बिहार विधानसभा चुनाव: चिराग पासवान खोला माथे पर तिलक और कलाई पर कलावा बांधने का राज..जानें क्या है इसकी वजह

बिहार विधानसभा चुनाव: चिराग पासवान बताया वो क्यों बांधते हैं कलावा क्यों लगाते हैं माथे पर तिलक

बिहार में इन दिनों विधानसभा चुनावों Bihar Assembly Elections की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसके बीच केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान भी बिहार में सक्रिय नजर आ रहे हैं। चिराग पासवान Chirag Paswan ने एक निजी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में राजनीति के साथ ही अपने जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं को भी साझा किया। चिराग ने यह बताया कि वे माथे पर तिलक और कलाई पर कलावा क्यों बांधते हैं। इसके पीछे आस्था और अनुभवों की गहरी भूमिका है।

बिहार में विधानसभा चुनाव Bihar Assembly Elections की तैयारियाँ जैसे-जैसे तेज़ हो रही हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक हस्तियों की गतिविधियाँ भी बढ़ती जा रही हैं। इस सिलसिले में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान Chirag Paswan इन दिनों न केवल राजनीतिक रूप से सक्रिय दिख रहे हैं, बल्कि वे अपने आध्यात्मिक पक्ष को भी खुलकर साझा कर रहे हैं। लोजपा (रामविलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान ने बताया कि वे हमेशा से एक आध्यात्मिक व्यक्ति रहे हैं, लेकिन पिछले चार से पांच साल के दौरान उनका झुकाव धार्मिकता की ओर और अधिक गहराया है। उन्होंने कहा ‘पहले वे आध्यात्मिक व्यक्ति थे, लेकिन अब पूजा-पाठ और धार्मिक कर्मकांडों में अधिक सक्रिय हो गये हैं।

आस्था बनी विपरीत परिस्थितियों का सहारा

चिराग पासवान Chirag Paswan ने अपने जीवन के कठिन दौर को याद करते हुए कहा कि जब उनके परिवार और पार्टी में टूट की स्थिति आई। तब आस्था ने ही उन्हें धैर्य और संयम प्रदान किया है। उन्होंने यह भी साफ किया कि ‘अगर उन्होंने उस वक्त धैर्य नहीं रखा होता, तो चीजें और अधिक बिगड़ जातीं।

ध्यान से मिलती है मानसिक शांति

चिराग पासवान ने यह भी कहा है कि वे प्रतिदिन नियमित रूप से ध्यान लगाते हैं। मंत्रों का जाप भी करते हैं। इससे उन्हें न केवल तनाव से लड़ने में सहयता मिलती है, बल्कि सफलता के समय भी उन्हें अहंकार से बचने की शक्ति इससे मिलती है। चिराग Chirag Paswan के अनुसार ‘सब कुछ अस्थायी है यानी पद, प्रतिष्ठा, सत्ता, यह समझ उन्हें संतुलित रखती है।

राजनीति में सक्रियता
चिराग पासवान बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर विभिन्न जिलों में जनसंपर्क और संवाद कार्यक्रमों में जुटे हुए हैं। उन्होंने इंटरव्यू में राजनीतिक रणनीतियों के साथ-साथ अपने व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विश्वासों पर भी बात की है। कलावा (मौली) रक्षा-सूत्र की तरह काम करता है और कर्म व धर्म के संतुलन की याद दिलाता है।

राजनीति और धर्म का संतुलन
चिराग ने यह भी स्पष्ट किया कि वे धर्म का राजनीतिकरण नहीं करते, बल्कि यह उनकी आंतरिक आस्था और निजी जीवन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि “बिहार की संस्कृति गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल है। जहां धर्म का स्थान दिल में होता है, न कि भाषणों में।

भविष्य की राह
चिराग पासवान 2025 के चुनाव में “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” एजेंडे को फिर से आगे बढ़ा रहे हैं। Chirag Paswan चाहते हैं कि युवा नेता होने के नाते परंपरा और प्रगति का संतुलन बनाया जाए – जिसमें आध्यात्मिकता को भी स्थान मिले। चिराग पासवान अब केवल एक राजनीतिक चेहरा नहीं, बल्कि एक ऐसा नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं जो संस्कृति, आत्मबल और आधुनिक सोच के मेल को दर्शाता है। उनके तिलक और कलावा की परंपरा राजनीति में आध्यात्मिकता की जगह की ओर भी संकेत करती है – एक ऐसा पहलू जिसे आमतौर पर उपेक्षित किया जाता है।..प्रकाश कुमार पांडेय

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