मध्य प्रदेश में अब सभी को विधानसभा चुनाव परिणाम का इंतजार है। 3 दिसंबर को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरु हो जाएगी। सबकी नजर दिग्गजों की सीट पर है। कई सीटों पर इस बार बागियों के मैदान में होने से समीकरण गड़बड़ाए नजर आ रहे हैं। ग्वालियर-चंबल की बात करें तो बागियों के चलते यहां 12 सीट फंसी हुईं हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री सहित राज्य के मंत्रियों सहित दिग्गजों की सीट भी शामिल है। दरअसल ग्वालियर-चंबल के बागी कहीं कांग्रेस तो कहीं बीजेपी पर प्रचार के दौरान भारी पड़ते दिखे। अब परिणाम पर भी भारी पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
- ग्वालियर-चंबल अंचल में बागी बने परेशानी
- किसे मिलेगा बागी से बल,कौन बनेगा निर्बल
- बिगाड़ सकते हैं बीजेपी कांग्रेस के समीकरण
- बागी, जीतेंगे भले ही नहीं, पर हार की वजह बन सकते हैं
- ग्वालियर चंबल की 12 सीटों पर भारी पड़ रहे बागी
- फंस रहीं कांग्रेस की चार तो बीजेपी की 8 सीटें
- ज्यादातर दिग्गजों के लिए परेशानी का सबब बने बागी
- किसी ने बसपा के हाथी तो किसी सपा की साइकिल पकड़ी
बागियों के चलते केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अरविंद सिंह भदौरिया, सुरेश धाकड़, रघुराज कंसाना, बैजनाथ कुशवाहा, संजीव कुशवाहा, डॉ. गोविंद सिंह और लक्ष्मण सिंह की सीट के समीकरण गड़बड़ाए नजर आ रहे हैं। ज्यादातर दिग्गजों के लिए बागी परेशानी का सबब बने हुए है। हालांकि कुछ जगह दिग्गजों के लिए ये बागी उम्मीदवार चुनावी नैया पार करने का सहारा भी बन रहे हैं। बात करें दिमनी सीट की तो यहां बीजेपी से केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर मैदान में है। उनके सामने कांग्रेस विधायक रविन्द्र तोमर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन टिकट न मिलने से कांग्रेस के बलबीर दंडोतिया ने पार्टी छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया और वे बसपा के टिकिट पर चुनावी मैदान में है। ऐसे में वे कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकते हैं। वहीं गुना की सुमावली सीट पर कांग्रेस से टिकिट न मिलने के बाद कुलदीप सिकरवार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। कुलदीप कांग्रेस पर भारी पड़ सकते हैं। ग्वालियर जिले की डबरा सीट पर कांग्रेस से टिकिट न मिलने पर सत्यप्रकाशी परसेड़िया बसपा में शामिल हो गईं। अब वे बसपा के टिकिट पर चुनाव लड़ रही हैं। सत्यप्रकाशी कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचा सकतीं हैं।
8 सीट पर भाजपा को भारी पड़ेंगे ये बागी
ग्वालियर चंबल अंचल की 8 सीट ऐसी हैं जहां बीजेपी के बागी उस पर भारी पड़ सकते हैं। भले ही ये बागी चुनाव न जीत पाएं लेकिन परिणाम प्रभावित करने की ताकत जरुर रखते हैं। भिंड की बात करें तो बसपा विधायक संजीव कुशवाहा वैसे तो 2021 में बीजेपी में शामिल हो गए थे, लेकिन उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो वे ऐन चुनाव से पहले फिर बसपा में लौट गए। बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा। ऐसे में वे बीजेपी पर भारी पड़ सकते हैं। उधर लहार सीट पर टिकट न मिलने से बीजेपी के कद्दावर नेता रसाल सिंह भी नाराज होकर बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे,जो बीजेपी के लिए घातक हो सकते हैं। भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट पर चुनाव में बीजेपी के मुन्नासिंह भदौरिया ने टिकट न मिलने पर समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी करते नजर आए। अब वे शिवराज कैबिनेट में शामिल मंत्री और अटेर से बीजेपी प्रत्याशी अरविंद भदौरिया पर भारी पड़ते दिख रहे हैं।
मुरैना में बीजेपी को परेशान कर सकती है पिता पुत्र की जोड़ी
कोलारस विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक रहे वीरेन्द्र रघुवंशी ने चुनाव से पहले पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। हालांकि कांग्रेस ने भी उन्हें मैदान में नहीं उतारा लेकिन वीरेंद्र रघुवंशी बीजेपी पर भारी पड़ सकते हैं। गुना की चाचौड़ा सीट पर बीजेपी की पूर्व विधायक ममता मीणा ने आम आदमी पार्टी की झाडू थाम ली और आप के टिकिट पर चुनाव लड़ीं। वे बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचा सकतीं हैं। श्योपुर सीट पर भी बीजेपी के बिहारी सोलंकी इस बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। वे बीजेपी के लिए घातक साबित हो सकते हैं। मुरैना विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर बीजेपी के पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह इस बार बसपा में शामिल हो गए और बेटे राकेेश सिंह को टिकट दिलाकर हाथी पर सवार होकर चुनाव में वोट मांगे, ये पिता पुत्र की जोड़ी मुरैना में बीजेपी उम्मीदवार के लिए भारी पड सकती है। कांग्रेस दावा कर रही है कि ग्वालियर चंबल अंचल की 8 सीटों पर बागी उम्मीदवार बीजेपी के कई दिग्गजों की नैया डुबोने वाले हैं।