देश भर में आज नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जा रही है। मान्यता के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को इस त्यौहार को मनाया जाता है। पूराणों में इसे नरक चौदस, रूप चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। कहा जाता है इस दिन यमराज के लिए दीपक जलाए जाने का विधान है। मान्यता है कि छोटी दिवाली पर दीपक जलाने से हर तरह का भय समाप्त हो जाता है। परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है। बतड़ी दिवाली के दिन जहां माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। वहीं छोटी दिवाली के दिन यमदेव की पूजा की जाती है। आज के दिन पूजा के लिए शुभमुहूर्त दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरु होगा जो चतुर्दशी तिथि पर 12 नवंबर को दिन में 2 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा। मान्यता के अनुसार अभ्यांग स्नान मुहूर्त 12 नवंबर की सुबह 5 बजकर 28 मिनट से शुरु होकर 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
शुभ मुहूर्त में ही करें इस दिन विशेष पूजा
ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण, श्री हनुमान, यमदेव और मां काली का पूजन किया जाता है। नरक चतुर्दशी पर ईशान कोण जिसे उत्तर पूर्व दिशा कहा जाता है उस तरफ मुख करके पूजन करना चाहिए। पूजा के मुहूर्त में एक चौकी पर पंचदेवों जिनमें श्रीगणेश के साथ मां दुर्गा, शिव, श्री विष्णु और सूर्यदेव की स्थापना करना चाहिए। इसके बाद इन पंचदेवों को गंगा जल से स्नान कराएं। रोली, चंदन से तिलक कर उन्हें धूप, दीप और फूल अर्पित करें। साथ ही पंचदेवों के आवहन मंत्रों का भी जाप करें। सभी देवों को जनेऊ के साथ कलावा, वस्त्र और नैवेद्य का अर्पित करें। इसके बाद पंचदेवों के मंत्रों और स्तुति का पाठ करें। पंचदेवों की पूजन का समापन आरती के साथ करें। साथ ही पूजन के बाद आज के दिन यम दीपक जलाएं। मान्यता है कि आटे से बना चौमुखा दीपक घर के बाहर चौखट पर जलाया जाता है। इसके यह भी मान्यता है कि आज छोटी दिवाली के दिन प्रदोष काल में दीपक जलाने से घर से दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है।
इस लिए कहा जाता है छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी
अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहते हैं। दरअसल इसके पीछे भी एक वजह है। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। ये नरकासुर वही था जिसके बंदी गृह में करीब 16 हजार से ज्यादा महिलाएं कैद थीं। जिन्हें भगवान श्री कृष्ण ने मुक्ति दिलाई थी। इसके बाद से ही छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली, रूप चौदस का त्योहार भी मनाते है।
रविवार को मनाई जाएगी दीपावली, होगी मां लक्ष्मी की पूजा
5 दिनी दीपोत्सव का प्रधान त्योहार दीपावली है। इस बार दीपावली का त्योहार हम सभी देशवासी 12 नवम्बर रविवार को मनाएंगे। दीपावली का त्योहार मनाने के कई कारणों में एक प्रमुख और पहला कारण यह है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम कार्तिक कृष्ण अमावस्या की तिथि पर 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे थे। वहीं कृष्ण भक्तों की मान्यता यह है कि द्वापर युग में जब भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर नरकासुर का वध किया था। इसलिए दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। देवी के उपासक इसे समुद्र मंथन से जोड़ते हैं। कार्तिक कृषण अमावस्या पर देवी लक्ष्मी कमला का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन श्री महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपावली के दिन श्री महालक्ष्मी का पूजन, दीप प्रज्वलन, श्री महाकाली पूजन के साथ नए बही खाते और कलम दवात की पूजा की जाती है। दीपावली पर मुख्य रुप से प्रदोषकाल में श्री महालक्ष्मी की पूजन का विधान है। वृषभ एवं सिंह लग्न में पूजन करने की परम्परा है।