बीबीसी ने प्रधानमंत्री मोदी को डॉक्युमेंट्री के बहाने घेरने की कोशिश की, पर खुद ही घिर गयी

मोदी को सुप्रीम कोर्ट भी बता चुका बेदाग

Pm Modi

नई दिल्‍ली: बीबीसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक डॉक्युमेंट्री बनाई। वह रिलीज होते ही विवादों में आ गयी। कारण यह कि उसमें घिसे-पिटे तरीके से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2002 में गुजरात में हुए दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इसका बहाना किसे बनाया गया। कुछ पत्रकारों की मनगढ़ंत कहानियों को, जिन्हें कोर्ट खारिज कर चुका है, कुछ अधिकारियों की खामखयाली को, जो फिलहाल जेल में हैं और कुछ घिसी-पिटी बातों को।

बीबीसी ने कहा-काफी शोध कर बनाया वृत्तचित्र

अपनी विवादास्पद शृंखला का बचाव करते हुए कहा कि यह काफी शोध करने के बाद बनाया गया वृत्तचित्र है, जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों को निष्पक्षता से उजागर करने की कोशिश की गई है। मीडिया प्रतिष्ठान की ओर से यह टिप्पणी सरकार द्वारा वृत्तचित्र को वस्तुनिष्ठता के अभाव वाली ‘‘दुष्प्रचार सामग्री” करार दिए जाने के एक दिन बाद आई। बीबीसी के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “डॉक्यूमेंट्री पर उच्चतम संपादकीय मानकों के अनुसार गहन शोध किया गया।”

सरकार ने BBC डॉक्यूमेंट्री पर लगाई रोक

पीएम मोदी से जुड़ी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के हिस्सों को सोशल मीडिया पर जारी करने पर सरकार ने हालांकि रोक लगा दी। सूचना प्रसारण मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री के पहले एपिसोड को दिखाने वाले कई यूट्यूब वीडियो पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, संबंधित यूट्यूब वीडियो के लिंक शेयर करने वाले 50 से ज्यादा ट्वीट्स को भी ब्लॉक करने को कहा गया है।

ब्रिटेन में भी मोदी के ऊपर मच गयी रार

दो हिस्सों में बनी इस डॉक्युमेंट्री सीरीज का नाम – इंडिया : द मोदी क्वेश्चन है। यह गुजरात में हुए दंगों पर है जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश सांसद इमरान हुसैन ने ब्रिटिश संसद में वहां के पीएम ऋषि सुनक को घेरते हुए कहा, “वह (पीएम नरेंद्र मोदी) इस हिंसा (गुजरात दंगों) के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थे। यह देखते हुए कि सैकड़ों लोगों को क्रूरता से मार दिया गया था और यहाँ ब्रिटेन सहित भारत और दुनिया भर के परिवार अभी भी न्याय के बिना हैं। क्या प्रधानमंत्री (यूके पीएम) विदेश कार्यालय में अपने राजनयिकों से सहमत हैं कि मोदी सीधे तौर पर जिम्मेदार थे और क्या विदेश कार्यालय को जातीय संहार के इस गंभीर कार्य में उनकी संलिप्तता के बारे में पता है?”

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, “इस पर ब्रिटेन सरकार की स्थिति स्पष्ट और दीर्घकालिक है, तथा यह नहीं बदली है।” उन्होंने कहा, ‘‘नि:संदेह, हम कहीं भी उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, लेकिन मैं माननीय सज्जन (हुसैन) द्वारा किए गए चरित्र-चित्रण से सहमत नहीं हूं।”

मोदी को इससे कितना फर्क पड़ेगा?

प्रधानमंत्री मोदी के बारे में दिया गया एक मशहूर बयान है। इसमें कहा था कि लोग उन पर ईंट पत्थर फेंकते हैं, वह उसकी सीढ़ी बना लेते हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री मोदी के बचाव में आने के बाद ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड के सदस्य लॉर्ड रेमी रेंजर ने भी ट्वीट कर बीबीसी को निशाने पर लिया और उसे पक्षपाती बताया। उन्होंने भारत के करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए बीबीसी की आलोचना की।
सुनक ने कहा कि वह विपक्षी लेबर पार्टी के सांसद, पाकिस्तानी मूल के इमरान हुसैन द्वारा किए गए प्रधानमंत्री मोदी के चरित्र-चित्रण से सहमत नहीं हैं। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेसवार्ता के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, “मुझे ये साफ़ करने दीजिए कि हमारी राय में ये एक प्रौपेगैंडा पीस है. इसका मक़सद एक तरह के नैरेटिव को पेश करना है जिसे लोग पहले ही ख़ारिज कर चुके हैं. इस फ़िल्म या डॉक्यूमेंट्री को बनाने वाली एजेंसी और व्यक्ति इसी नैरेटिव को दोबारा चलाना चाह रहे हैं.”
अरिंदम बागची ने वही कहा है, जो इस देश में बहुत सारे लोग सोचते हैं। नरेंद्र मोदी 2002 से ही अग्निपरीक्षा दे रहे हैं और हरेक जगह से बेदाग बच कर निकले हैं। उन पर लगे तमाम आरोपों को शीर्षस्थ अदालत ने खारिज किया है।
यह भी देखना चाहिए कि अगले साल लोकसभा चुनाव हैं और यह डॉक्युमेंट्री ध्रुवीकरण का ही काम करेगी। मोदी को इससे फायदा ही होगा, नुकसान तो कहीं से नहीं होगा।
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