लोकसभा चुनाव में बहुत ज्यादा वक्त नहीं है। तमाम राजनैतिक दल अपनी चुनावी तैयारियों में लग गए है। एक दूसरे के साथ गठबंधन के लिए जोड़तोड़ भी शुरु हो गई है। खटास को मिठास में बदलकर एकजुट होने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड एक साथ होकर भी एक दूसरे से भिड़ रहे हैं। यदि इसी तरह दोनों दलों के नेताओं में तनातनी चली तो आगे महागठबंधन कैसे रह पाए ये बड़ा सवाल है।
एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोला
दरअसल कुछ दिन पहले ही जेडीयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने हाल ही में आरजेडी एमएलसी सुनील कुमार सिंह पर भाजपा की भाषा बोलने का आरोप लगाकर जंगलराज की याद दिलाई थी। इसके बाद सुनील कुमार सिंह ने भी मंत्री अशोक चौधरी पर निशाना साधते हुए कह दिया कि घाट घाट का पानी पी चुके चौधरी ने विधानमंडल में पूर्व सीएम राबड़ी देवी का अपमान करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इसके अलावा उन्होंने दावा कि या कि मंत्री चौधरी सिर्फ अपनी पार्टी को धोखा नहीं दे रहे हैं बल्कि सीएम नीतीश कुमार को भी धोखा देंगे।
सीएम का आदेश नागवार गुजरा
राष्ट्रीय जनता दल के कोटे से शिक्षा मंत्री बने चंद्रशेखर यादव सीएम नीतीश के एक आदेश से काफी नाखुश हैं। हुआ यूं कि सीएम नीतीश ने एक आदेश के तहत वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक को शिक्षा विभाग का अतिरिक्त मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया। पाठक ने पद संभालते ही शिक्षक भर्ती नियमावली में परिवर्तन कराते हुए डोमिसाइल नीति के प्रावधान को समाप्त करा दिया। साथ ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर जींस और टीशर्ट पहनकर कार्यालय आने पर प्रतिबंध लगा दिया। ये बात शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को नागवार गुजरी। फिर उनके निजी सचिव कृष्णा नंदन यादव ने 4 जुलाई को मंत्रीजी की तरफ से शिकायती पत्र केके पाठक को लिखा और उनके कामकाज के तरीकों पर सवाल खड़े कर दिए। इससे नाराज पाठक ने शिक्षा विभाग के सभी दफ्तरों में कृष्णा नंदन यादव के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। जिसके कारण मंत्री चंद्रशेखर और केके पाठक के बीच विवाद बढ़ गया।
विपक्षी दलों की बैठक से पहले होते हैं विवाद
संयोग कहें या सियासी रणनीति। जो भी हो,पर इतना जरूर है कि विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास कर रहे सीएम नीतीश कुमार जब कुनबे को एकत्रित कर बैठक की तैयारी करते हैं तभी राजद और जेडीयू में घमासान शुरु हो जाता है। पिछली बार विपक्षी दलों की बैठक 23 जून को पटना में हुई थी,इस बैठक के कुछ ही दिन पहले पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार को बड़ा झटका दिया था। उनके बेटे संतोष मांझी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और अपनी पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा को महागठबंधन से अलग कर लिया। साथ ही पार्टी के जेडीयू में विलय कराने के लिए नीतीश कुमार पर दबाव बनाने का आरोप लगा दिया।
अब दूसरी बैठक के पहले विवाद शुरु
विपक्षी दलों की इसी माह बेंगलुरु में दो दिवसीय बैठक होने जा रही है। तमाम विपक्षी दल यहां बैठकर भाजपा को मात देने के लिए रणनीति पर चर्चा करेंगे। लेकिन दूसरे राउंड की इस बैठक के पहले राजद और जेडीयू में तनातनी की खबरें आने लगी हैं। जिसमें जेडीयू कोटे से मंत्री अशोक चौधरी और राजद से एमएलसी सुनील कुमार सिंह अब आमने सामने दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा शिक्षामंत्री बनाम आईएएस अधिकारी की तकरार को लेकर जेडीयू और आरजेडी आमने सामने दिखाई दे रहे हैं।