भाजपा के कद्दावर नेता और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह काफी मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं। उन पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए है। गिरफ्तारी नहीं होने से नाराज पहलवानोें ने धरना प्रदर्शन किया है और अब किसानों और खाप पंचायतों का समर्थन भी उन्हे मिल गया है।
- अखिलेश यादव की तारीफ कर चुके हैं भाजपा सांसद
- खाप पंचायतों ने भी किया महिला पहलवानों का समर्थन
- सपा के प्रवक्ताओं को टिप्पणी करने की अनुमति नहीं
- भाजपा के अगले कदम पर हैं सभी की नजरें
- गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं पहलवान
ऐसे में केन्द्र सरकार और भाजपा पर दवाब बनना स्वाभाविक है। अब बृजभूषण शरण सिंह को लगने लगा है कि आज नहीं तो कल उन पर शिकंजा कसा जा सकता है। ऐसे में सांसद ने खुद को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झौंक दी है। कयास यहां तक लगाए जाने लगे हैं कि हो सकता है भाजपा सांसद सिंह पाला बदलकर समाजवादी पार्टी के दरवाजे खटखटा सकते हैं।
बृजभूषण शरण सिंह का चौतरफा विरोध
पिछले तीन महिने से महिला पहलवान बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी को लेकर निरंतर संघर्षरत हैं। दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन चल रहा है। खाप पंचायतों से सहित कई संगठनों ने प्रदर्शन का समर्थन किया है। किसान और कांग्रेस भी उनके साथ है। इसके बाद भी बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई है। तमाम संगठनों के समर्थन के बाद भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले पर चुप्पी साध ली। उन्होनें खुद को न्यूटल रखा और अपनी कोई राय नहीं दी। इसी बीच बृजभूषण शरण सिंह लगातार खुद को बेदाग बताते रहे हैं। उन्होंने एक वीडियो जारी किया और खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाते हुए खुद को निर्दोष बताने की कोशिश की है।
अखिलेश ने साध रखी है चुप्पी
महिला पहलवानों को तमाम संगठनों ने समर्थन दिया है। उनके धरना स्थल पर प्रियंका गांधी सहित कई बड़े बड़े दिग्गज नेता पहुंचे हैं लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस मामले से खुद को दूर रखा। उन्होंने महिला पहलवानों के मामले में न समर्थन किया है और न ही विरोध। अखिलेश ने न्यूटल होकर कौन का संदेश दिया है, इसके मायने भी निकाले जा रहे है। जानकारों का मानना है कि अखिलेश एक मंझे हुए सियासी खिलाड़ी है उन्हें सियासी समीकरण को हल करना आता है।
भाजपा भी बनी है तमाशबीन
महिला पहलवानों के समर्थन में उतरी कांग्रेस,आम आदमी पार्टी,खाप पंचायते और तमाम संगठन खुलकर सामने आ गए है। किसान भी बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी करने की मांग कर रहे हैं। भाजपा इन तमाम सियासी हथकंडों पर पैनी नजर लगाए बनाए हुए है। पूरे मामले पर भाजपा तमाशबीन बनी हुई है। वजह ये है कि भाजपा अपने सांसद बृजभूषण शरण सिंह को खोना नहीं चाहती है। शायद यही कारण है कि पॉस्को एक्ट में गिरफ्तारी का प्रावधान होने के बाद भी भाजपा सांसद की गिरफ्तारी नहीं होना अपने आप में बड़ा सवाल है।
बृजभूषण शरण सिंह पर टिकीं नजरें
भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर सभी की नजरें टिकीं है। वे कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा कहेंगे तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। अब सभी की नजरें बृजभूषण शरण सिंह के निर्णय भी लगीं हुई हैं। और देखा जा रहा है कि वे अपने बचाव के लिए आखिरी निर्णय कब और क्या लेंगे। यदि सूत्रों की माने तो भारतीय जनता पार्टी उनके खिलाफ कोई सख्ती करती है तो उस समय बृजभूषण शरण सिंह क्या करेंगे।
क्या सपा में जाएंगे बृजभूषण शरण सिंह
अब सियासी गलियारों में सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि भाजपा ने सख्ती की तो बृजभूषण शरण सिंह के पास कौन रास्ता होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस मामले में कुछ नहीं कहने का मतलब यही निकाला जा रहा है कि आने वाले समय में यदि भाजपा बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई बड़ी सख्ती की जो समाजवादी पार्टी के दरवाजे उनके लिए खुल सकते हैं।
बृजभूषण शरण सिंह कर चुके हैं अखिलेश की तारीफ
बीते दिनों बृजभूषण सिंह भी इसी वजह से अखिलेश की तारीफ करते हुए नजर आए थे। इससे इस बात को और ताकत मिलती है कि क्या बृजभूषण शरण सिंह में सपा में शामिल हो सकते हैं। बृजभूषण सिंह ने कहा था कि “अखिलेश जी सच जानते हैं। मुझे राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है। मेरे खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवानों का सामाजिक दायरा किसी से छिपा नहीं है।”
सपा ने प्रवक्ताओं को क्यों दी नसीहत
महिला पहलवानों के मामले में समाजवादी पार्टी ने अपने प्रवक्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए है कि बृजभूषण के समर्थन या विरोध में किसी तरह की कोई टीका टिप्पणी न करें। सूत्रों का कहना है कि भाजपा बृजभूषण के खिलाफ कोई भी बड़ा कदम उठाने से लगातार बच रही है। कारण ये है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में ठाकुरों का बड़ा वोट बैंक हैं और उनका अपना दबदबा भी है। इसलिए भाजपा नहीं चाहती कि यहां किसी तरह का कोई जोखिम उठाया जाए।