देश और दुनिया में भारत के चंद्रयान 3 की सफलता की चर्चा आज भी जारी है। चांद सतह पर उतरे विक्रम लैंडर की तस्वीर देखकर हर भारतीय गर्व से भर जाता है। साल 2019 में भेजा गया चंद्रयान-2 मिशन भले ही पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था लेकिन उसका ऑर्बिटर आज भी एक्टिव है। उसी ऑर्बिटर ने चांद से भारतीयों के लिए अपने विक्रम लैंडर की तस्वीर भेजी, जिसे देख की हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
- 2019 में भेजा था चंद्रयान-2 मिशन
- अब तक एक्टिव है चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर
- चंद्रयान 3 के विक्रम लेंडर को मिल रही मदद
- ऑर्बिटर ने विक्रम लेंडर की मदद से भेजी थी पहली तस्वीर
- चांद पर हम ही नहीं चीन भी कर रह चहलकदमी
- चांद पर 2013 में युटु रोवर को चीन ने भेजा था
- 6 पहियो वाला है ये चाइनीज रोवर
- 2013 से 2016 तक चीन के रोवर युटु चांग 3 ने किया काम
- इसके बाद 2019 में युटु-2 चीन ने भेजा
काम हर रहे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे हाई-रिजॉलूशन कैमरे
चांद की सतह पर अपना विक्रम पांव जमाए खड़े दिखाई दे रहा है। इसरो की ओर से किये गये एक ट्वीट में बताया गया कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने ही चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीर लेकर चांद से धरती पर भेजी है। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे हाई-रिजॉलूशन कैमरे ने अपना काम अब तक जारी रखा है। चांद के चारों तरफ परिक्रमा कर रहे अपने ऑर्बिटर में सबसे बेस्ट कैमरा लगा है। इसरो की ओर से बताया गया कि 23 अगस्त 2023 को विक्रम की चांद पर लैंडिंग के बाद ऑर्बिटर ने ही यह तस्वीर ली थी।
लैंडिंग के बाद ही हो गया था विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के आर्बिटर का संपर्क
तस्वीर में देखकर साफ पता चलता है कि चांद की सतह पर काफी बड़े बड़े गड्ढे हैं लेकिन अपना विक्रम लेंडर जिस जगह पर उतरा है वहां ऑर्बिटर ने 23 अगस्त 2023 की रात करीब 10 बजकर 17 मिनट पर तस्वीर ली थी। इस तस्वीर को इसरो की ओर से शेयर करते ही भारतीयों का जोश फिर से हाई हो गया। धरती से करीब चार लाख किमी दूर चांद पर उतरे विक्रम को देख लोग गर्व से भर गए। विक्रम लैंडर जब चांद के करीब था तो उसके और चंद्रयान-2 के आर्बिटर में संपर्क स्थापित हुआ था। इसे सरल शब्द और बातचीत की भाषा में कह सकते हैं तब इसरो ने लैंडिंग से पहले हुए इस संपर्क के बारे में ट्विटर पर लिखा स्वागत है दोस्त। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-2 आर्बिटर ने औपचारिक रतौर पर चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया है। दोनों के बीच आपसी संचार स्थापित हो गया है। साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन इसरो ने भेजा था। इस अंतरिक्षयान में आर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर शामिल थे। लैंडर के अंदर एक रोवर लगाया था। लेकिन लैंडर चंद्रमा की सतह पर ही क्रैश हो गया। जिससे यह मिशन के सॉफ्ट लैंडिंग के टारगेट को हासिल करने में नाकाम रहा। लेकिन ऑर्बिटर आज भी चांद पर नजर बनाए रखे हुए हैं।
चीन का युटु-2 पहले से मौजूद
चांद की सतह पर भारत और चीन के रोवर दोनों चहलकदमी कर रहे हैं। चीन के रोवर का नाम युटु-2 है। जो 2019 की शुरुआत से ही चांद की सतह पर चहलकदमी कर रहा है। हालांकि उसने अपने टचडाउन वाली जगह से कुछ खास दूरी नहीं तय की। चीन के रोवर के मुकाबले भारत के प्रज्ञान की उम्र ज्यादा नहीं है, प्रज्ञान महज एक चंद्रदिवस तक वहां काम करेगा। इसरो की ओर से दी गई जानकारीके अनुसार प्रज्ञान के मिशन की जींदगी सिर्फ एक चंद्रदिवस है। यानी धरती के 14 दिनों के बराबर है। दूसरी ओर चीन का युटु-2 पिछले करीब चार साल से चांद की सतह पर मौजूद है। दरअसल चीन का रोव युटु-2 जब चांद की सतह रात होती है तो आफ हो जाता है। यानी 14 दिन आफ रहता है। धरती के 14 दिन-रात के बराबर वह आफ रहता है। बता दें रात के समय चांद का तापमान माइनस 170 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा नीचे रहता है। इस दौरान युटु-2 ऑफ होकर अपनी उर्जा बचाता है। इस दौरान काम करना बंद कर देता है। इसके बाद चांद पर सूर्योदय होते ही युटु-2 फिर से ऐक्टिव हो जाता है।