छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले के बीच जंगल में एक बार फिर से जवानों को नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। यहां नारायणपुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में करीब 32 नक्सलियों के मारे जाने की सूचना मिली है। जवानों ने घटना स्थल से मारे गए 14 नक्सलियों के शवों को बरामद भी किया हैं। वहीं मौके पर से सुरक्षा बलों ने AK 47, SLR सहित कई आधुनिक हथियार भी बरामद किये है।
पुलिस और नक्सलियों में मुठभेड़
32 नक्सली के मारे जाने की सूचना
कई हथियार बरामद, एसपी ने की 14 की पुष्टि
बढ़ सकता है मारे गये नक्सलियों का आंकड़ा
नेदुर थुलथूली के जंगल में पुलिस नक्सली मुठभेड़
सीएम विष्णु देव साय ने बुलायी हाई लेवल मीटिंग
मुख्यमंत्री निवास में बुलायी हाई लेवल मीटिंग
आला अधिकारियों से नक्सल एनकाउंटर पर चर्चा
पुलिस नक्सली मुठभेड़,बड़ी संख्या में मारे गये नक्सली
बता दें यह मुठभेड़ नेदुर थुलथूली के जंगल हुई। दरअसल नारायणपुर-दंतेवाड़ा सीमावर्ती दक्षिण अबूझमाड़ के क्षेत्र में माओवादियो के होने की सूचना मिली थी। जिस पर नारायणपुर और दंतेवाड़ा के संयुक्त तत्वाधान में सर्चिंग अभियान चलाया। इस दौरान पुलिस पार्टी और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हो गई। पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने अब तक 14 नक्सली के मुठभेड़ में मारे जाने की पुष्टि की है। जिनके शव बरामद कर लिए गए हैं।
भारी मात्रा में आटोमेटिक हथियार बड़ी मात्रा में नक्सल साहित्य और विस्फोटक सामग्री बरामद किये गये है। मामले पर अब तक 14 नक्सलियों के शव बरामद करने की आधिकारिक पुष्टि हुई है लेकिन विश्वास्त सूत्र बताते हैं कि 32 नक्सलियों को मार गिराने और शव बरामद करने में नारायणपुर पुलिस को सफलता हाथ लगी है। नक्सलियों के मारे जाने की संख्या और अधिक बढ़ने के उम्मीद जताई जा रही है।
इस हिसाब से छत्तीसगढ़ में यह अब तक की सबसे बड़ी पुलिस नक्सली मुठभेड़ मानी जा रही है। जिसमें एक कंपनी को ध्वस्त करने में पुलिस को सफलता मिली है।
सीएम बोले हिंसा के रास्ते पर गोलियों से ही मिलेगा जवाब
वहीं सुरक्षा बलों के इस ऑपरेशन को लेकर छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय का बयान आया है। सीएम ने कहा माओवादियों को किसी भी हाल में नहीं बक्शा नहीं जाएगा। नक्सलियों के पास अब भी समय है। हिंसा का मार्ग छोड़कर हथियार डाले। छत्तीसगढ़ सरकार हथियार डालने वालों की हरसंभव मदद करेगी। सीएम ने कहा मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन हिंसा के रास्ते पर चलेंगे तो केवल गोलियों से ही जवाब दिया जाएगा।
बता दें छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा का एक लंबा इतिहास है। 2010 के अप्रैल में दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर बड़ा हमला किया था। सुरक्षाबलों पर यह अब तक का सबसे बड़ा हमला था। जिसमें सीआरपीएफ के 75 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद 24 अप्रैल 2017 को सुकमा मुठभेड़ में सीआरपीएफ के करीब 24 जवान शहीद हो गए थे। तो वहीं मार्च 2017 में सुकमा के जंगल में नक्सलियों ने घात लगाकर सुरक्षा बलों पर हमला किया था। जिसमें सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हुए थे। वहीं फरवरी 2018 में भी सुकमा में नक्सलियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में भी छत्तीसगढ़ पुलिस के दो जवान शहीद हुए थे।