पहलवानों से जूझ रहे बृजभूषण सिंह ने चला एक और नया दांव

करनैलगंज में 11 जून को बड़ी रैली की तैयारी

यौन शोषण के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह एक साथ दो मोर्चों पर जूझते नजर आ रहे हैं। एक तो महिला पहवानों के आरोपों का उन्हे सामना करना पड़ रहा है और दूसरा सियासी ताकत बनाए रखने की चुनौती भी उनके सामने हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी सियासी ताकत दिखाने के लिए अयोध्या में एक रैली की तैयारी की थी। लेकिन बताया गया कि भाजपा हाईकमान के निर्देश पर उन्हे अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। 5 जून को आयोजित होने वाली इस रैली में लाखों लोगों के आने के दावे किए गए थे। अब भाजपा सांसद ने एक और दांव चलकर अपनी सियासी ताकत प्रदर्शित करने की योजना तैयार की है।

संतों का मिला समर्थन

सांसद बृजभूषण शरण सिंह को संतों का आशीर्वाद मिल गया है। उनके समर्थन में आए संतों का कहना है कि आरोप सही हैं या गलत ये तो जांच एजेंसियां बता सकती हैं। लेकिन ये भी सही है कि बृजभूषण शरण सिंह उत्तर प्रदेश के पहलवानों को आगे बढ़ाना चाहता थे जिसके कारण अन्य राज्यों के पहलवानों को ये बात खटकने लगी थी। आयोध्या के महंत प्रेम दास का कहना है कि वर्तमान में अयोध्या का संत समाज बृजभूषण के साथ है। दो दिन पहले रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के साथ बृजभूषण भी मंच पर थे।

करनैलगंज में 11 जून को बड़ी रैली

सांसद बृजभूषण शरण सिंह अपनी सियासी ताकत दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही कारण है कि 11 जून को करनैलगंज में उन्होंने एक बड़ी रैली निकालने की तैयारी की है। हालांकि उनके समर्थक भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देशों के तहत इस आयोजन को करने की बात कह रहे हैं।उनका दावा है कि सबके बीच अयोध्या का संत समाज जहां उनके समर्थन में है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार की नौ साल की उपलब्धियां बताने के लिए लिए यह मंच सबसे बेहतर होगा। इसी बीच यह भी माना जा रहा है कि खाप पंचायतों से मिल रही चुनौती के कारण बृजभूषण शरण सिंह अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं। इसके बाद भी राजनैतिक संकट से इंकार नहीं किया जा सकता है।

9 जून का मिला है अल्टीमेटम

यहां यह बताना भी जरूरी है कि खाप पंचायतों ने 9 जून तक का अल्टीमेटम दिया है। खाप पंचायतों का कहना है कि यदि बृजभूषण शरण सिंह की उपरोक्त अवधि में गिरफ्तारी नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।इस मामले को जातीय रंग की ओर बढ़ता देख सरकार और भाजपा नेतृत्व सतर्क हो गई है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि 5 जून को अयोध्या में होने वाली जन चेतना रैली को प्रशासन ने इसी वजह से हरी झंडी नहीं दी।स्थानीय सांसद और भाजपा संगठन का एक बड़ा हिस्सा भी वहां राजनीतिक समीकरणों के प्रभावित होने की आशंका के चलते अंदरखाने इस कार्यक्रम के विरोध में पहले से ही खड़ा था।

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