लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा के साथ ही सियासी दलों ने प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगाना शुरु कर दिया है। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही के दलों में सीट शेयरिंग को लेकर मंथन का दौर जारी है। इस बीच एनडीए को बड़ा झटका लगा है। बिहार में एनडीए के सीट शेयरिंग के फार्मूले से नाराज आरएलजेपी अध्यक्ष पशुपति पारस ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है।
- पशुपति पारस का दावा उनकी पार्टी के पांच सांसद
- गठबंधन में ईमानदारी से किया काम
- उनके साथ गठबंधन में हुआ अन्याय
- अन्याय के चलते छोड़ा केंद्रीय मंत्री का पद
- पशुपति पारस ने पहले ही दिए थे एनडीए से अलग होने के संकेत
- एनडीए ने की भतीजे चिराग पासवान के साथ सीट शेयरिंग
- चिराग को हाजीपुर सहित बिहार में 5 सीट
- 2020 में हुआ था रामविलास पासवान का निधन
- 2020 के बाद लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में बंटी
- भाई पशुपति पारस ने बनाई रालोजपा
- बेटे चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी राम विलास
पशुपति पारस ने कहा उनकी पार्टी के पांच सांसद थे। पार्टी और उन्होंने गठबंधन में ईमानदारी से काम किया लेकिन उनके साथ अन्याय किया गया है। इसलिए वे केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देते रहे हैं। पिछले शुक्रवार को पशुपति पारस ने भाजपा पर उनके लोजपा गुट के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया था। उस दौरान भी संकेत दिये थे कि वे सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर जा सकते हैं। उन्होंने कहा था कि वे कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं और उनके लिए कई दरवाजे खुले हैं। बता दें बीजेपी के प्रति उनकी नाराजगी सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से उनके भतीजे चिराग पासवान के साथ सीट शेयरिंग का समझौता करने के कुछ दिन बाद सामने आई है। चिराग हाजीपुर सहित बिहार में कई लोकसभा सीटों पर केंद्रीय मंत्री के दावे की अनदेखी करते हुए लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के एक अन्य गुट के प्रमुख हैं। बता दें 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों विभाजित हो गई थी। राम विलास पासवान के भाई पशुपति पारस पासवान राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और बेटे चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी राम विलास का नेतृत्व किया। लेकिन ये दोनों ही गुट भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा रहे थे।
पारस को नहीं मिली एक भी सीट,इसलिए छोड़ा गठबंधन
बिहार में एनडीए के सीट बंटवारे से खफा आरएलजेपी अध्यक्ष पशुपति पारस ने कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ने के बाद कहा वे सीट बंटवारे से नाराज हैं। उन्होंने महज 4-5 मिनट प्रेस कॉन्फ्रेस की और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था। नाराज पारस ने इस बात का भी उल्लेख किया कि उनकी पार्टी के साथ न्याय नहीं हुआ है। बता दें पिछले दिनों बिहार को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग का फार्मूला तय हुआ था। जिसके तहत बीजेपी 17 सीट तो जेडीयू को 16 और चिराग पासवान की लोजपा रामविलास को बिहार की 5 लोकसभा सीट तो मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को एक-एक सीट दी गई। जबकि पशुपति पारस पासवान की पार्टी आरएलजेपी का खाता ही नहीं खुल सका। उनकी पार्टी RLJP को गठबंधन में एक भी सीट नहीं दी गई। जिसे लेकर पशुपति पारस ही नहीं उनकी पार्टी के दूसरे नेताओं में भी बीजेपी को लेकर नाराजगी है। से इस्तीफा भी दे दिया है। वहीं पशुपति पारस की नाराजगी का एक कारण यह भी है कि इस सीट बंटवारे में उनके भतीजे चिराग पासवान की लोजपा को लोकसभा की 5 सीटें दे दी गई। जबकि चार सीट ऐसी थी जिन पर पारस गुट का कब्जा है। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव को एलजेपी और एनडीए ने साथ मिलकर लड़ा था। तब उस समय पार्टी में दो फाड़ नहीं हुई थी। इसके बाद एलजेपी दो गुटों में बंट गई। 2019 के चुनाव में जहां एलजेपी के 6 सांसद जीतकर आए थे। जिसमें पशुपति पारस पासवान ने पांच दूसरे सांसदों के साथ मिलकर अलग गुट बना लिया। इसी दम पर पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री जगह भी मिल गई। लेकिन इस बार 2024 के चुनाव में पासा उलटा पड़ गया है। भतीजा अब चाचा पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। बिहार में लोकसभा की जो सीटें पशुपति पारस की पार्टी के कब्जे में थीं। उन पर अब चिराग पासवास की पार्टी चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी।
हाजीपुर में चाचा भतीजा हो सकते हैं आमने-सामने
माना जा रहा है कि एनडीए से अलग होकर पशुपति पारस पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से चिराग पासवान को चुनौती दे सकती हैं। उनके खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। जिससे इस चुनाव में चाचा-भतीजा आमने-सामने हो सकते हैं। वहीं अब यह भी बताया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन से भी पशुपति पारस पासवान की चर्चा चल रही है। साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि पशुपति पारस अब इंडिया गठबंधन के साथ भी जा सकते हैं।