छठ महापर्व 2022 की शुरुआत आज 28 अक्टूबर से हो गई है। नहाय खाय, खरना पूजन, संध्या अर्घ्य और उदय होते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देकर सुहागिनें छठी मइया से संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और परिवार कल्याण का वर मांगेंगी। 31 अक्टूबर तक चलने वाले छठ महापर्व को लेकर देश के विभिन्न राज्यों में जोरों-शोरों पर तैयारियां हो चुकी हैं।
इस प्रकार रखते हैं छठ का व्रत
नहाय-खाय में सुबह स्नान कर अपने अराध्य की पूजा करने के बाद अपने हाथों से घीया (कद्दु) की सब्जी, चने की दाल और नई फसल के चावल को उबालकर प्रसाद तैयार किया जाता है। इस प्रसाद का छठ मैया को भोग लगाते हैं। अगले दिन सुबह से शाम तक निर्जल व्रत रखने के बाद शाम को कुल देवी-देवता की पूजा कर, खीर-पूरी के प्रसाद का भोग लगाकर उपवास खोलते हैं। इसे लोकभाषा में खरना कहते हैं।
आज से नहाय खाए
- 28 अक्टूबर यानी आज से नहाय खाय के साथ छठ पूजन की शुरुआत हो चुकी है। इसमें लौकी और भात का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
- व्रत करने वाली महिलाएं घर के एक कमरे में पूजन कर अखंड ज्योत भी जलाती हैं।
- अगले दिन यानी 29 अक्टूबर को गन्ने के रस में चावल को पकाकर सुहागिनें ग्रहण करती हैं। इसी के साथ निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाती है। रंगोली बनाकर मां का पूजन और कथा श्रवण किया जाता है।
- संध्या अर्घ्य (30 अक्टूबर) घाटों पर संध्या अर्घ्य पूजन किया जाएगा। महिलाएं पुत्र और पति के साथ के जल में खड़े होकर भगवान सूर्य और छठी मइया का पूजन करती हैं और अर्घ्य देती हैं।
- उदयागामी अर्घ्य (31 अक्टूबर) व्रती महिलाएं उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। भोर पहर सरोवर के जल में खड़े होकर सूर्य देवता को जल अर्पित करती हैं और अर्घ्य के बाद सुहागिनों द्वारा मांग भरने की रस्म की जाती है। पूजन के बाद ठेकुआ का प्रसाद वितरित किया जाता है।
यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं व कैलेंडर पर आधारित हैं
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