Chhath Puja 2024 : जानें क्या है नहाय खाय और सूर्योदय को अर्घ्य देने का महत्व

Chhath Puja Sun Worship Festival Bihar Purvanchal Bhojpuri

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक हर साल छठ पूजा मनाई जाती है। सूर्य उपासना के इस पर्व के दौरान भगवान सूर्य देव की विशेष रुप से पूजा-अर्चना की जाती है। उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान छठ पूजा में है। विवाहित महिलाएं इस व्रत को विधिपूर्वक करतीं हैं। इसके साथ ही पुरुष भी अपने जीवन और परिवार पर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए भगवान भास्कर की उपासना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत को करने वाले पर सूर्य देवता कृपा बनाए रखते हैं। जातक का जीवन खुशहाल होता है। तो आइए हम आपको बताते हैं, इस साल छठ पूजा के दौरान नहाय खाय और खरना किस दिन किया जाएगा?

सूर्य उपासना के इस पर्व के दौरान भगवान सूर्य देव की विशेष रुप से पूजा-अर्चना की जाती है। Chhath Puja 2024 उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान छठ पूजा में है। विवाहित महिलाएं इस व्रत को विधिपूर्वक करतीं हैं। इसके साथ ही पुरुष भी अपने जीवन और परिवार पर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए भगवान भास्कर की उपासना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा Chhath Puja का व्रत को करने वाले पर सूर्य देवता कृपा बनाए रखते हैं। जातक का जीवन खुशहाल होता है। तो आइए हम आपको बताते हैं, इस साल छठ पूजा के दौरान नहाय खाय और खरना किस दिन किया जाएगा?

कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक छठ पूजा Chhath Puja मनाई जाती ., पर्व को हर साल मनाया जाता है। पंचांग में दी गई जानकारी के अनुसार कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की छठी तिथि से Chhath Puja  छठ पूजा के पर्व की शुरुआत होती है। सूर्य उपासना का यह एकमात्र ऐसा महापर्व है, जिसमें डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देने का महत्व माना जाता है, क्योंकि सनातन धर्म में उगते सूर्य को ही अर्घ्य देने का विधान है।

पहला दिना नहाय खाय

छठ पूजा Chhath Puja की शुरुआत का पहला दिना नहाय खाय से होता है। इस दिन व्रतधारी के स्नान करने और भोजन करने का विशेष विधान है। पंचांग में दी गई जानकारी के अनुसार इस बार नहाय खाय  5 नवंबर को किया जाएगा।
जबकि दूसरे दिन खरना पूजा होती है। इस दिन महिलाएं मिट्टी के नए चूल्हे पर खीर बनाकर उसका भोग छठी मैया को अर्पित करती हैं। इस दिन की पूजा के बाद से ही व्रत की शुरुआत मानी जाती है। इस बार खरना पूजा  6 नवंबर को होगी।

छठ पूजा के तीसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। जिसमें व्रतधारी डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। व्रतधारी इस बार सात नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। छठ पूजा का अंतिम दिन बहुत खास होता है। जिसमें व्रतधारी उगते सूरज को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण कर दिया जाता है। इस बार छठ महापर्व का समापन  8 नवंबर को होगा।

व्रत करने से होती है छठी मैया की कृपा

छठ पूजा का शुभ अवसर पर सूर्य देवता के साथ उनकी पत्नी देवी उषा, प्रत्युषा की भी विधिपूर्वक उपासना किये जाने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि विधिविधान से पूजा करने वाले जातक पर छठी मैया की कृपा होती है। सनातन शास्त्रों में भी छठी मैया को संतानों की रक्षा करने वाली देवी के रुप में पूजा जाता है।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

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