मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं। इससे पहले भोपाल से लेकर दिल्ली तक कई बार यहां के मुख्यमंत्री कीे बदले जाने की चर्चा सुर्खियों में रही। जब जब शिवराज सिंह चौहान दिल्ली दौरे पर जाते तब तब ये चर्चा और बढ़ जाती कि वे कुर्सी बचाने दिल्ली गए हैं। अब केन्द्र की मोदी सरकार ने अचानक से एक साथ 13 राज्यों के राज्यपालों को बदला है। इसके बाद ये चर्चा जोरों पर है कि मध्यप्रदेश का नाम राज्यपाल बदले जाने वाली सूची में भी शामिल नहीं है, अखिर मध्यप्रदेश को लेकर बीजेपी क्या रणनीति बना रही है। क्या यहां भी किसी ‘पोखरण विस्फोट’ की उम्मीद की जा सकती है।
- 2024 की तैयारी के बीच बदले 13 राज्यपाल
- एमपी में न राज्यपाल बदले न मुख्यमंत्री
- मप्र में साल के अंत में होना है विधानसभा चुनाव
- दिग्विजय ने सीएम बदले जाने का ट्वीट कर फैला दी थी सनसनी
- कांग्रेस देती रही सीएम बदलने की खबरों को हवा
दरअसल मध्यप्रदेश में जब जब मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा ने जोर पकड़ा तब शिवराज सिंह चौहान दिल्ली दौरे पर रहे। 2021 में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने यह ट्वीट करके कि मप्र में मुख्यमंत्री बदलने वाले हैं, सियासी हलचल बढ़ा दी थी। 18 जुलाई 2021 को दिग्विजय सिंह ने ये ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि आजकल भाजपा मोदी शाह अपने मुख्यमंत्रियों को बदल रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी कुछ हमारे भाजपा के अपने आप को योग्य समझने वाले नेताओं की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कितने और कौन कौन मप्र भाजपा में उम्मीदवार हैं कोई हमें बता सकता है? नहीं बताओगे तो मैं कल सूची दे दूँगा। हालांकि कुछ हुआ नहीं।
कांग्रेस सीएम बदलने की खबरों को खूब हवा देती रही। कुछ महीने पहले भी इसे जोरशोर से हवा दिया गया था। जब एमपी में बीजेपी नेताओं की मैराथन मीटिंग चल रही थी। इस बीच बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने सफाई दी थी कि ऐसी कोई बात नहीं है। एमपी में हमारे नेता शिवराज सिंह चौहान ही हैं। अब जब केन्द्र सरकार ने करीब 13 राज्यों के राज्यपालों को बदला, तो एक बार फिर सियासी सुर्खियां बन गई। क्योंकि इसमें मध्यप्रदेश का नाम नहीं था। यानी मध्यप्रदेश में न सीएम बदले न गर्वनर।
एक झटके में संसदीय बोर्ड से शिवराज का हटाया था
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को करीब 6 महीने पहले बीजेपी संसदीय बोर्ड से हटा दिया है। 9 साल बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बाहर कर दिया गया था। उनकी जगह प्रदेश के दलित नेता सत्यनारायण जटिया को सदस्य बनाया गया था। तब भी विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान की छुट्टी को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे। इसके साथ ही कई सवाल भी उठ रहे थे कि क्या बीजेपी इस बार एमपी में चेहरा बदलना चाहती है या फिर शिवराज सिंह चौहान के सहारे ही पार्टी आगे बढ़ेगी। क्योंकि इस बार पार्टी महापौर चुनाव में 16 में से 7 सीटों पर चुनाव हार गई है। एक सच ये भी है कि बीजेपी की इस सर्वोच्च नीति निर्धारक बॉडी में बीजेपी शासित राज्यों का कोई भी सीएम शामिल नहीं है। कारण जो भी हो, लेकिन इतना तय है कि पार्टी में चौहान का कद घटा है।
मोदी के करीबी हैं मंगूभाई पटेल
दरअसल गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 10 साल तक मंत्री रहे मंगुभाई पटेल को जुलाई 2021 में ही मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। मंगुभाई पटेल से पहले आनंदीबेन पटेल भी मध्य प्रदेश के गर्वनर का चार्ज संभाल चुकी हैं। बता दें मंगुभाई पटेल की गितनी गुजरात के कद्दावर नेताओं में होती है। वे 6 बार विधायक भी रह चुके हैं। वे 1990 से 1995 तक, 1995 से 1997 तक, 1998 से 2002 तक, 2002 से 2007 तक विधायक रहे। फिर 2012 से 2017 तक के लिए भी विधायक चुने गए। गुजरात जनसंघ के वक्त से ही संगठन से जुड़े मंगुभाई पटेल केशुभाई सरकार के दौरान 10998 से लेकर 2002 तक राज्य स्तर के मंत्री रहे। मंगुभाई पटेल की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी लोगों में होती है। 2002 से 2012 तक मंगुभाई ने गुजरात के वन और पर्यावरण मंत्रालय का कार्यभार संभाला। लगातार 10 साल तक वे वन एवं पर्यावरण मंत्री के तौर पर कार्यरत रहे। 2013 में वे विधासभा अध्यक्ष भी बनाए गए।
मिशन 2024 की तैयारी में मोदी शाह
राज्यपाल बदलने वाले राज्यों में महाराष्ट्र सबसे महत्वपूर्ण है। वहां राज्यपाल रहते हुए भगत सिंह कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी के बारे में विवादित बयान देकर बीजेपी को दबाव में डाल दिया था। हालांकि कोश्यारी भी राज्यपाल के पद से हटने की इच्छा जता चुके थे। बिहार में भी राज्यपाल बदले हैं। दरअसल इन दोनों राज्यों में बदले गठबंधन के समीकरण को लेकर बीजेपी काफी दबाव में है। इसलिए बीजेपी शासित केंद्र सरकार किसी ऐसे को इन राज्यों के राजभवन में स्थापित करना चाहती थी ताकि राजभवन के माध्यम से राज्य प्रशासन की कमियों को उजागर किया जा सके। शायद इसी वजह से छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के राज्यपाल बदले गए। बीजेपी की कड़ी अब इन राज्यों में भी कमजोर हो गई है। लिहाजा वे मिशन 2024 को लेकर अपने प्लान में दुरुस्त रहना चाहते हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव में महज 14 महीने ही बचे हैं। बीजेपी ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी न केवल पार्टी स्तर पर बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी लोकसभा के सामने कोई खामी नहीं रख पा रही है। इसीलिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने रविवार को एक साथ 13 राज्यों के राज्यपाल बदले।