छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लगातार कोशिशों के बाद भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को हटाये जाने को लेकर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कोई जल्दबाजी में नहीं है। ये बात अलग है कि मरकाम को लेकर ‘अब गये.. अब गये’ वाली खबरें मीडिया में लगातार प्रमुखता पाती रही हैं, लेकिन उनकी सांगठनिक उदासीनता को लेकर जरूर आलाकमान में भी चिंता है। एआईसीसी के शतप्रतिशत वरिष्ठ नेताओं की आशा छत्तीसगढ़ से जुड़ी है। सभी का मानना है कि छत्तीसगढ़ में दोबारा कांग्रेस पार्टी सत्ता में आ सकती है, लेकिन उस दिशा में प्रदेश कांग्रेस कमेटी जोरदार प्रयास करती नहीं दिख रही है। न तो कोई प्रोग्राम है, न ही राज्य की भूपेश सरकार के कार्यों के प्रचार को लेकर कोई योजना। ऐसा क्यों है? आखिर क्यों मोहन मरकाम रायपुर-कोंडागांव परिक्रमा से इतर खुद को निकाल नहीं पाए?
मरकाम से हो सकते है तीखे सवाल
राहुल गांधी की विदेश यात्रा से लौटने के बाद संभावित छत्तीसगढ़ की बैठक में ऐसे कुछ तीखे सवाल मोहन मरकाम से किये जाएंगे। जाहिर है उनका जवाब भी विस्तार से लेने के बाद शीर्ष नेतृत्व पीसीसी नेतृत्व को लेकर विमर्श करेगा। राहुल गांधी अमेरिका यात्रा से 11 को लौटेंगे। उसके अगले दिन 12 जून, सोमवार को वे पटना में विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक में शिरकत करने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश जैसे अन्य चुनिंदा नेताओं के साथ बिहार की राजधानी में रहेंगे। पटना की बैठक के बाद छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक मल्लिकार्जुन खड़गे आहूत करेंगे। तारीख अभी तय नहीं की गई है। बैठक में राहुल गांधी भी रहेंगे। उनके साथ प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा भी रहेंगी।
बीच का रास्ता निकाला जाए
पार्टी नेतृत्व का एक बड़ा वर्ग छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पीसीसी में बड़ी सर्जरी के पक्ष में नहीं है। ऐसे नेताओं का मानना है कि दो, तीन महीने में चुनाव की घोषणा होनी है ऐसे में कोई भी नया बदलाव पार्टी में नयी बयार बहा देगा ऐसा सोचना भी बेमानी है। ऐसे शीर्षासन से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा, हमारी कोशिश होगी कि मुख्यमंत्री और पीसीसी के बीच बेहतर तालमेल के लिए दोनों पक्षों को ध्यान से सुनकर बीच का रास्ता निकाला जाए। वैसा ही रास्ता कर्नाटक में निकाला गया। वैसा ही रास्ता राजस्थान के लिए निकाला गया। वैसा ही कुछ छत्तीसगढ़ के लिए मुकर्रर होगा। पीसीसी को कैसे चुनावी तैयारी करनी है उसका मंत्र दिया जाएगा। सूबे में विस चुनाव के समय किसी को नाराज करने के बजाय बेहतर समन्वय कर चुनाव कांग्रेस पार्टी कैसे जीते, दोबारा सत्ता में कैसे आए, बैठक में जोर सिर्फ इस पर रहेगा।