विपक्ष के लिए नुकसानदायक सावित हो सकता है ‘लोकार्पण विवाद’!

सरकार को घेरने के लिए बनाई रणनीति

नए संसद भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री नहीं बल्कि राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए। इसी मांग पर विपक्ष अड़ा हुआ है। इस मुद्दे पर विपक्ष खूब राजनीति कर रहा है। कांग्रेस की तरफ से उठाई गई इस मांग का समर्थन तमाम भाजपा विरोधी दल भी कर रहे हैं। यही कारण है कि अब तक करीब दो दर्जन दलों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का एलान कर दिया है। भले ही विपक्ष को लगता हो कि इस मुद्दे से उसे कोई राजनैतिक लाभ मिलेगा लेकिन जिस तरह की परिस्थितयां बन रही हैं उनको देखते हुए जानकार मानते हैं कि दांव उल्टा भी पड़ सकता है।

सरकार को घेरने के लिए बनाई रणनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नये संसदीय परिसर का लोकार्पण करेंगे। संसद के अंदर सियासी चौसर तो बाद में बिछेंगे मगर संसद के बाहर नये संसद भवन के उद्घाटन का मुद्दा सियासी अखाड़े में तब्दील होता जा रहा है। एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी समेत लगभग दो दर्जन विपक्षी दलों ने न्यौते को नकार दिया है, वहीं भाजपा और साथी दलों ने आयोजन को खूब धूमधड़ाके के साथ आयोजित करने में जुटे हैं। विपक्षी शह और मात के खेल में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की इंट्री तब हुई जब कांग्रेस पार्टी को इस बात का भान हो गया कि वीर सावरकार के जन्मदिन पर नये संसद भवन के उद्घाटन का विरोध किया जाएगा तो महाराष्ट्र में शिवसेना और राकांपा साथी दल बिदक जाएंगे। सो,विवाद इस बात पर शुरू कर दिया गया कि प्रधानमंत्री नहीं संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों सुनिश्चित होना चाहिए।

आदिवासी वोट पर है नजर

द्रोपदी मुर्मू के आदिवासी होने का कार्ड विपक्षी दलों की ओर से जमकर खेला जाने लगा। ये मुद्दा अन्य विपक्षी दलों को भी सूट कर गया। लिहाजा, वीर सावरकर के जन्मदिन पर उद्घाटन का सीधा विरोध करने के बजाय प्रधानमंत्री नहीं महिला आदिवासी राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन के मुद्दे को धार दी गई। इस बीच केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने विपक्ष के उन आरोपों की हवा निकाल दी कि प्रधानमंत्री संसद भवन का उद्घाटन क्यों कर रहे? केंद्रीय मंत्री ने उदाहरण देकर बता दिया कि पूर्व में बतौर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी संसदीय परिसर के अलग अलग भवनों का उद्घाटन करते रहे हैं। बताया ये भी गया कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नये संसद भवन के उद्घाटन का आग्रह किया था।

इसलिए विपक्ष की बढ़ सकती है मुसीवत

सियासी चौपाल पर कई बार फेंके जाने वाला दांव उल्टा भी पड़ जाता है। नए संसद भवन का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से कराए जाने की मांग पर अड़ रहे विपक्ष के लिए आने वाले समय में दिक्कतें बढ़ सकती हैं। वजह ये है कि यदि आम लोगों में इस बात का संदेश चला गया कि राष्ट्रपति के बहाने विपक्ष वीर सावरकर का विरोध कर रहा है तो मुश्किलें बढ़ना तय है। जानकारों का मानना है कि यदि इस संदेश को जन जन तक पहुंचाने में भाजपा कामयाब हो गई तो मानकर चलिए कि महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना जैसे दलों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। महाराष्ट्र में वीर सावरकर को मानने वालों की बहुत बड़ी संख्या है। इसलिए यह माना जा रहा है कि विपक्ष का यह दांव उल्टा पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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