भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में इस बार 370 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है यह लक्ष्य 2019 की तुलना में 67 अधिक है। इसके अलावा बीजेपी ने एनडीए के लिए अबकी बार 400 का नारा दिया है। जिसे हासिल करने के लिए बीजेपी को अकेले अपने दम पर 370 सीट जीतना होगी। बता दें लोकसभा में 543 सीटें हैं। बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 282 और पांच साल बाद 2019 में 303 सीट पर जीत हासिल की थीं।
यूपी में पीएम मोदी करेंगे चुनावी शंखनाद
- पश्चिम मेरठ में रैली के साथ होगी शुरूआत
- पूर्व में वाराणसी से अभियान की शुरुआत
- पूर्व से पश्चिम तक चुनावी शंखनाद करेंगे पीएम
- 55% वोट के लिए बीजेपी शुरू कर रही मिशन 370
- वाराणसी की 650 बूथों पर होगी टिफिन बैठक
- टिफिन बैठक में वर्चुअल जुड़ेंगे पीएम मोदी
- प्रत्येक बूथ से जुड़ेंगे कम से कम 100 कार्यकर्ता
- 65 हजार कार्यकर्ताओं को पीएम मोदी देंगे टिप्स
- बूथ मजबूत करने का तरीका बताएंगे पीएम मोदी
- प्रदेश के 1.63 लाख बूथों पर होंगे कार्यक्रम
- कार्यक्रम के शुभारंभ करने के बाद जुड़ेंगे बड़े नेता
- अमित शाह, जेपी नड्डा भी बूथ कार्यक्रमों में जुड़ेंगे
- सीएम योगी भी बूथ से जुड़े आयोजनों में होंगे शामिल
पिछली बार 303 पार, इस बार 67 की और दरकार
पीएम मोदी ने मतदाताओं से भाजपा को 543 में से 370 सीटें दिलाने के लिए प्रत्येक बूथ पर अतिरिक्त 370 वोट सुनिश्चित करने की अपील की है। भाजपा 370 सीटों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पार्टी के संसाधनों को जोड़ रही है। इससे पहले पार्टी ने चुनाव प्रचार के लिए देश भर के 300 जिलों में कॉल सेंटर स्थापित किए थे। अब इसने 370 लोकसभा सीटों पर कॉल सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया है। दरअसल 370 सीट का आंकड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को हटाने से जोड़ा है। जम्मू और कश्मीर में मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त किया था। एनडीए ने दूसरी बार सत्ता में लौटने के तुरंत बाद अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था। पिछले माह फरवरी में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा था 370 भाजपा के लिए केवल एक संख्या नहीं है, यह एक गहरी भावना का प्रतीक है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने हमारे देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए अपना बलिदान दिया था। उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में बीजेपी को लोकसभा की 370 सीटों पर जीत हासिल करनी चाहिए। हालाँकि, यह संख्या बीजेपी की बढ़ती राजनीतिक महत्वाकांक्षा के साथ-साथ पार्टी की ओर से एक बड़ा लक्ष्य-निर्धारण की नीति को दर्शाता है। चुनावों को एनडीए के लिए एक आसान जीत के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन 67 और सीटें जोड़ना पार्टी के लिए एक कठिन काम हो सकता है।
कैसे सुलझेगा सीटों का अंकगणित
राजनीतिक विश्लेषक भी इस बात से सहमत हैं कि बीजेपी के सत्ता में लौटने की बहुत संभावना है, लेकिन पार्टी के लिए 370 सीटों का लक्ष्य कठिन है। इसके लिए उसे उन राज्यों को फिर से क्लीन स्वीप करना होगा जहां उसने 2019 के चुनाव में सभी सीटें जीती थीं। इन राज्यों में बीजेपी को अपनी बढ़त बनाए रखना होगा। इस राज्यों उसने आधी से अधिक सीटें जीती थीं। जिसमें मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड और कर्नाटक ऐसे राज्य हैं जहां 2019 में बीजेपी ने क्लीन स्वीप या लगभग क्लीन स्वीप किया। लेकिन राजस्थान और हरियाणा में बीजेपी को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। राजस्थान में बीजेपी ने पिछली बार 24 सीटें जीतीं। इस बार का लोकसभा चुनाव सीएम भजन लाल शर्मा के लिए एक बड़ी परीक्षा होगी। जिन्हें 2023 में मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदाता अलग-अलग मतदान करते हैं, लेकिन बीजेपी के लिए चिंता की बात यह हो सकती है कि राज्य में पार्टी की सीधी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस ने पिछले साल के विधानसभा चुनावों में लगभग 10 लोकसभा क्षेत्रों में बड़ा वोट शेयर हासिल किया था।
जम्मू कश्मीर और राम के भरोसे भाजपा का लक्ष्य
भाजपा ने यूपी में 2019 के चुनाव में 80 सीटों में से 62 पर जीत हासिल की। इस बार राम मंदिर मुद्दे के कारण इस संख्या में बढ़ोत्री की उम्मीद उसे नजर आ रही है। पश्चिम बंगाल में भाजपा के पास 2019 में जीती गई कुल 42 सीटों में से 18 सीटों से अपनी संख्या में सुधार करने का एक बड़ा अवसर है। हरियाणा में बीजेपी का वोट शेयर कम हो सकता है, जहां उसने 2019 में सभी 10 सीटें जीती थीं। दरअसल किसान विरोधी आंदोलन और विभिन्न वर्गों में असंतोष के चलते राज्य में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। हलांकि बीजेपी ने जनता के मूड को भांपते हुए चुनाव से कुछ दिन पहले खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था। वहीं महाराष्ट्र में जहां भाजपा ने 48 में से 41 सीटें जीतीं थी वहां विपक्षी गठबंधन को देखते हुए एक चुनौती हो सकती है। जबकि भाजपा ने शिवसेना के साथ-साथ राकांपा को भी विभाजित करके विपक्ष की ताकत कम की है। दक्षिण के राज्य आंध्र प्रदेश में भाजपा ने 2019 में 25 में से कोई सीट नहीं जीती। यहां पार्टी के लिए इस बार उम्मीद नजर आ रही है। जहां उसने टीडीपी और जनसेना के साथ गठबंधन किया है। तेलंगाना में पार्टी ने 17 में से 5 सीटें जीतीं। यहां उसके लिए एक और अवसर है। तमिलनाडु और केरल एक या दो सीटें जीतकर बीजेपी विपक्ष को कमजोर कर सकती है, भाजपा को कभी भी कम नहीं आंक सकते जो नई जमीन तोड़ना जानती है।