बंगाली और गैर बंगाली में उलझा हार जीत का समीकरण
लोकसभा चुनावों में बंगाल वो राज्य है जिसमें इंडिया गठबंधन से अलग टीएमसी बीजेपी को सीधी टक्कर दे रही है। बंगाल विधानसभा चुनावों के समय से ही बंगाली औऱ गैर बंगाली का मुद्दा जनता के बीच आ चुका था। अब अटकलें है कि लोकसभा चुनाव में ये बड़ा मुद्दा बनेगा। राजनैतिक जानकार मानते हैं कि लोकसभा चुनावों में इसी को मुद्दा बनाकर बीजेपी टीएमसी को टक्कर देगी। क्योंकि लोकसभा की कई ऐसी सीटें है जिसपर हिंदी भाषी वोटर हार और जीत को तय करता है।
हिंदी भाषी वोटर को साधने की कोशिश
बंगाल में ममता बेनर्जी को टक्कर देने के लिए बीजेपी नान बंगाली वोटर को साधने में जुटी है। हांलाकि टीएमसी दावा कर रही है कि टीएमसी बंगाली और नान बंगाली को लेकर कोई भेदभाव नहीं ऱखा है। टीएमसी के लिए जिस तरह से बंगाली वोटर जरूरी है उसी तरह नान बंगाली वोटर भी। वहीं जानकार मानते है कि अगर बीजेपी हिंदी भाषी या नान बंगाली वोटर को साधन में सफल रही तो टीएमसी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व के साथ अगर हिदीं भाषी वोटर गया तो राम मंदिर सीएए और ज्ञानवापी के अलावा संदेश खाली जैसे मुद्दे भी हिंदी भाषी वोटर को एक साथ ला सकते है। ऐसी हालत में लोकसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है।
कई सीटों पर हिंदी भाषी वोटर का दबदबा
बंगाल की कई सीटों पर हिंदी भाषी वोटरों को दबदबा है। कहा जा सकता है कि इन सीटों पर हिंदीभाषी वोटर ही निर्णायक भूमिका में होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक कलकत्ता, सिलगुडी, आसनसोल,दुर्गापुर, पूरूलिया, खडगपुर, और 24 परगना ये वो जिले हैं जिन पर हिंद भाषी वोटर ज्यादा है । यही कारण है कि टीएमसी, बीजेपी और कांग्रेस तीनों ही इन सीटों पर अपने अपने ढंग से समीकरण साधने में लगी है।
टीएमसी बने रहना चाहती है सबसे बड़ा दल
टीएमसी की सत्ता तो पश्चिम बंगाल में है ही लेकिन अब लोकसभा चुनाव में भी वो सबसे बड़े दल का तमगा अपने पास रखना चाहती है। 2019के लोकसभा चुनावों में टीएमसी को 22 सीटें मिली थी और बीजेपी को 18 वहीं कांग्रेस के खाते में केवल दो सीटें आई। अब टीएमसी इस आंकडे को तीस से ज्यादा ले जाना चाहती है। वहीं इंडिया गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने पर भी टीएमसी को उम्मीद है की उसकी झोली में ज्यादा सीटें आऐगी। वहीं बंगाल में बीजेपी विधानसभा चुनावों में मजबत विपक्ष बनकर उभरी थी, अब देखना होगा कि बंगाली और गैर बंगाली के मुद्दे के आने के बाद लोकसभा में कौन सा दल सबसे ज्यादा सीटें पाता है।