उत्तर प्रदेश में भाजपा और सपा को सता रहा है चोरी होने का डर!

भाजपा का महाजनसंपर्क अभियान

अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव की तैयारी सभी दल कर रहे हैं। एक दूसरे को चुनावी अखाड़े में पटकनी देने के लिए दांव पेंच दिखाना भी शुरु कर दिया है। सबसे ज्यादा चुनौतिया उत्तर प्रदेश में हैं,वजह ये है कि दिल्ली की सत्ता के लिए उत्तर प्रदेश जीतना सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। इसलिए यहां अधिकांश राजनैतिक दल अपनी जमीन मजबूत करने में लगे रहते हैं। देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी भाजपा ने इस राज्य के लिए अपनी पूरी ताकत झौंक दी है। समाजवादी पार्टी भी कोई कम नहीं है भाजपा को चुनौती देने के लिए तैयार हो रही है। एक दूसरे के कांटे की टक्कर देने के लिए अपनी अपनी रणनीति भी बना रहीं है। लेकिन दोनों ही दलों के भीतर चोरी होने का डर है।

भाजपा का महाजनसंपर्क अभियान

भाजपा ने लोकसभा 2024 में जीत हासिल करने के लिए जनसंपर्क महा अभियान की शुरुआत कर चुकी है। 30 मई से शुरू हुआ महाअभियान है 30 जून तक चलेगा। इस अभियान में भाजपा तमाम कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। इसमें रैलियां, जनसंपर्क, टिफिन पर चर्चा,योग दिवस,मतदाता सम्मेलन,बलिदान दिवस जैसे कार्यक्रम होंगे। इससे भाजपा बूथ स्तर तक लोगो के घर पहुंचने का काम करेगी। वहीं भाजपा ने सांसदों व विधायकों को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी है।

ये रही समाजवादी पार्टी की तैयार

लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी ने भी तैयारियों शुरू कर दी हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का यूपी के सभी मंडलों के अध्यक्षों के साथ बैठकों का दौर जारी है। इसी बीच अखिलेश यादव ने सॉफ्ट हिंदुत्व का भी रास्ता अपनाया है। 9 जून को सपा भी अपने लोकसभा चुनाव के अभियान की शुरुआत करने जा रही है। इस अभियान की शुरुआत सीतापुर के नैमिषारण्य से करेगी। यहां पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन होगा। इसमें पार्टी के सभी पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष समेत सभी विधायक और सांसद शामिल होंगे।

एक दूसरे से दहशत खा रहे दल

भाजपा और सपा एक दूसरे से काफी डरे हुए है। चॅूकि सपा हिन्दुत्व की तरफ बढ़ रही है और भाजपा को टक्कर दे रही है, ऐसे में एक दूसरे को पटकनी देने के लिए कुछ नए दांव पेंचपेंच आजमाना होंगे। इसलिए बंद कमरों में दोनों ही दल बैठक करते हैं और अपनी चुनावी रणनीति बनाते हैं लेकिन मीटिंग खत्म होने के बाद चलते चलते यह भी सलाह दे दी जाती है कि अपनी नीतियां बाहर नहीं जाना चाहिए। उन्हे डर है कि विपक्षी दल उनकी रणनीति और दांव पेंच कहीं चोरी न हो जाए।

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