Chhattisgarh Bhupesh Sarkar:दिल्ली सरकार की तरह छत्तीसगढ़ में भी सरकार और राज्यपाल अनुसुइया उइके के बीच सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। सरकार और राज्यपाल के बीच आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर अघोषित जंग सी छिड़ गई है। ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर आरक्षण संशोधन विधेयकों को मंजूरी देने में कथित देरी को लेकर राज्यपाल पर संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और बघेल ने सवाल किया कि विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए क्या वह किसी ‘मुहूर्त’ का इंतजार कर रही हैं।
- राज्यपाल और राज्य सरकार में अनबन
- विस ने पारित किया था आरक्षण संशोधन विधेयक
- विधेयक को राज्यपाल से नहीं मिली अनुमति
- राज्यपाल ने नहीं किये अब तक विधेयक पर हस्ताक्षर
बता दें मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी से एक दिन पहले राज्यपाल अनुसुइया उइके ने आरक्षण संशोधन विधेयकों की मंजूरी से जुड़े सवालों पर कहा था कि अब मार्च तक इंतजार कीजिए। दरअसल राज्य विधानसभा की ओर से पारित आरक्षण विधेयकों पर राज्यपाल की सहमति में कथित देरी को लेकर दिसंबर से ही राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं ने राज्यपाल से आरक्षण विधेयकों पर उनकी सहमति को लेकर सवाल किया था। तब राज्यपाल ने कहा था कि अब इंतजार करिए मार्च का।
मुहूर्त देख रहीं हैं राज्यपाल—भूपेश
वहीं राज्यपाल पर लगातार निशाना साध रहे सीएम बघेल ने उनके एक पंक्ति के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की। मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों से चर्चा के दौरान कहा मार्च तक क्यों इंतजार करना चाहिए? क्या वह मुहूर्त देख रही हैं? यहां सब परीक्षाएं हो रही हैं। बच्चों को एडमिशन लेना है। व्यापमं की परीक्षाएं होनी हैं। पुलिस में भर्ती होनी है। शिक्षकों की भर्ती होनी है। स्वास्थ्य विभाग में भर्ती होनी है।ये सभी भर्तियां रुकी हुईं हैं और वह रोके बैठी हैं।
‘संविधान में मिले अधिकारों का दुरुपयोग’
सीएम भूपेश बघेल यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा यह संविधान में प्राप्त अधिकारों को दुरुपयोग है। मार्च में ऐसा कौन का मुहूर्त निकलने वाला है। जिसमें वे विधेयक को मंजूरी देंगी। आरक्षण संशोधन विधेयक तो दिसंबर में पास हुआ है और अब तक वह रोके हुए बैठी हैं। भारतीय जनता पार्टी चुप है। भाजपा के इशारे पर इसे रोका जा रहा है। यह प्रदेश के युवाओं के साथ अन्याय है।
दिसंबर में पारित हुआ था संशोधन विधेयक
बता दें छत्तीसगढ़ विधानसभा में दो दिसंबर 2022 को छत्तीसगढ़ लोक सेवा यानी अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्थान प्रवेश में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 पारित किये गये थे। इनमें कांग्रेस की भूपेश सरकार ने राज्य में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक में राज्य में आरक्षण का कुल कोटा 76 फीसदी रखा गया है। विधानसभा में विधेयकों के पारित होने के बाद उन्हें राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन भेजा गया। उस समय राजभवन ने राज्य सरकार से दस सवाल किए थे। जिसका जवाब भी राज्य सरकार दे चुकी है।
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