देश में जहां 9 राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होना है, लेकिन तैयारी 2024 की चल रही है। 2024 में आम चुनाव होना हैं। देश की राजनीति अब तेजी से आगे बढ़ रही है। इस बीच छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस जहां 85वें महाधिवेशन में मंथन कर रही है तो वहीं बिहार के पूर्णिया में महागठबंधन की साझा रैली की तैयारी हो रही है। 25 फरवरी को यहां विपक्ष की एकता का शंखनाद होगा। बिहार के सीएम नीतीश कुमार का दावा है कि पूर्णिया के बाद पूरे बिहार और इसके बाद देश भर में इसे अभियान का रुप दिया जाएगा।
दरअसल पिछले दिनों पटना में आयोजित भाकपा-माले का राष्ट्रीय महाधिवेशन फासीवाद के खिलाफ लोकतंत्र की रक्षा को समर्पित था। देश बचाओ, लोकतंत्र बचाओ नारे के साथ पहले पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में विशाल रैली हुई थी। फासीवाद विरोधी लड़ाई में मैदानी स्तर पर प्रतिरोध की रणनीति बनाने के साथ ही महाधिवेशन में 18 फरवरी को बीजेपी विरोधी विपक्षी दलों के मोर्चे के निर्माण की दिशा में कन्वेंशन आयोजित किया गया था। जिसमें माकपा ही नहीं भाकपा और राजद के साथ जदयू, कांग्रेस, जेएमएम, वीसीके के नेताओं ने हिस्सा लिया था।
मोदी-शाह के गुजरात मॉडल बिहार मॉडल
चर्चा यह भी है कि मोदी-शाह के गुजरात मॉडल को 2024 में परास्त करने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। बिहार मॉडल कई वजह से बेहद खास माना जा रहा है। तीन साल पहले हुए चुनाव में बीजेपी गठबंधन को खासी चुनौती देकर और पिछले साल जब बीजेपी का अश्वमेध घोड़ा उत्तरप्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक को रौंदता हुआ आगे बढ़ रहा था। उस समय विपक्ष पस्त नजर आ रहा था। ऐसे माहौल में बिहार ने बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था। बिहार में पिछली बार बीजेपी नीत एनडीए को 40 में 39 सीटें मिली थीं। हालांकि 2024 में बड़ा उलट-फेर हुआ तो यह दिल्ली की तकदीर तय करने में निर्णायक साबित हो सकता है।
नीतीश कुमार की राष्ट्रीय पटल पर बढ़ती सक्रियता का असर पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश में पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश वो राज्य है जहां की सामाजिक संरचना बिहार के समान है। ऐसे में यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर बिहार मॉडल हावी हो सकता है। दरअसल 2014 में बीजेपी को 282 सीटें मिली थीं। तो वहीं बड़े संगठक कोई बचे नहीं। इसीलिए बिहार, उत्तरप्रदेश के साथ देश से दो दर्जन सीटें कम होते ही एनडीए के लिए खतरे की घंटी बज सकती है।
बाजी पलटने के लिए संघ-बीजेपी की कोशिश
2024 की तैयारी के बीच बिहार में विपक्ष की बड़ी बढ़त ने नीतिश को आगे किया तो इस बाजी को पलटने के लिए आरएसएस और बीजेपी के नेता नई कोशिश में जुट गए हैं। पिछले दिनों संघ प्रमुख भागवत ने भागलपुर में विपक्ष को बिना नाम लिये लताड़ लगाई थी। अब महागठबंधन विपक्षी एकता रैली वाले ही दिन 25 फरवरी को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी बिहार पहुंचने वाले हैं। वे वाल्मीकि नगर और पटना का राजनीति दौरा करेंगे। इसी बिहार से महागठबंधन बीजेपी हराओ अभियान का शंखनाद कर रहा है।