वक्फ बोर्ड में संशोधन पर सियासत…जाने आखिर क्यों किया जा रहा है वक्फ बोर्ड अधिनियम में बदलाव का विरोध

केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लोकसभा में पेश करने जा रही है। इसे लेकर लोकसभा के बिजनेस अडवाइजरी कमेटी में चर्चा भी हुई है। इस बिल के संसद में आने की बात और जब से संशोधन बिल का मसौदा सामने आया है जब से मुस्लिम समाज से लेकर मुस्लिम नेताओं के साथ विपक्ष में इसे लेकर केन्द्र की मोदी सरकार से खासा नाराज दिखाई दे रहा है। दरअसल इसकी वजह यह मानी जा रही है कि केन्द्र सरकार
संशोधित बिल के जरिए वक्फ बोर्ड की शक्ति व हैसियत को कम करने जा रही है। हालांकि कहा जा रहा है कि इस वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के जरिए केन्द्र सरकार देश के वक्फ बोर्ड्स की पूरी प्रक्रिया जवाबदेह और पारदर्शी बनाना चाहती है। लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एआईएमपीएलबी को यह मंजूर नही। एआईएमएलएलबी
ने इस संशोधन बिल को लेकर कहा है कि उन्हें वर्तमान वक्फ कानून में किसी भी तरह का कोई संशोधन मंजूर नहीं होगा।

बता दें केंद्र सरकार मौजूदा वक्फ बोर्ड अधिनियम में कई बड़े संशोधन करने की तैयारी में है। संसद सत्र में बिल पेश किये जाने की जानकारी लगते ही इसे लेकर सियासत गरमा गई।। बताया जाता है कि केन्द्र सरकार संशोधन बिल में वक्फ बोर्ड में कई बड़े बदलाव कर सकती है। इस नए कानून के जरिए सरकार वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं के साथ अब गैर-मुसलमानों का भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने और वक्फ बोर्ड की कुछ शक्तियों को कम करने की तैयारी में है। इस संशोधन विधेयक में वक्फ अधिनियम 1995 का नाम भी बदला जा सकता है। संशोधन में जिसे एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम 1995 करना शामिल है।

वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन की तैयारी

असदुद्दीन ओवैसी ने किया संशोधन का विरोध !

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को असंवैधानिक करार दिया है। इसके साथ ही वक्फ बिल के विरोध में इमरान मसूद और असदुद्दीन ओवैसी की ओर से नोटिस भी दिया। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर कहा है कि यह बिल संविधान के आर्टिकल 14, 15 और 25 का उल्लंघन करता है।

फरंगी ने बताया संशोधन गैर जरुरी

वक्फ एक्ट… संशोधन कितना जरुरी है ?

वक्फ बोर्ड में होने जा रहे बड़े संशोधन की आहट से देश भर में सियासत गरमा गई है। केन्द्र की मादी सरकार वक्फ बोर्ड को लेकर बड़े संशोधन करने जा रही है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड किसी भी बदलाव के पक्ष में नहीं है। आखिर क्यों ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड किसी भी बदलाव के पक्ष में नहीं है।

मोदी सरकार वक्फ बोर्ड में बड़े संशोधन करने जा रही है। केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम में 40वें संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वक्फ एक्ट में कोई भी बदलाव हमें मंजूर नहीं है। ऐसे में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अगला कदम क्या होगा और क्या वक्फ एक्ट… संसोधन जरुरी है।
केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। इससे राजनीतिक हल्कों में हलचल बढ़ गई है। हम उन हलचलों से अवगत कराएंगे लेकिन सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि वास्तव में वक्फ बोर्ड क्या है। कौन सी संपत्ति वक्फ की संपत्ति मानी जाती है और वक्फ बोर्ड एक्ट क्या है…?सबसे पहले जान लेते हैं।

आखिर क्या है वक्फ बोर्ड, वक्फ संपत्ति ?

मुस्लिम समुदाय की संपत्ति ही नहीं उनके धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन करना और नियम बनाए जाने के लिए देश् के हर राज्य में एक संस्था का गठन किया गया है। जिसे वक्फ बोर्ड कहा जाता है। मुस्लिमों की ओर से वक्फ संपत्ति को एक स्थायी धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में समर्पित की जाती है। जिसका उपयोग मुस्लिम समाज के लोगों धार्मिक उद्देश्यों के साथ समाज के गरीब लोगों की मदद और उनकी शिक्षा आदि के लिए किया जाता है।

क्या है वक्फ एक्ट ?

वक्फ एक्ट में मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों के साथ उनके धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन करने और नियमन के लिए कानून बनाया गया है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की उचित देखभाल, संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करना होता है। जिससे धार्मिक और चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए इन संपत्तियों का कभी भी उपयोग हो सके।

वक्फ बोर्ड पर तमाम आरोप भी लगते रहे हैं। भ्रष्टाचार से लेकर जमीन देहाद के आरोप लगते रहे है। केन्द्र सरकार ने इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रख कर इसके एक्ट में संशोधन करने का निर्णय लिया है। लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस पर एतराज जताया है।

वक्फ बोर्ड पर आरोप!

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ऐतराज

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है वक्फ एक्ट 2013 में कोई भी ऐसा बदलाव, जिससे वक्फ़ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति बदल जाए या उन्हें हड़पना सरकार या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए। हरगिज कबूल नहीं होगा। इसी तरह वक्फ़ बोर्डों के अधिकारों को कम या सीमित करने को भी कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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