छत्तीसगढ़ को कांग्रेस अभेद गढ़ बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। कांग्रेस नहीं चाहती कि यहां भाजपा का किसी भी तरह का दखल रहे। इसके लिए जो भी करना पड़े कांग्रेस करेगी। इसकी तैयारी भी बैठकों में दिखाई देने लगी है। पार्टी को मजबूत करने के लिए कुछ विधायकों की छुट्टी करना हो या प्रदेश में दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाना हो तो वो भी करेंगे। लेकिन हर हाल में कांग्रेस की वापसी होना ही चाहिए। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री पद पर बिठाकर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जहां सरकार में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने चेक एंड बैलेंस की रणनीति अपनायी है, वहीं अब सांगठनिक रूप से छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भी कसने का काम शुरू हो गया है। पीसीसी की टीम बडी की जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति का फार्मूला तैयार किया गया है। आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ एक सतनामी और एक पिछडे को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। आधा दर्जन संभावित नामों पर विचार भी हुआ है।
इस तरह होगी संगठन की ओवरहॉलिंग
इसी के साथ सचिवों और संयुक्त महामंत्री के पद पर अपेक्षाकृत युवा नेताओं को तरजीह देकर चुनाव के पहले संगठन की ओवरहॉलिंग किया जाना प्रस्तावित है। संगठन में काम कर रहे पदाधिकारी अगर टिकट लेकर चुनावी मैदान में उतरने का मन बना रहे हैं तो उन्हें पहले अपने पद से इस्तीफा देना होगा। ये ही फार्मूला निगम, मंडल और आयोगों में एडजस्ट किये गये नेताओं पर लागू किया जाएगा। एक ही नेता पदाधिकारी रहे या निगम मंडल में रहे वही टिकटार्थी भी हो, इस बार की इसकी संभावना कम है।
सर्वे रिपोर्ट पर चले तो कटेंगे 40 विधायकों के टिकट
एआईसीसी की ओर से अभी तक जिताऊ उम्मीदवार की खोज के लिए दो गुप्त सर्वे किये जा चुके हैं। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि सर्वे के आधार पर 40 फीसदी विधायकों के टिकट काटे जाने प्रस्तावित हैं। दोबारा सत्ता में आना है तो नेतृत्व कडे निर्णय लेने होंगे। प्रत्याशियों की छंटनी प्रक्रिया राज्य की स्क्रीनिंग कमेटी बनते ही शुरू कर दी जाएगी। सर्वे के आधार पर तैयार किये गये प्रत्याशियों का डाटा प्रभारी कुमारी सैलजा को दिया गया है ताकि वो भी सूबे में दौरे के दौरान जमीनी हकीकत के आधार पर नेतृत्व को अपनी राय भी दे सकें। सूत्रों ने बताया कि पीसीसी में नियुक्ति के साथ ही प्रदेश चुनाव अभियान समिति की घोषणा कर दी जाएगी। कांग्रेस नेतृत्व की कोशिश रहेगी कि नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले छत्तीसगढ में प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाए ताकि दमदारी से चुनाव लडने और असंतुष्ट नेताओं को लाइन पर लाने का संबंधित प्रत्याशी को पूरा समय मिल सके।