यूपी नगर निकाय चुनाव:उल्टा पड़ा मायावती का पहला दांव,सियासी जाल में फंसी बसपा

UP civic elections Mayawati

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ बनाने के लिए बहुजन समाज पार्टी कई तरह के दांव चल रही है। माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को महापौर का प्रत्याशी बनाने की घोषणा भी कर दी। जब सियासी समीकरण और अन्य लोगों की नाराजगी सामने आई तो बसपा ने अपना फैसला बदलने में देर नहीं की। मायावती ने ऐलान कर दिया कि बीएसपी जेल में बंद गैंगस्टर अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन या उसके परिवार के किसी दूसरे सदस्य को यूपी में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में प्रयागराज मेयर पद के उम्मीदवार के रूप में नहीं उतारेगी। अब माना जा रहा है कि बसपा के लिए ये बड़ा डेंट है। जिसकी भरपाई इतनी आसान नहीं होगी।

इसलिए निर्णय वापस लिया

उमेश पाल हत्याकांड में शाइस्ता का नाम आने और फरार होने के कारण निर्णय बदलने की बात बसपा कह रही है। हालांकि ये कानूनी अड़चन हो सकती है लेकिन दूसरी तरफ माना जा रहा है कि एक कारण ये है कि इस तरह के निर्णय से दलित वोट बैंक भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए मायावती को जोखिम उठाना नहीं चाहतीं।

हिंदूवादी दलित हो सकते हैं नाराज

बहुत से दलित ऐसे हैं जो हिंदूवादी विचार से प्रेरित हैं। चुनाव में भले ही बसपा के साथ रहे हों लेकिन  हिंदूत्व को प्रभावित करने वालों को वो ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। ऐसे मे इनकी नाराजगी का खतरा मायावती नहीं उठाना चाहेंगी।

दलित मुस्लिमों को साधने की कोशिश

बहुजन समाज पार्टी दलित और मुस्लिमों को साधने की कोशिश कर रही है। दोनों ही वर्गो के बड़े नेताओं पर दांव लगाने के प्रयास के बीच युवाओं को आगे बढ़ाने की तैयारी चल रही है।

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