देश में इन दिनों आदिपुरूष फिल्म पर विवाद मचा है. लोग फिल्म को बैन करने की मांग कर रहे है. लोगों का कहना है कि फिल्म के जरिए निर्माताओं द्वारा धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया है. खासतौर पर फिल्म में भगवानों को मेकर्स द्वारा जिस तरह दिखाया गया , उस पर लोग भड़क रहे है. सोशल मीडिया पर तो फिल्म को बैन करने की भी मांग की जी रही है. हालांकि मेकर्स ने डायलॉग बदलने का फैसला कर लिपापोटी करने की कोशिश की है. लेकिन अब यहां सवाल उठता है कि क्या आदिपुरुष फिल्म के निर्माताओं द्वारा जानबूझकर रामायण और भगवानों का अपमान किया गया.चलिए जानते हैं..
डायरेक्टर से थी उम्मीद
डायरेक्टर ओम राउत तान्हाजी जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म बना चुके है. लोगों को उम्मीद थी कि वे रामायण में भी कमाल करेंगे. फिल्म के निर्माताओं ने भी आदिपुरूष के लिए 600 करोड़ का बजट रखा था, जिससे फैंस के बीच काफी एक्साइटमेंट बढ़ गई थी. लेकिन जिस प्रकार की फिल्म फैंस को देखने को मिली है, उससे दर्शकों के बीच सिर्फ निराशा ही निराशा है.
बैन करने की हो रही मांग
रिलीज के बाद से ही फिल्म को बैन करने की मांग उठ रही है . साधु संत सहित आम जनता फिल्म के विरोध में उतर आई है. लोगो का कहना है कि फिल्म से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई है. दिल्ली हाईकोर्ट में फिल्म को बैन करने के लिए जनहित याचिका भी लगाई जा चुकी है. वहीं लखनऊ में फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ हिंदु सेना द्वारा केस दायर किया गया. काठमांडू में आदिपुरूष के कारण बॉलीवुड़ की सारी फिल्मों को बैन कर दिया है.
क्या जानबूझकर की गई गलतियां ?
भारतीय घरों में बचपन से रामायण बच्चों को बताई जाती है. आप भी अपने बचपन से रामायण के बारे में सुनते आ रहे होंगे. इस पर कई फिल्मे भी बनी है, जिन्हें लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि जो कहानी लोगों को बचपन से पता है , वो गलत ढंग से आदिपुरूष के निर्माताओं द्वारा क्यों दिखाई गई. अब इसके पीछे कई कारण हो सकते है. लेकिन इसका प्रमुख कारण पब्लिसिटी है. लोग भले ही फिल्म की बुराई कर रहे , लेकिन लोग फिल्म की बात जरूर कर रहे है जिससे फिल्म को फायदा हो रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म ने तीन दिन में वर्ल्ड वाइड 300 करोड़ का ग्रोस कलेक्शन कर लिया है. ऐसा ही वाक्या फिल्म पद्मावत के दौरान भी देखा गया था, जब फिल्म को बैन करने की मांग की थी. उस समय भी फिल्म पद्मावत ने 350 करोड़ की कमाई की थी और साल की सबसे बड़ी हिट साबित हुई थी.
फिल्म की खामियां
बचपन में हमने पढ़ा है कि रावण की लंका सोने की थी, वो जनेऊदारी , महाविज्ञानी था , लेकिन फिल्म में रावण को किसी मुगल से कम नहीं बताया गया है. फिल्म में रावण की सोने की लंका को काला बना दिया है. वहीं फिल्म में रावण पक्षी को मांस खिलाते नजर आ रहा है. भगवान हनुमान की बात करें तो वे हम सभी को के पूज्य है. उन्हें बल और बुध्दि का देवता कहा जाता है. लेकिन फिल्म में वे जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते है, बहुत ही अशोभनीय है. फिल्म में भगवान हनुमान के लुक में दाढ़ी रखी गई , साथ ही वे कंधो पर चमड़े का बेल्ट भी पहने नजर आ रहे है. इतना कम न तो फिल्म के डायलॉग राइटर का कहना है कि उनकी दादी नानी द्वारा बचपन में ऐसी ही रामायण सुनाई गई है. जब पब्लिक उनके इस बयान पर भड़क गई, तो उन्होंने फिल्म के विरोध करने वालों को श्रीराम का विरोध करने वाला बता दिया. वहीं फिल्म के डायरेक्टर तो एक कदम और आगे है. उनका कहना है कि हमने रामायण नहीं बनाई है , बल्कि रामायण के प्रसंग फिल्म में लिए है. जबकि कुछ महीने पहले मीडिया में में वे साफ कह चुके थे कि आदिपुरूष में रामायण दिखाने वाले है.