वह दिन दूर नहीं जब ऑनलाइन पैदा होंगे बच्चे….! क्योंकि कपल्स मोबाइल पर रोमांटिक बातें करके ही हो जाते हैं खुश !…जानें भाजपा सांसद ने आखिर क्यों कही ये बात?

Children will be born online says BJP MP Janardan Mishra

अपने अटपटे बयान और कार्यशैली के चलते सुर्खियों में रहने वाले मध्यप्रदेश के रीवा से बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा ने एक ऐसा बयान दिया है। जिससे वे एक बार फिर चर्चा में आ गए है।

दरअसल रीवा के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सांसद मिश्रा ने बढ़ते ऑनलाइन के चलन को लेकर कहा आजकल तो अब शादियां भी ऑनलाइन होने लगी हैं। वे तो सोचते हैं कि आने वाले 50 से 60 साल बाद शायद बच्चे भी ऑनलाइन पैदा होने लगेंगे। सासंद यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा ऑनलाइन पैदा होने वाले बच्चे कैसे होंगे? क्या वे स्टील के होगा या फिर हाड मांस के होंगे?’

भाजपा सांसद ने तकनीक पर लोगों की बढ़ती निर्भरता को लेकर उन्होंने इसके कारण तकनीक के दूसरे पहलुओं को समझाने की कोशिश की और एक सवाल के इस बार पर जोर देते हुए कहा बेशक आज के दौर में हम तकनीक से जुड़े रहें लेकिन मानवीय पहलुओं को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।

रीवा के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान उन्होंने मानवता के साथ सौहार्द और व्यक्तिगत सामाजिक संपर्क बनाए रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया। सांसद ने कहा मौजूदा दौर में लोगों की निर्भता मोबाइल फोन और दूसरी डिवाइस पर निर्भरता काफी बढ़ गई है। आजकल दंपती एक साथ एक कमरे में होते हुए भी डिवाइज के माध्यम से एक दूसरे से बात करते हैं।

ऐसे लोगों के प्रति चुटकी लेत हुए सांसद जनार्दन मिश्रा ने कहा उन्होंने किसी का बेडरूम नहीं देखा है। लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग करने वाले विद्यार्थियों से इस का समाधान तलाशने को कहा है। जिससे ​कि लोगों के जीवन में तकनीक के इतने अधिक उपयोग को किसी तरह से कम किया जा सके। सांसद ने कहा यह आधुनिक तकनीक लोगों के जीवन में खुद को तेजी से स्थापित कर रही है।

कपल्स केवल रोमांटिक बातचीत से ही हो जाते है खुश

भाजपा सांसद मिश्रा ने कहा कि आज के आधुनिक दौर के कपल्स दंपती मोबाइल पर रोमांटिक बातें करके ही खुश हो जाते हैं। अब तक भारत में भी शादियां ऑनलाइन होने लगी हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या आने वाले दिनों में बच्चे भी ऑनलाइन ही पैदा होंगे? क्योंकि लोग डिवाइस पर निर्भर होते जा रहे हैं।

मोबाइल पर लोगों की बढ़ती निर्भरता के दूसरे पहलू को उजागर करने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा सामाजिक मूल्यों को संरक्षित करना आज की एक बड़ी जिम्मेदारी है और इसे हमारे युवाओं को संभालनना होगी। महाविद्यालय के विद्यार्थियों और शोध करने वालों के चलते आज के दौर में डिवाइस पर ज्यादा निर्भरता एक बड़ी चुनौती है।

प्रकाश कुमार पांडेय

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