China Zero Covid Policy:चीन ने भारी विरोध प्रदर्शन का सामना करने के बाद अपनी शून्य कोविड नीति में बदलाव किया है। प्रतिबंध कम करने की दिशा में कदम उठाए जाने लगे हैं। पहले कम प्रभावित इलाकों से पाबंदी हटाई जा रही है। बीजिंग में कोरोना की जांच करने वाले बूथों को हटाया गया है। जहां लोगों ने खुशी जताई। वहीं शेनझेंग शहर में अब यात्रा के लिए कोरोना टेस्ट रिपोर्ट दिखाने की जरूरत भी खत्म कर दी गई है। इन सब के बीच वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। जो चीन के साथ ही एक बार फिर दुनिया को डरा सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन में सभी छूट देने पर न सिर्फ कोरोना संक्रमण फिर बढे़गा बल्कि देश में मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ेगा।
बता दें दक्षिण पश्चिमी ग्वांग्शी क्षेत्र में रोग नियंत्रण केंद्र के प्रमुख झोउ जियातोंग ने पिछले महीने शंघाई जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा था कि चीन पूरी तरह से कोरोना प्रतिबंध हटाता है तो वहां फिर से लाशों की ढेर लग जाएगा। इस छूट से 20 लाख लोगों की जान जा सकती है। इतना ही नहीं चीन की अर्थव्यवस्था भी धाराशायी हो सकती है।
दरअसल सख्त लॉकडाउन के विरोध के बाद चीन के शीर्ष औद्योगिक और व्यावसायिक केंद्र ग्वांगझू के कुछ क्षेत्रों में अस्थायी प्रतिबंध हटा दिए हैं। जो लोग कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आए उन्हें अस्थायी आश्रयों के बजाय उनके घर पर ही क्वारंटीन किया जा रहा है। जिससे चिंता बढ़ गई है। इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि कोरोना प्रतिबंधों में पूरी तरह से ढील देने के बाद संक्रमितों की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि होगी। वैज्ञानिकों के अनुसार पूर्णतया छूट देने के कुछ दिन बाद 23.3 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं।
चीन में अब तक 30 हजार से अधिक लोगों की मौत
आंकड़ों पर गौर करे तो कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक चीन में 97 लाख 13 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं वहीं इस दौरान करीब 30 हजार 388 लोगों की मौत हुई है। पिछले 24 घंटों में चीन में 22 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं, इसके बाद भी वहां दी जा रही छील दुनया को डरा रही है।
चीन में हाइब्रिड इम्युनिटी की कमी
ब्रिटिश वैज्ञानिक सूचना और एनालिटिक्स कंपनी एयरफिनिटी का कहना है कि चीन में टीकाकरण की कमी है हाइब्रिड इम्युनिटी की भी कमी है। इसके बाद भी चीन अपनी शून्य सीओवीआईडी नीति को हटाता है तो करीब 13 से लेकर 21 लाख लोगों की मौत हो सकती है। बता दें चीन में जनसंख्या के अनुपात में कोरोना टीकाकरण की गति बहुत धीमी है। इसलिए थोड़ी भी ढील घातक साबित हो सकती है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग की माने तो चीन में 80 वर्ष से अधिक उम्र के केवल 66 फीसदी लोगों को ही कोविड 19 रोधी टीका लगा है। जबकि इस आयु वर्ग के सिर्फ 40 प्रतिशत लोगों को बूस्टर खुराक दी गई।
अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही
कोरोना ने चीन की अर्थ व्यवस्था पर बुरा प्रभाव डाला है। ब्रॉकर फर्म सूची सिक्योरिटीज के अनुसार चीन में कोरोना टेस्टिंग पर इस वर्ष जीडीपी का 1.5 फीसदी खर्च हो चुका है। कोविड की जांच बहुत महंगी है। हालात ये हैं कि केवल पहली छमाही में 35 कंपनियों ने 1.70 लाख करोड़ रुपये लोगों से कमाए हैं, ऐसे में एक बार फिर वहां कोरोना संक्रमण बढ़ता है तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं।