लोकसभा चुनाव 2024 में दिल्ली की सभी सात सीटों पर मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन को भले ही नकार दिया हो, लेकिन लोकसभा के चुनाव ने कांग्रेस के लिए दिल्ली में खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने के संकेत भी दिए हैं। दिल्ली की आतिशी सरकार और पार्टी संगठन के नेताओं का ज्यों-ज्यों विवादों से नाता बढ़ता जा रहा है, दिल्ली की जनता को शीला दीक्षित सरकार के कामकाज भी याद आने लगे हैं।
ऐसे में दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र यादव के नेतृत्व में पार्टी दिल्ली में अपनी खोई राजनीतिक जमीन वापस पाने के लिए पूरी कोशिशें कर रही है। 8 नवंबर को राजघाट से कांग्रेस की ओर से ‘दिल्ली न्याय यात्रा’ की शुरुआत की गई थी। एक महीने तक दिल्ली की विभिन्न गलियों और चौक चौराहो की खाक छानने के बाद शनिवार 7 दिसंबर को रोहिणी में यात्रा समाप्त हो गई।
न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस नेताओं ने जगह-जगह क्षेत्र के लोगों से चर्चा की। बातचीत के मुद्दे समझने की कोशिश की। यह भी समझने की भी कोशिश की कि वर्तमान समय में दिल्ली की सियासत में कितनी संभावनाएं मौजूद हैं। इसका विधानसभा के चुनावों पर कितना असर होगा, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन इतना अवश्य कह सकते हैं कि शीला दीक्षित युग की समाप्ति के बाद कांग्रेस पार्टी ने पहली बार देश की राजधानी दिल्ली में अपनी उपस्थिति का एहसास कराने में सफलता पाई है।
इस न्याय यात्रा में सभी 70 विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह लोगों की भीड़ उमड़ी, उसने एक बात तो साबित कर दी है कि इन्हीं मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग आज भी कांग्रेस के आकर्षण से बंधा हुआ है। यदि कांग्रेस के नेता और नेतृत्व सही तरीके से इन मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने और बूथ तक पहुंचाने की कोशिश करे तो कांग्रेस न केवल इन्हें अपने साथ लाने में कामयाब हो सकती है, बल्कि वह लड़ाई में वापस भी आ सकती है। दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव की मेहनत ने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में पहली बार यह भरोसा भी पैदा किया है कि कांग्रेस चुनावी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।
इसलिए आ रही दिल्लीवासियों को शीला दीक्षित सरकार की याद
दिल्ली के रहवासी पार्क, मेट्रो और बस अडडे- स्टेशन पर अब चर्चा करते सुने जा सकते हैं कि अगर सब कुछ ठीक होता तो आप आदमी पार्टी के नेताओं की जेल यात्रा क्यों होती, क्यों केजरीवाल को कुर्सी छोड़ना पड़ा। आम आदमी पार्टी के लिए ऐसा सोचते हुए दिल्लीवासी अनायास ही कांग्रेस की पूर्ववर्ती शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल और कांग्रेस सरकार की ओर से कराए गए दिल्ली के विकास को भी याद करने लगते हैं। दरअसल दिल्ली की जर्जर सड़कों और अधिकांश सड़कों पर हर समय रहने वाले जाम, सड़क पर ई रिक्शा की भीड़ तो फुटपाथ पर रेहड़ी खोमचे वालों का अतिक्रमण देख कर दशकों से दिल्ली में रहते आ रहे लोग जब-तब गुस्से में नजर आने लगे हैं। दिल्लीवासियों की नाराजगी इसे लेकर भी है कि मध्यमवर्गीय परिवार टैक्स तो अदा करता है, लेकिन योजना का लाभ दिल्ली में बसते जा रहे प्रवासी श्रमिक वर्ग को ही मिल रहा है,उसे नहीं। इस तरह की समस्याएं चूंकि कांग्रेस के कार्यकाल में नहीं थीं, लिहाजा दिल्ली के रहवासियों को अब कांग्रेस के शासन याद आने लगी है।
(प्रकाश कुमार पांडेय)