छत्तीसगढ़ में 15 साल के वनवास के बाद जब 2018 में सत्ता की चाबी कांग्रेस को मिली तो मुख्यमंत्री पद के लिए दो प्रमुख नाम सामने आए थे, भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव। इसके बाद सीएम की कुर्सी को लेकर सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच जंग छिड़ गई थी। कहा जाता है कि ऐसे में पार्टी हाईकमान ने ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फॉर्मूला तय किया था। पहले ढाई साल के लिए भूपेश बघेल के सिर पर सत्ता का ताज सजाया गया।
- मंत्री टीएस सिंहदेव का बयान
- सीएम बनने के सवाल पर फिर बोले टीएस सिंहदेव
- अभी तक जो परिस्थिति बनी हुई है
- मैं खुद नहीं जानता सीएम कब बनेंगे
- विधायक बना, नेता प्रतिपक्ष बना
- सीएम के लिए मेरा नाम चल पड़ा
- मीडिया ने सीएम बना दिया ये बहुत है
- सीएम नहीं बनना चाहता,ये कहूंगा तो असत्य होगा
- कभी भी सीएम बनने की पहल नहीं की
- पार्टी हाईकमान का होता है अंतिम निर्णय
आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरे हुए तो टीएस सिंहदेव को लगा अब उन्हें सीएम की कुर्सी मिलेगी, लेकिन सियासत में कभी कोई आसानी से कुर्सी नहीं छोड़ता। छत्तीसगढ़ में भी यही हुआ। ढाई साल सीएम वाला फॉर्मूला लागू ही नहीं हो सका। इसके बाद से ही अब तक लगातार टीएस सिंहदेव के में सीएम बनने की टीस बनी रही। सीएम की कुर्सी को लेकर वे अक्सर कुछ ऐसा बयान दे जाते हैं कि जो चर्चा का विषय बन जाता है।
बयान में दिखाई दी नारजगी की झलक
उनके बयान को नाराजगी से जोड़कर भी देखा जाता है। मौजूदा दौर में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव ने बिलासपुर में एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा वे कब मुख्यमंत्री बनेंगे उन्हें नहीं पता लेकिन मीडिया ने उन्हें सीएम जरूर बना दिया है। बता दें जब मुख्यमंत्री बनने का सवाल स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से किया तो उनका कहना था कि अभी तक जो परिस्थिति बनी हुई हैं वे खुद नहीं जानते कि कब सीएम बनूंगे। आखिर कौन सीएम बनना नहीं चाहता हैं? अगर वे ये कहें कि उन्हें सीएम नहीं बनना तो ये असत्य होगा, लेकिन ये फैसला हाईकमान पर रहता है। हाईकमान ही इस पर फैसला करते हैं।
मैं तो विधायक भी बनने का नहीं सोचा था-सिंहदेव
टीएस सिंह देव ने मजाकिया लहजे में कहा कि मीडिया में सीएम के लिए नाम चल पड़ा लेकिन बन नहीं पाया। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि विधायक बनेंगे, क्योंकि सब सीट रिर्जव थी, कभी परिकल्पना भी नहीं की थी, लेकिन विधायक बन गया। नेता प्रतिपक्ष के रुप में काम करने का मौका मिला। उन्होंने तो राजनीति में आने का कभी सोंचा नहीं था, लेकिन विधायक बन गए, और नेता प्रतिपक्ष भी बन गए।