राष्ट्रीय तकनीकी दिवस के मौके पर बिहार के ऊर्जा सचिव पंकज कुमार पाल ने कहा राज्य में अत्याधुनिक तकनीकों के समावेश से ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला है। बिहार राज्य अब आत्मनिर्भरता ही नहीं सतत विकास की दिशा में भी तीव्र गति से अग्रसर है।
- बिजली वितरण और प्रबंधन सुरक्षित और उपभोक्ता-हितैषी
- एसएएस प्रणाली से पूरे बिहार के ग्रिड उपकेंद्रों की निगरानी
- पारदर्शिता और साइबर सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है
- सघन क्षेत्रों में भी बिजली ट्रांसमिशन का काम हुआ आसान
बिहार के ऊर्जा सचिव पंकज कुमार पाल ने बताया कि विभाग की ओर से अपनाई गई आधुनिक तकनीकें जैसे जीआईएस स्विचगियर, जीआईएस आधारित मैपिंग, सबस्टेशन ऑटोमेशन सिस्टम, मोनोपोल ट्रांसमिशन टॉवर, आटोमेटेड सिस्टम बैलेंसिंग मैकेनिज्म, स्मार्ट प्रीपेड मीटर और डिजिटल भुगतान प्रणाली ने बिजली वितरण और प्रबंधन को सुरक्षित ही नहीं कुशल और उपभोक्ता-हितैषी बना दिया है।
जीआईएस स्विचगियर के इस्तेमाल से भूमि में सुरक्षित और उच्च दक्षता वाला विद्युत संचरण और वितरण संभव हो पाया है, जबकि एसएएस प्रणाली के तहत पूरे बिहार के ग्रिड उपकेंद्रों की निगरानी अब स्थानीय और दूरस्थ दोनों स्तरों पर एक साथ से की जा रही है। जिससे संचालन में जहां पारदर्शिता आ रही है वहां साइबर सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है।
सघन क्षेत्रों में भी काम करता है ट्रांसमिशन
बिहार के ऊर्जा सचिव पंकज कुमार पाल की माने तो मोनोपोल टावरों की स्थापना से शहरी के साथ ही सघन क्षेत्रों में भी ट्रांसमिशन का काम भी आसान हुआ है। जिससे बिजली परियोजनाओं को तेजी से क्रियान्वित किया जा रहा है। वहीं स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर राज्य की ऊर्जा प्रणाली का नियंत्रण कक्ष बन चुका है यह लोड और उत्पादन में संतुलन रखते हुए ग्रिड की स्थिरता बनाए रखने का भी काम करता है। इतना ही नहीं एएसबीएम के जरिये मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन अब स्वचालित रूप से सुनिश्चित किया जा रहा है। जिससे ग्रिड की स्थिरता ही नहीं सेवा की विश्वसनीयता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
डिजिटल भुगतान प्रणाली से मिली सफलता
इसके साथ ही स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग ही नहीं डिजिटल भुगतान प्रणाली ने बिजली उपभोक्ताओं को न केवल अपने बिजली उपभोग पर नियंत्रण दिया है। बल्कि भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ पारदर्शी भी बनाया गया है। बिजली वितरण कंपनियों की ओर से सुविधा ऐप भी बनाया गया है। जिससे बिजली उपभोक्ता न केवल अपने बिजली बिल का डिजिटल पेमेंट कर सकते हैं बल्कि लोड बढ़ाना या घटाना और बिजली के नए कनेक्शन के लिए आवेदन करने से ले कर बिजली चोरी की शिकायत भी की जा सकती है।
इसके अतिरिक्त सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी बिहार में बैटरी स्टोरेज भंडारण पर काम लगातार किया जा रहा है। राज्य के कजरा में 301 मेगावाट और 495 मेगावाट घंटा बैटरी स्टोरेज क्षमता के साथ सौर परियोजना पर तेजी से काम किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त नीचे मछली और ऊपर बिजली तकनीक से न केवल सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है बल्कि यहां मछली पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
तकनीकी सशक्तिकरण को मिला बल
बिजली उपभोक्ताओं के शिकायत का समाधान करने के लिए एकीकृत ओमनी सीआरएम बनाया जा रहा है। जिसे इसी महीने मई 2025 में लाइव किया जाएगा। राज्य के ऊर्जा सचिव पंकज कुमार पाल ने कहा कि यह तकनीकी सशक्तिकरण ही है। जिसकी बदौलत राज्य के दूरदराज गांव से लेकर शहर तक बिजली की पहुंच सुलभ होने के साथ सस्ती और भरोसेमंद बनी है। तकनीक के सहारे विभाग न केवल ऊर्जा ही नहीं पहुंचा रहे, बल्कि सुनहरे भविष्य की नींव भी रख रहे हैं। एक ऐसा बिहार जो पूरी तरह से आत्मनिर्भर, सतत और समावेशी विकास की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।