छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की तैयारी भी पूरी हो चुली है। राज्य में अगले दो सप्ताह में कभी भी आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में सियासी दलों की हर एक सीट पर नजर है। हम बात कर रहे हैं हाईप्रोफाइल सीट रामानुजगंज की। इस सीट पर पहले बीजेपी का दबदबा था। बाद में कांग्रेस ने इस सीट पर अपना दबदबा बनाया। इस बार सीट वापस हासिल करने के लिए बीजेपी ने इस सीट पर कद्दावर नेता रामविचार नेताम को टिकट दिया है। आइये जानते है क्या है यहां के राजनीतिक समीकरण।
क्या है सीट का इतिहास
- बलरामपुर जिले के तहत आता है रामानुजगंज
- आदिवासी बाहुल्य है रामानुजगंज विधानसभा
- पाल के नाम से जाना जाता था रामानुजन
- अनूसूचित जनजाति की आबादी है ज्यादा
- झारखंड की सीमा से लगा है ये विधानसभा क्षेत्र
- वन संपदा पर आधारित है लोगों की आजीविका
इस बार नेताम फिर देंगे कांग्रेस को टक्कर
बीजेपी ने रामविचार नेताम पर भरोसा जताया है। नेताम आदिवासियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। साल 2013 तक यह सीट पर बीजेपी को मजबूती रही। 2018 में कांग्रेस के बृहस्पति सिंह ने रामानुजगंज विधानसभा में जीत हासिल की । अब 2023 में बीजेपी ने इस सीट को फिर से हासिल करने के लिए नेता पर भरोरोसा जताया है। बता दें बलरामपुर जिले की रामानुजगंज विधानसभा सीट आदिवासी बाहुल्य है। यह विधानसभा क्षेत्र पहले पाल के नाम से जाना जाता था। दरअसल विधानसभा क्षेत्र झारखंड की सीमा से लगा है। वनांचल क्षेत्र होने के चलते ज्यादातर लोगों की आजीविका वन संपदा पर निर्भर रहती है। जंगली इकाला होने से इस क्षेत्र में हाथियों का प्रभाव है। यहां अजजा वर्ग के मतदाताओं की संख्या लगभग 60-65 प्रतिशत तक है।
रामानुजगंज विधानसभा का जातिगत समीकरण
- अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है सीट
- गोंड, खैरवार जनजाति समाज की है आबादी
- यहां रहते है पंडो, पहाड़ी कोरवा, कोड़ाकू के लोग
- 25-30 फीसदी आबादी ओबीसी और सामान्य वर्ग की
- गोंड और खैरवार पर है पार्टियों का फोकस
रामानुजगंज में कितने हैं मतदाता
- मतदाताओं की कुल संख्या- 1 लाख 88 हजार 650
- पुरूष मतदाताओं की संख्या- 96 हजार 027
- महिला मतदाताओं की संख्या- 92 हजारा 6 सौ 23
- अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं का है दबदबा
रामानुजगंज का जातिगत समीकरण
बलरामपुर जिले की रामानुजगंज विधानसभा सीट अजजा वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां करीब 65-70 फीसदी अनुसूचित जनजाति की आबादी रहती है। इनमें गोंड, खैरवार जनजाति समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है। इस क्षेत्र में पंडो और पहाड़ी कोरवा के साथ कोड़ाकू, अगरिया और नगेशिया भुइंहर उरांव जनजाति के लोग भी निवास करते हैं। हालांकि करीब 25-30 फीसदी आबादी यहां ओबीसी और सामान्य वर्ग के लोगों की भी है।लेकिन पार्टियों का फोकस गोंड और खैरवार पर ही रहता है। अक्सर चुनावसें में इन्हीं दोनों जनजातियों के उम्मीदवारों को यहां से जीत हासिल होती रही है।
रामानुगंज का सियासी समीकरण
- 2018 में विधानसभा चुनाव बीजेपी को करारी हार
- 2018 में इस सीट पर हुआ करीब 82 फीसदी मतदान
- कांग्रेस को मिले थे 41.7 फीसदी
- बीजेपी को मिले थे 20.45 फीसदी वोट
- कांग्रेस के बृहस्पति सिंह को मिले 64,580 वोट
- बीजेपी के रामकिशन सिंह को मिले 31,664 वोट
- निर्दलीय प्रत्याशी विनय पैकरा को मिले 18.88 फीसदी वोट
रामानुजन के मुद्दे और समस्याएं
- सबसे बड़ी समस्या है हाथियों की समस्या
- अब तक नहीं निकला है कोई हल
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की समस्या
- ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की समस्या
- रोजगार ना मिलना भी बना बड़ा मुद्दा
- रेलवे लाइन की मांग अब भी जारी
- यहां कागजों तक सीमित है लोगों की मांग
अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं का दबदबा
इस विधानसभा क्षेत्र में बलरामपुर और रामानुजगंज जुड़े हैं। मतदाताओं की संख्या भी करीब 1,88, 650 है। जिनमें 96027 पुरूष मतदाता और महिला मतदाताओं की संख्या 92623 है। वनांचल क्षेत्र होने से ज्यादातर आबादी गांवों में निवास करती है। रामानुजगंज विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं का दबदबा होने से 1990 से लेकर 2013 तक निरंतर 5 बार बीजेपी नेता रामविचार नेताम यहां से विधायक चुने जाते रहे। हालांकि साल 2013 और 2018 में बृहस्पति सिंह दो बार से इस सीट पर जीत दर्ज करते आए हैं।