चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान General Anil Chauhan का हालिया बयान एक बार फिर चर्चा में है। सिंगापुर में आयोजित शांग्री-ला डायलॉग के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने पाकिस्तान के साथ संघर्ष में भारतीय फाइटर जेट गिरने के मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। जब उनसे पूछा गया कि अब तक पाकिस्तान ने कितने भारतीय फाइटर जेट गिराए हैं, तो उन्होंने बेहद सटीक और विचारोत्तेजक उत्तर दिया।
जनरल चौहान ने कहा कि असली सवाल यह नहीं है कि कितने विमान गिरे, बल्कि यह है कि “वे क्यों गिरे?” उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसी भी युद्ध या सैन्य संघर्ष में मशीनों का गिरना, नुकसान होना या तकनीकी त्रुटियां आम होती हैं, लेकिन रणनीतिक दृष्टि से सबसे जरूरी होता है यह समझना कि वह नुकसान क्यों और किन परिस्थितियों में हुआ।
CDS ने कहा कि केवल संख्या गिनना पर्याप्त नहीं है। एक विमान गिरना अपनी जगह चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन अगर उसके पीछे तकनीकी खराबी, मानव त्रुटि या फिर दुश्मन की रणनीति है, तो उससे मिलने वाली सीख ज्यादा जरूरी होती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमारी सैन्य तैयारियों में केवल तकनीकी ताकत नहीं, बल्कि मानसिक और रणनीतिक समझ भी उतनी ही जरूरी है।
CDS जनरल चौहान ने यह बातें उस समय कहीं जब वे शांग्री-ला डायलॉग के एक अहम सत्र में भाग ले रहे थे, जहां वैश्विक रक्षा और रणनीतिक मामलों पर चर्चा हो रही थी। उन्होंने भारत की रक्षा नीति, तैयारियों और सेना की आधुनिक सोच को लेकर भी कई महत्वपूर्ण बातें कहीं।
इस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत अब पारंपरिक सोच से ऊपर उठकर रणनीतिक मामलों में नई दृष्टि के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज के समय में युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि सूचनाओं, साइबर युद्ध, ड्रोन तकनीक और कूटनीतिक रणनीतियों से भी लड़ा जाता है। ऐसे में केवल यह देखना कि कौन सा विमान कहां गिरा, एक सीमित दृष्टिकोण है। इसकी जगह यह सोचना चाहिए कि उससे क्या सबक मिला और अगली बार ऐसी स्थिति से कैसे बचा जाए।
पाकिस्तान के सवाल पर भी उन्होंने सीधा जवाब देने से परहेज नहीं किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने आंकड़े और दावे करता रहता है, लेकिन भारत की रणनीति तथ्यों, विश्लेषण और तर्क पर आधारित होती है। उन्होंने भारत की सेना को पूरी तरह सक्षम और तैयार बताया और यह भरोसा जताया कि भारतीय सेनाएं किसी भी परिस्थिति में देश की रक्षा करने में सक्षम हैं।
CDS का यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में एक बार फिर भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव की खबरें सामने आई थीं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान केवल एक सैन्य टिप्पणी नहीं, बल्कि भारत की बदलती रक्षा नीति और आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम की ओर संकेत है।
शांग्री-ला डायलॉग में भारत की भागीदारी इस बार विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसमें भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति, क्वाड सहयोग और चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। जनरल चौहान ने भारत की सैन्य सोच और वैश्विक सुरक्षा को लेकर भारत के दृष्टिकोण को मजबूती से रखा।