बिलावल को बुलाने के पीछे राजनीतिक कूटनीति या मजबूरी या पाकिस्तान को घुटने पर लाने की तैयारी

क्यों भेजा गया है बिलावल को निमंत्रण?

बिलावल को बुलावा कूटनीति या मजबूरी

2019 में तीन बड़ी घटनाएं होती हैं, जिनसे भारत और पाकिस्तान के संबंधों में एक अहम मुकाम आता है। दोनों देशों के बीच रिश्तों की तल्खी बेहद बढ़ जाती है और दोनों देश एक-दूसरे से बेहद दूर हो जाते हैं।

14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती आतंकी हमले में 40 CRPF जवान शहीद हो जाते हैं। इसके बारह दिन बाद यानी 26 फरवरी 2019 को इंडियन एयरफोर्स पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक करती हैं। इसमें कई आतंकियों के मारे जाने का दावा किया जाता है। इसी साल 5 अगस्त को भारत सरकार जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए अनुच्छेद 370 को निरस्त कर केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर देती है।

पाकिस्तानी विदेश मंत्री को भारत का आमंत्रण

दोनों देशों के बीच रिश्ते अब तक गर्म ही रहे हैं। द्विपक्षीय बातचीत बंद है, व्यापार न्यूनतम है और गर्मजोशी बिल्कुल नदारद है। फिर भी, 25 जनवरी को भारत की ओर से पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्‌टो जरदारी को SCO बैठक में आने के लिए न्योता भेजा जाता है। SCO की विदेश मंत्री स्तर की बैठक मई में गोआ में होनी है। ये न्योता भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के जरिए भेजा गया है।

SCO में भारत और पाकिस्तान के अलावा चीन, रूस, कजाकिस्तान किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इस बैठक के लिए चीन और रूस समेत दूसरे मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों को भी न्योजा भेजा गया है। ऐसे में पाकिस्तान के विदेश मंत्री को न्योता भेजा जाना काफी सामान्य कदम लगता है, लेकिन क्या मामला इतना ही है?

खासकर तब, जब दिसंबर तक बातचीत का माहौल नहीं था

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्‌टो जरदारी ने 16 दिसंबर 2022 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया और कहा, ‘ओसामा बिन लादेन मर चुका है पर बूचर ऑफ गुजरात जिंदा है और वो भारत का प्रधानमंत्री है। जब तक वो प्रधानमंत्री नहीं बना था तब तक उसके अमेरिका आने पर पाबंदी थी।’

बिलावल ने यह बयान एक दिन पहले UNSC में जयशंकर के बयान के बाद दिया था। 15 दिसंबर को UNSC में जयशंकर ने कहा था, ‘जो देश अल-कायदा सरगना ओसामा बिन-लादेन का मेजबान हो सकता है और अपने पड़ोसी देश की संसद पर हमला करवा सकता है, उसे UN में उपदेशक बनने की कोई जरूरत नहीं है।’

ऐसा क्या बदल गया, जो न्योता गया

इसी साल 6 जनवरी को पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ भारत से बातचीत शुरू करने की भीख मांगते हैं। उन्होंने कहा, मने भारत के साथ 3 युद्ध लड़े। इससे लोगों को केवल गरीबी, बेरोजगारी ही मिली। हमने अपना सबक सीख लिया है। हम शांति के साथ रहना चाहते हैं। भारत-पाकिस्तान में सीधी बातचीत होनी चाहिए।’

इतना ही नहीं, यूएई से भी मध्यस्थता के लिए पाकिस्तान की तरफ से लगातार पैरवी होती रही। 19 जनवरी को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शाहबाज शरीफ वाले बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से पाकिस्तान के साथ सामान्य रिश्ते बनाए रखना चाहता है। हालांकि इस तरह के रिश्ते के लिए आतंक और हिंसा से मुक्त माहौल होना जरूरी है। ऐसी बातचीत के लिए अमन का माहौल भी होना चाहिए। हमारा हमेशा से यही नजरिया रहा है।

इसके साथ ही, कुछेक दिनों बाद ही लश्कर के आतंकी मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाता है और इस बार चीन भी उनको बचाने नहीं आता। 2022 में इसी चीन ने मक्की समेत पाकिस्तान में मौजूद पांच आतंकियों को बचाया था। इसी के बाद वह न्योता जाता है, जिसके कारण लगभग 12 साल बाद, पहली बार पाकिस्तानी विदेश मंत्री भारत आ सकता है।

इतना ही नहीं, चीन ने खुद अपने इस कदम पर सफाई देते हुए कहा है कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। इसके पहले 2022 में चीन ने मक्की समेत पाकिस्तान में मौजूद पांच आतंकियों को ग्लोबल आतंकी घोषित होने से बचाया था। राजनयिक हल्कों में इन दो घटनाक्रमों को पाकिस्तान के सकारात्मक रुख के रूप में देखा जा रहा है।

पाकिस्तान क्या कभी सुधर सकता है?

हालांकि, तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान आतंक की नर्सरी है औऱ वह कभी सुधर नहीं सकता है, लेकिन भारत के लिए विकल्प सीमित हैं। एक पड़ोसी को आप आखिरकार और कैसे साध सकते हैं?

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर होने की संभावना नजर आती है। इसकी एक मजबूत वजह यह भी है कि इस वक्त पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक है। हालांकि, पाकिस्तानी सरकार में ही भारत से बातचीत करने के मुद्दे पर सभी मंत्री और सांसद में मतभेद है।  पाकिस्तान में सरकार के अलावा सेना अहम रोल अदा करती है। सेना के बड़े अधिकारी का अभी दोनों देशों के रिश्तों पर कोई बयान नहीं आया है।

ऐसे में इस शाहबाज के बयान और बिलावल भुट्टो को भेजे गए न्योते को अभी सिर्फ बेहतर रिश्ता बनाने के प्रयास के तौर देखना चाहिए।SCO का मेजबान देश होने के नाते भारत ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री को न्योता भेजा है। चूंकि पाकिस्तान भी SCO का मेंबर है, ऐसे में नई दिल्ली खुद को गलत नहीं दिखाना चाहेगा। जब तक SCO के इतर भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता नहीं होती, तब तक संबंधों में किसी प्रगति की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

हालांकि, इसकी वजह से दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए एक पॉजिटिव माहौल तैयार हो सकता है।

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