बीजेपी शासित कई राज्यों में पिछले दिनों नॉनवेज बैन करने का मामला सामने आया था. हालांकि विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने इस पर अपनी सफाई भी पेश की थी. लेकिन अब एक बार फिर से गुजरात में ऐसा फरमान सामने आया है, जिसने राजनैतिक पारे को चढ़ा दिया है और शायद इसमें चुनाव से पहले बीजेपी की मुश्किले भी बढ़ सकती है.
क्या है बीजेपी का मकसद
गुजरात में क्या सांप्रदायिक सियासत को हवा दे रही है बीजेपी, क्या नॉनवेज बैन है बहाना, सियासत है चमकाना. आखिर क्या है बीजेपी का मकसद. सूबे की सियासत में ये सवाल लगातार उठ रहे है. क्याेंकि फरमान ही कुछ ऐसा सुनाया गया है. जिससे विपक्ष के साथ साथ आम जनता ने भी पटेल सरकार को अपने निशाने पर लिया है. दरअसल, गुजरात के कई जिलों में सड़कों से नॉनवेज और अण्डे की दुकाने हटाए जाने का मामला सामने आया है. अहमदाबाद में बीजेपी शासित नगर निगम ने सार्वजनिक सड़कों, स्कूलों और धार्मिक स्थलों से 100 मीटर की दूरी पर चलने वाले नॉनवेज खाने के ठेलों को हटाने का फैसला किया है. इसी के साथ कई और जिलों में भी ये आदेश जारी किया जा सकता है, इसे लेकर विपक्ष सरकार की आलोचना कर रहा है.
पटेल सरकार की सफाई
इस बीच मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने सफाई दी है. उन्होंने कहा की लोगों की अलग-अलग खानपान की आदतों से कोई समस्या नहीं है. गंदगी के साथ खाने-पीने की चीजे बेंचने वाले या शहर की सड़कों पर ट्रैफिक में बांधा डालने वाले रहड़ी वालों पर कार्रवाई की जा सकती है. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पटेल ने कहा कि लोग क्या खाते है, इससे सरकार को मतलब नहीं. कुछ लोग शाकाहारी खाना खाते है तो कुछ मांसाहारी खाना खाते है. बीजेपी सरकार को इससे कोई समस्या नहीं है. हमारी चिंता ये है कि रहड़ी पर बेचे जाने वाला खाना साफ सुतरा होना चाहिए.
इसी के साथ भूपेन्द्र पटेल ने ये भी कहा की अगर सड़कों पर ट्रफिक में दिक्कत होती है, तो स्थानीय निकाय अपने हिसाब से फैसला ले सकता है. यानी साफ है कि सरकार ने तो सारा ठिकरा स्थानीय प्रशासन पर ही फोड़ दिया है. लेकिन यह मामला इतनी जल्दी शांत होने वाला नहीं है.