लोकतंत्र में विपक्ष की अपनी गरिमा होती है। अभी तक विपक्ष प्रधानमंत्री की जगह राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग पर अड़ा था। और विरोध स्वरूप उद्घाटन समारोह का बहिष्कार भी कर दिया। यहां तक तो ठीक है लेकिन राजद ने जो विरोध का तरीका अपनाया है उसे लोकतांत्रित देश में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। राजद ने नए संसद भवन की तुलना ताबूत से करते हुए लिखा है कि ये क्या है? इस फोटो के शेयर होते ही पूरे देश में घमासान मच गया।
भाजपा ने ताबूत का जवाब ताबूत से दिया
राजद के इस ट्वीट पर भाजपा ने पलटवार किया है। पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राजद के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए लिखा कि ‘आज एक ऐतिहासिक पल है और देश गौरवान्वित है। आप नजरबट्टू हैं और कुछ नहीं। छाती पीटते रहिए। 2024 में देश की जनता आपको इसी ताबूत में बंद करके गाड़ देगी और नए लोकतंत्र के मंदिर में आप को आने का मौका भी नहीं देगी। चलिए यह भी तय हुआ कि संसद देश की और ताबूत आपका।’
देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए
इस ताबूत मामले में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने राजद को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि हिम्मत है संसद का स्थाई रूप से बहिष्कर करें और उसकी सदस्यता से इस्तीफा दे दें। यदि बहिष्कार करना ही है तो स्थाई रूप से करें। उन्होंने कहा कि ताबूत का चित्र दिखाना इससे ज्यादा अपमानजनक कुछ नहीं है। सुशील मोदी ने कहा कि जिन लोगों ने संसद के नए भवन की तुलना ताबूत से की है, ऐसे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए। वही दूसरी तरफ भाजपा नेता दुष्यंत गौतम ने राजद के ट्वीट पर कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। आज वह संसद की नई इमारत की तुलना ताबूत से कर रहे हैं क्या उन्होंने पुरानी इमारत की तुलना जीरो से की थी? क्या हम पहले जीरो में बैठ रहे थे।
अब राजद ने दी सफाई
विवाद बढ़ने के साथ ही जब राजद पर चौतरफा हमले हुए तो राजद नेता शक्ति सिंह यादव ने मोर्चा संभालते हुए सफाई देना शुरु कर दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को दफन कर दिया गया है,इसलिए हमारे ट्वीट में ताबूत प्रतीकात्मक तौर पर दिखाया गया है।देश इसे स्वीकार नहीं करेगा। संसद, लोकतंत्र का मंदिर होती है और ऐसी जगह होती है, जहां चर्चाएं होती हैं।