़ता जा रहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 2023 में 4 में से एक भारतीय के साथ वॉइस क्लोनिंग ठगी की गई। ठग सोशल मीडिया सोशल मीडिया फोन कॉल से लोगों की आवाज़ जमा करते हैं और पैसे मांगने के लिए इमरजेंसी का बहाना बनाया जाता है। घबराहट में परिजन ठगी करने वालों को राशि भी दे देते हैं। इस तरह के एक नहीं कई मामले पिछले दिनों सामने भी आ चुके हैं। रिपोर्ट बताती है कि यह भी खुलासा हुआ है कि सोशल मीडिया पर अकाउंट क्लोन कर मित्रों और रिश्तेदारों से पैसों की ठगी का रास्ता भी खुलता जा रहा है। अगर बचाना है तो हमें सोशल मीडिया अकाउंट की पुष्टि करना चाहिए मैसेज में जो गलतियां होती है। उनको चेक करना चाहिए इसके साथ ही अनचाही लिंक और ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक कभी नहीं करना चाहिए।

महंगा उपहार कार्ड मांगते हैं ठग

विशेषज्ञों की माने तो वॉइस क्लोनिंग चार तरीके से पहचानी जा सकती है। पहले यह की आवाज की पहचान है। इसमें रोबोट जैसी आवाज होती है। दूसरी बातचीत में जल्दीबाजी और हड़बड़ी का होना होता है। तीसरी एआई निर्मित कृत्रिम शोर इसके साथ ही पैसे या महंगा उपहार कार्ड ठग मांगते हैं। कोई अगर आपसे यह डिमांड कर तो आप सचेत हो जाएं।

83 फीसदी मामलों में लोग हो जाते हैं ठगी का शिकार

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश के हर छोटे बड़े शहरों गांवों तक लोगों के मोबाइल फोन पर इस तरह के वॉइस क्लोनिंग फोन आ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक करीब 83 फ़ीसदी मामलों में लोग इस तरह के ठगी का शिकार आसानी से हो जाते हैं। अब इस तरह की घटनाओं ने बहुत बड़ा और विशाल खतरनाक रूप रख लिया है। ठगी के ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। वहीं ए.आई. की मदद से हो रहे इस तरह के साइबर फ्रॉड को लेकर साइबर सैल की ओर से कई बार एडवायजरी भी जारी की जा चुकी है। इतना ही नहीं सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है जिससे लोग ऐसी ठगी से बच सके।

साइबर ठगों से इस तरह बचें

हो सकता है कि साइबर ठग सोशल मीडिया पर आपके फ्रेंड लिस्ट में छुपा कर बैठा हो और आपको पता भी ना चले। अगर ऐसे अपराधों से बचना है तो आप पांच चीजों का ध्यान रखें। सोशल मीडिया पर किसी अनजान व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट ना करें। सोशल मीडिया पर अपने और अपने परिवार से जुड़ी कम से कम जानकारी साझा करें। सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते समय सावधान रहे। कोई भी ऑडियो वीडियो सोशल मीडिया पर साझा ना करें। कॉलर आईडी पर सीबीआई सीआईडी क्राइम ब्रांच लिखा हो तो झांसे में ना आए। अगर कोई व्यक्ति आपसे फोन करके कहता है कि वह सीबीआई, क्राइम ब्रांच या पुलिस से है तो ऐसे मामलों में आप इन पर विश्वास मत कीजिए तुरंत साइबर क्राइम पुलिस की मदद लेना चाहिए। आप नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर सकते हैं।

परिचितों के बीच साझा करें कोड वर्ड

विशेषज्ञ बताते हैं कि एआई क्लोनिंग के खतरों से निपटना बहुत आसान है। कोई कोड वर्ड अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के बीच साझा कर के रखें। जब भी इस तरह का संदेश हो कॉलर की पहचान या उसकी पुष्टि के लिए कोड वर्ड का उपयोग किया जा सकता है। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि वॉइस से निपटने के लिए कोड वर्ड ही सबसे आसान और महत्वपूर्ण तरीका है। इसके उपयोग से ठगी करने वाले को आसानी से पकड़ा जा सकता है या ठगी का शिकार होने से बचा जा सकता है।

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