बिहार…ये अंधा कानून है!

बिहार में रहा दागियों का दबदबा 

बिहार…ये अंधा कानून है!

बिहार में नीतीश कुमार सरकार में कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज  है। ऐसे में जहां कुछ दिन पहले सरकार में साथ रहने वाली बीजेपी जो अब विपक्ष में आ गई है उसके नेता लगातार नई सरकार पर हमला कर रहे हैं। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि बिहार के नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह पर अपहरण का केस दर्ज है। बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने दावा करते हुए कहा  जिस दिन कार्तिकेय को अदालत में आत्मसमर्पण करना था। उसी दिन उन्हें कानून मंत्री की शपथ दिलाई गई।ऐसे में बीजेपी ने नीतीश सरकार के कई मंत्रियों पर सवाल उठाए। हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि जब बीजेपी बिहार में गठबंधन के साथ सरकार में थी। तब बीजेपी के कोटे से बने 11 मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। 8 मंत्री तो ऐसे थे जिनके खिलाफ गंभीर अपराध के मामले दर्ज थे। गंभीर अपराध मतलब दुष्कर्म हत्याए अपहरण  या ऐसे मामले जिनमें पांच साल या उससे ज्यादा की सजा का प्रावधान हो।

बिहार में रहा दागियों का दबदबा 
बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब  एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी एडीआर ने 243 में से 241 विधायकों के शपथ पत्र का एनालिसिस किया था। और बताया था कि जो लोग जीतकर आए हैं। उनमें से 142 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन्हीं में से 123 पर गंभीर किस्म के अपराधिक मामले दर्ज थे। वहीं 2015 में विधानसभा चुनाव मं 243 विधायकों में से 142 पर अपराधिक मामले दर्ज थे। जबकि 98 ऐसे थे जिनके खिलाफ गंभीर अपराध के केस दर्ज किये  गये थे। 2010 के चुनाव में 136 विधायकों के नाम इस सूची में थे।  जिनमें से 94 ऐसे थे जिन पर गंभीर आपराधिक केस थे।

बिहार ही नहीं दूसरे राज्य भी हैं आगे 

कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश राज्यों में कई  कैबिनेट में दागी  हैं। पिछले दिनों फरवरी मार्च में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिनमें उत्तराखंड और मणिपुर को छोड़कर दूसरे चारों राज्यों की कैबिनेट में दागी मंत्रियों को जगह दी गई। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में 53 मंत्री में से 20 पर गंभीर आपराधिक केस दर्ज हैं। वहीं पंजाब की भवगंत सिंह मान सरकार में 11 में से 4 पर गंभीर आपराधिक केस दर्ज हैं। गोवा के 9 में से 3 मंत्री ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक केस दर्ज हैं।

दीदी के 7 मंत्री दागी
गतवर्ष भी पांच राज्यों में चुनाव हुए थे। जिनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी शामिल है। इनमें पश्चिम बंगाल की सरकार के 44 में से 7 मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक केस हैं। बात कर तमिलनाडु की तो वहां 34 में से 16 ए असम के 14 में से 1 और केरल के 21 में से 5 मंत्री  गंभीर आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं।

चुनाव लड़ने से चुनाव आयोग  रोक नहीं सकता

भारत का संविधान कहता है कि जब तक दोष साबित नहीं हो जाता। तब तक व्यक्ति को निर्दोष माना जाता है। लिहाजा किसी व्यक्ति पर कोई भी आपराधिक मामला दर्ज हो तो भी उसे चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते। हालांकि  दोष साबित होने पर चुनाव लड़ने का अधिकार खत्महो जाता है।  इसी तरह सांसद विधायक बनने के बाद दोष साबित होने पर  उसे 2 साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो संबंधित की सदस्यता तत्काल रद्द मानी जाती है। इतना ही नहीं अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रबिंध श्राी भी लगया  जाता है।

पहले नहीं था आपराधिक मामले बताया
20 साल पहले स्थित ये थी कि  चुनाव में उतरने से पहले अपने शपथ पत्र में आपराधिक मामलों की जानकारी देना जरूरी नहीं था। हालांकि 2002 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद श्पथ पत्र  में आपराधिक मामलों की जानकारी देना जरूरी किया गया। बता दें राजनीति ओर अपराध का संबंध तोड़ने के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक गाइडलाइन जारी की थी। जिसके मुताबिक हर राजनीतिक पार्टी को अब अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया पर क्रिमिनल केस वाले उम्मीदवारों की जानकारी देना होगी।  साथ ही ये भी बताना जरूरी है कि इन्हें टिकट क्यों दिया गया। यही जानकारी अखबारों में भी देना जरूरी है।

बदले की भावना को बनाया अस्त्र

हालांकि राजनीतिक पार्टियों दो कदम आगे निकलकर आ गई है। उन्होंने  इसका तोड़ निकाल लिया है। वजह के रुप में बताया जाता है कि उम्मीदवार पर राजनीतिक बदले की भावना से प्रकरण दर्ज किया गया।साथ ही  बताती हैं कि ये बाकी उम्मीदवारों से अच्छा था। इसलिए इसे टिकट दिया गया है। पिछले साल अगस्त में सीनियर वकील विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की थी।  रिपोर्ट में बताया था कि देशभर की अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4859 आपराधिक मामले लंबित हैं।  रिपोर्ट में ये भी बताया था कि राज्य सरकारों ने अपनी पार्टी के कई सांसदों और विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामलों को वापस ले लिया ।

बोले लालू कोई मामला नहीं 
बिहार के नए कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार सिंह का नाम विवादों में है।  बीजेपी का कहना है कि उनका नाम अपहरण का मामला दर्ज है। बावजूद उनको कानून मंत्री बनाया गया। दूसरी तरफ लालू यादव ने कार्तिकेय का सपोर्ट किया है। कानून मंत्री  कार्तिकेय सिंह पर लगे आरोपों को लालू प्रसाद यादव ने सिरे से खारिज किया है। उनकाकहना है  ऐसा कोई मामला नहीं है।

रवि शंकर ने नीतीश को बताया बेचारा
बीजेपी ने कार्तिकेय कुमार का जिक्र करते हुए सीएम नीतीश पर हमला किया है। बीजेपी रवि शंकर प्रसाद ने बिहार सीएम को घेरा है। रविशंकर प्रसाद ने कहा अब बिहार में अपहरण खौफ और वसूली का राज आ गया है। मंत्री कार्तिकेय कुमार सिंह पर संगीन आरोप है। जो अब कानून मंत्री हैं। वहीं नीतीश पर तंज कसते हुए रविशंकर प्रसाद बोले नीतीश बाबू को क्या कहा जाए। वे बेचारे हो गए हैं।

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