यूपी में लोकसभा की 80 में से 65-70 सीटों पर जीत का दम भरने वाली बीजेपी को 33 सीट ही मिल सकी है। ऐसे में बीजेपी इस सबसे बड़े राज्य में हार का कारण तलाशने में जुटी है। बंद लिफाफे में मांगे गए भितरघात के सबूत मांगे जा रहे है। यूपी में अब BJP के खराब प्रदर्शन की वजह ढूंढी जा रही है। पार्टी ने फैसला किया है कि एक एक सीट पर हार की समीक्षा की जाएगी। उन्नाव से सांसद चुने गये साक्षी महाराज से लेकर बांदा से चुनाव में हार का सामना करने वाले आर के पटेल तक सभी ने शिकायत की है।
- बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने पूछे हार के कारण
- संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह भी चौधरी के साथ मौजूद
- यूपी बीजेपी में समीक्षा बैठकों का दौर शुरू
- एक-एक सीट पर की जाएगी रही हार की समीक्षा
- पहले अवध क्षेत्र की हारी हुई 9 सीटों के प्रत्याशियों को किया तलब
- अवध क्षेत्र की बाराबंकी, सीतापुर, खीरी, श्रावस्ती
- मोहनलालगंज, रायबरेली, फैजाबाद, अंबेडकरनगर और धौरहरा में मिली हार
- हर सीट की विस्तार से की जा रही समीक्षा
- 44 सीटों पर हार को लेकर कर रही मंथन
- बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिली यूपी की 29 सीटों पर हार
- बीजेपी के 26 मौजूदा सांसद चुनाव हारे
- बीजेपी को यूपी की 80 में से 33 सीट पर ही जीत मिली
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने बैठक शुरु की है। हारी हुई एक-एक सीट पर हार की समीक्षा की जाएगी। समीक्षा के लिए पार्टी ने सबसे पहले अवध क्षेत्र की हारे हुई 9 सीटों के प्रत्याशियों को बुलाया। बता दें उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के चुनाव के दौरान खराब प्रदर्शन को लेकर समीक्षा बैठकें शुरू हो गईं हैं। चुनाव के नतीजे आने के बाद पार्टी के कुछ उम्मीदवारों ने प्रदेश नेतृत्व से भितरघात को लेकर गंभीर शिकायत की थी। पार्टी ने ऐसे नेताओं से उस समय लिखित में शिकायत भेजने को कहा था। इसके बाद कुछ उम्मीदवारों ने बंद लिफाफे में सबूत समेत हार के कारणों का खुलासा भी किया। इसके बाद नए सिरे से अब समीक्षा का दौर शुरू किया गया है। बता दें बीजेपी को इस बार के लोकसभा चुनाव में यूपी की 29 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इनमें से 26 में तो बीजेपी के मौजूदा सांसद हैं। इस बार बीजेपी यूपी की 80 में से 33 सीटें ही जीत पाई है।
बीजेपी की टीम करेगी हार की जमीनी पड़ताल
बीजेपी लोकसभा की हारी हुई इन 44 सीटों पर पार्टी के पदाधिकरियों को भेजगी। इसके लिये प्रदेश पदाधिकारी के साथ पूर्व विधायक और मौजूदा विधायकों की एक टीम बनाई जा रही है। यह टीम हारे हुई लोकसभा क्षेत्रों में पहुंचेगी और वहां जमीनी पड़ताल करेगी। इस दौरान टीम यह जानने की कोशिश करेगी कि आखिर हार की मुख्य वजह क्या रही है?
पार्टी को अपनों ने ही मिलकर हराया
बता दें बीजेपी के चुनाव जीतने वाले और कुछ हारने वाले उम्मीदवारों ने पार्टी नेताओं की भितरघात को अपनी हार या वोटों की लीड कम होने की सबसे बड़ी वजह बताया था। बता दें हारने वालों में कई बड़े चेहरे शामिल हैं। यूपी की मोहनलाल गंज सुरक्षित सीट से मोदी सरकार में मंत्री रहे कौशल किशोर को इस बार हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने बैठक में कहा पार्टी को अपनों ने ही मिलकर हराया है। साथ ही यह भी कहा कि कांग्रेस की ओर फैलाई गई संविधान और आरक्षण खत्म होने की अफवाह का भी असर रहा। उन्नाव से सांसद चुने गये साक्षी महाराज से लेकर बांदा से चुनाव में हार का सामना करने वाले आर के पटेल तक सभी ने यही शिकायत की है। बता दें कि इस बार के चुनाव में बीजेपी ने 400 पार का नारा दिया था। चुनाव के दौरान बीजेपी ने यह दावा भी किया था कि एनडीए की सीटों की संख्या बढ़कर 400 से अधिक होगी। लेकिन जब चुनाव के परिणाम आए तो यूपी सहित कई राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। ऐसे में अब पार्टी ने अपनी हार की समीक्षा शुरू की है।