राज्यसभा की 12 सीटों पर सितंबर में उपचुनाव होना हैं। जिसमें NDA को सदन में बहुमत मिलने की उम्मीद नजर आ रही है। राज्यसभा में बहुमत मिलता है तो वक्फ संशोधन बिल जैसे कई अहम बिल आसानी से मंजूर हो सकते हैं। बता दें नौ राज्यों में राज्यसभा की 12 सीट खाली हुई हैं। जिन पर अगले माह तीन सितंबर को उपचुनाव होंगे।
- 21 अगस्त को नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख
- 22 अगस्त को नामांकन की स्क्रूटनी की आखिरी तारीख
- NDA को राज्यसभा में बहुमत मिलने की उम्मीद
- 12 सीटों पर 3 सितंबर को उपचुनाव
- 11 पर भाजपा और सहयोगियों की जीत संभव
26 अगस्त को असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और त्रिपुरा के प्रत्याशी के लिए नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख है।
27 अगस्त को राजस्थान, तेलंगाना, बिहार, हरियाणा और ओडिशा के प्रत्याशियों के लिए नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख है।
12 सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 11 सीट मिलने की उम्मीद है। इस तरह 245 सदस्यों वाले उच्च सदन में NDA के पास 122 सीट हो जाएंगी। बता दें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव नहीं हुए हैं। जिससे वहां से राज्यसभा की चार सीटें खाली हैं।
जम्मू कश्मीर की चार खाली सीटों के चलते राज्यसभा की मौजूदा स्ट्रेंथ 241 है। जब तक जम्मू-कश्मीर में पिवधानसभा के चुनाव नहीं हो जाते, तब तक यह चार सीटें खाली ही रहेंगी। फिलहाल राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 121 ही है। उपचुनाव के बाद NDA को राज्यसभा में बहुमत हासिल होने की उम्मीद है। बता दें 13 जुलाई को राज्यसभा से चार नामित सदस्य सेवानिवृत्त हुए हैं। इन सीटों पर भी सदस्यों के नामित हो जाते हैं तो यह संख्या 126 हो जाएगी।
12 में से NDA को 7 राज्यों की 11 राज्यसभा सीट मिलने की उम्मीद
चुनाव आयोग की ओर से 7 अगस्त को राज्यसभा की खाली 12 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की थी। इनमें महाराष्ट्र, असम, बिहार में 2-2 सीटें हैं। मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना और ओडिशा में 1-1 सीट खाली हुई है। जिस दिन चुनाव होंगे उसी दिन 3 सितंबर को नतीजे भी शाम 5 बजे सामने आ जाएंगे। इन 7 राज्यों की 12 सीट में से NDA को सीटें मिलने की उम्मीद नजर आ रही है। NDA को महाराष्ट्र, असम और बिहार से 2-2 सीट मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा और हरियाणा से राज्यसभा की 1 -1 सीट मिल सकती है।
बीजेपी के 10 साल, बेमिसाल…55 से हुई 101 सीट
राज्यसभा में 10 साल में BJP 55 से 101 सीट तक आज पहुंची है। BJP के 2014 में 55 और 2019 में 78 राज्यसभा सांसद थे। जबकि जून 2020 में यह संख्या बढ़कर 90 हो गई है। इसके बाद बीजेपी ने राज्यसभा की 11 सीट जीतीं। इसके बाद उसके राज्यसभा सदस्यों की संख्या बढ़कर 101 तक पहुंच गई है। बता दें 1990 के बाद पहली बार ऐसा हुआ था, जब किसी दल ने राज्यसभा में 100 का आंकड़ा पार किया था।
राज्यसभा में बहुमत का फायदा और नुकसान
भारतीय लोकतंत्र में राज्यसभा का चुनाव इस तरह से होता है कि लोकसभा और राज्यसभा में किसी एक दल को एक समय पर स्पष्ट बहुमत मिलना थोड़ा मुश्किल होता है। किसी दल के पास यदि दोनों सदनों में स्पष्ट बहुमत हो तो इससे छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों या निर्दलीय सांसदों के समर्थन के बदले अपनी अनुचित मांग और सरकार पर किसी तरह का दबाव बनने की स्थिति खत्म हो जाती है। हालांकि, इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि किसी एक दल के पास लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बहुमत होने पर सदीय कामकाज में आम सहमति बनाने की स्थिति कम होती है। बड़े दल अपने मन से फैसला लेने लगते हैं। छोटे और दूसरे दलों से सलाह लेती है, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। बता दें साल 1989 तक राज्यसभा में कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत हुआ करता था। इस दौरान अधिकांश राज्यों में कांग्रेस पार्टी की ही सरकार होती थी। साल 1989 के बाद स्थिति बदलीी और केंद्र की सरकार को राज्यसभा में अहम बिल को पास कराने में छोटे दलों को साधना और विपक्षी दलों के साथ मिलकर आम सहमति बनानी पड़ती है।