कोविड संकट टला लेकिन…?

हफ्ते भर में मर रहे हैं हजारों मरीज

बीते कई महीनों से देश में लगातार कोरोना के मरीज बढ़ रहे थे। कभी कम होते तो कभी बढ़ जाते थे। इसी बीच कई लोगों की जानें भी गई हैं। केरल और दिल्ली में संक्रमण का असर ज्यादा देखा गया है। फिर मई के महीने ने कुछ राहत दी और अचानक कोरोना का संक्रमण कम होने लगा और मरीजों की संख्या घटने लगी। मरीजों की घटती संख्या को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने राहत भरी घोषणा करते हुए कह दिया कि कोविड—19 अब वैश्विक आपातकाल की स्थिति में नहीं है। लेकिन….

हफ्ते भर में मर रहे हैं हजारों मरीज

वैश्विक महामारी का संकट टल गया है और डब्ल्यूएचओ ने भी इस आशय की घोषणा कर दी है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है हम पूरी तरह से आजाद हो गए है। बीमारी कम हुई लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुई इसलिए जरूरी है कि सावधानी लगातार बनाए रखें।संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि अभी भी सप्ताह में हजारों लोग कोरोना के कारण दम तोड़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा— “बड़ी उम्मीद के साथ मैं घोषित करता हूं कि कोविड-19 वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि वैश्विक स्वास्थ्य खतरे के रूप में कोविड-19 खत्म हो गया है।” साथ ही उन्होने आगाह करते हुए यह भी कह दिया कि वैश्विक स्वास्थ्य खतरे के रूप में कोविड-19 खत्म हो गया है,लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि हम सावधानी न रखें। बता दें कि अभी बीते रोज ही 24 घंटे में साढ़े तीन हजार से ज्यादा कोरोना के मरीज मिले हैं। कोरोना से बचाव के लिए सावधानी के तौर पर अभी भी मास्क,सेनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी है।

अब महामारी नहीं है कोरोना

डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 को आपातकाल की श्रेणी से हटाते हुए कहा कि वायरस, बीमारी और इसका संक्रमण अब आपातकालीन जैसी स्थिति के लायक नहीं है। इसके बाद यह तय हो गया है कि विनाशकारी कोरोना वायरस अब विश्व की महामारी नहीं है। बता दें कि एक समय ऐसा था जब कोरोना के बढ़ते मरीजों के बीच लॉकडाउन की स्थिति बनी और लगभग पूरा देश बंद रहा। परिणाम ये हुआ कि अर्थव्यवस्था डगमगा गई और लोगों के जीवन पर बुरा असर पड़ा। आम आदमी की आमदनी घटी और देश काफी संकट के दौर से गुजरा था।

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