बिहार में चुनावों में अभी वक्त है लेकिन सियासी बयार अभी से जोर पकड़ रही है। बिहार में सुशासन बाबू नीतिश कुमार के महागठबंधन के लिए कई सारे दुश्मन हैं। इनमें राजनैतिक दलों से साथ साथ नीतिश के पुराने साथी भी हैं।
रिसर्च बेस्ट राजनीति करना चाहते हैं पीके
पीके की टीमें बिहार के एक एक मतदाता से मिल रही है
शिक्षा और रोजगार को मुद्दा बनवाना चाहते है चुनावों में
बिहार की जनता की समस्याओं के समाधान का ब्लू प्रिंट भी तैयार किया है।
उपेन्द्र कुशवाह दे रहे हैं चुनौती
नीतिश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके पुराने साथी उपेन्द्रा कुशवाह। नीतिश कुमार का साथ छोड़ दिया है। वो पूरे बिहार में विरासत बचाओ नमन यात्रा निकाल रहे हैं। इस यात्रा के जरिए बिहार में अपना जनाधार और मजबूत कर रहे हैं साथ ही सात नीतिश की पार्टी के नाराज लोगों को पाला बदलवाने की कोशिशों में भी कुशवाह जुटे हैं। कुशवाह के साथ साथ उत्तर बिहार के कई सारे कार्यकर्ता और भोजपुर जिले का कार्यकर्ता पाला बदल चुके हैं।
प्रशांत कुमार भी बने है बड़ी चुनौती
नीतिश कुमार के एक और पुराने साथी बल्कि कहें कि मुसीबत में नीतीश की नैया पार लगाने वाले पीए मलतब की प्रशांत किशोर भी अब नीतिश के आगे ताल ठोक रहे हैं। नेताओं के बड़े मंचो और भाषणों को पीके अपने रिसर्च के जरिए कमतर साबित करने की कोशिशों में है।
खबरें हैं कि प्रशांत किशोर रिसर्च करवा रहे हैं। रिसर्च बिहार राज्य के अलग अळग हिस्सों में हो रहा है। प्रशांत की पूरी टीम बिहार में गांव गांव जाकर एक एक वोटर से मिल रही है। प्रशांत कुमार की टीम बिहार की समस्याओं पर काम कर रही है। बिहार की समस्याओं के ब्लू प्रिंट के लिए टीम ने पहले समस्यओं की लिस्ट तैयार की है और फिर चुनावों तक उनके समाधान के ब्लू प्रिंट तैयार किए जाऐंगे। पीके शायद वो पहले व्यक्ति है जिन्होंने बिहार की आम आदमी की समस्याओं पर इतनी दूर तक काम किया है।
रोजगार और शिक्षा को मुद्दा बनाना चाहते है पीके
पीके रोजगार और शिक्षा को मुद्दा बनाना चाहते हैं। पीके का मानना है कि जनता जिस मुद्दे पर वोट करती है वही उसको मिलता है । पीके उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जब राम मंदिर पर वोट दिया तो आज मंदिर बन रहा है। इसलिए वो चाहते हैं कि अब बिहार की जनता शिक्षा और बेरोजगारी पर वोट करे तो आने वाले दिनों में जनता को शिक्षा और रोजगार भी मिलेगा।
राजनैतिक शत्रुओं से घिर चुके है नीतिश
बिहार मे पीके की जनसुराज पदयात्रा निकली वहीं बिहार में उपेन्द्र कुशवाह की विरासत बचाओं नमन यात्रा। दोनों ही यात्रा सुशासन बाबू की सरकार की नाराजगी को कैश करा रही हैं.। उपेनद्र कुशवाह को केंद्र सरकार ने वाई सुरक्षा दे दी है वहीं पीके अपने रिसर्च के भरोसे जनता को रिसर्च का निचोड़ बता रहा हैं। वही समसमायिक मुद्दो पर वोट करने वाली जनता रिसर्च बेस्ड राजनीति को कितना समझेगी ये देखना होगा। लेकिन इतना तो तय है कि बिहार की राजनीति में सुशासन बाबू बुरी तरह घिर चुके हैं। अब महागठबंधन कैसे वापस सत्ता तक पहुंचेगा ये देखना दिलचस्प होगा।