आगामी 23 जून को पटना विपक्षी दलों की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी को मात देने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। जिसमें कई तरह के मुद्दो पर चर्चा होनी है। लेकिन जिस तरह के सियासी पेंच फंस रहे हैं उनको देखते हुए लगता है कि कई मुद्दों पर सहमति बनना बेहद कठिन होगा। राजनीति के जानकारों की माने तो सभी मुद्दों पर सहमति बनना काफी कठिन काम है। सबसे पहले तो नेता कौन होगा इसी सवाल पर विपक्षी दलों के नेताओं का भिडंत होने की पूरी शंका है। हालांकि इसी बीच एक और सवाल उठ रहा है कि विपक्षी दलों की बैठक की कमान कौन संभालेगा? इसको लेकर माना जा रहा है कि एनसीपी प्रमुख के शरद पवार कमान अपने हाथ में ले सकते हैं।
शरद पवार के हाथों में हो सकती है कमान
पटना में डेढ दर्जन विपक्षी दलों की बैठक का न्यौता भले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से भेजा गया है, मगर 23 जून की बैठक की कमान अनौपचारिक रूप से राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के हाथों में होगी। विपक्षी खेमे के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार शरद पवार के नाम पर सभी प्रमुख विपक्षी दलों के अग्रिम पंक्ति के नेताओं ने बैठक में आने की हामी भरी है। ये बात अलग है कि 14 जून की पूर्व निर्धारित बैठक इसी वजह से टाली गई थी कि राहुल गांधी समेत कई दलों के नेता उस तारीख को पटना पहुंचने में असमर्थ थे। नीतीश कुमार का स्पष्ट मत था कि बैठक होगी तो संबंधित दलों के अध्यक्ष समेत अग्रिम पंक्ति के नेताओं को शामिल होना होगा।
पवार का चलेगा पॉवर
उक्त् नेता ने कहा कि चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को जीत की संभावनायें कम नजर आ रही हैं, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बडे राज्यों में हार की वजह से कहीं लोकसभा चुनाव में वोटरों का मोमेंटम विपक्षी दलों की ओर न शिफ्ट हो जाए इसको लेकर भाजपा के शीर्ष नेता बेहद सतर्कता से मूल्यांकन कर रहे हैं, खासकर कर्नाटक विस चुनाव में हार के बाद। कर्नाटक चूंकि महाराष्ट्र का सीमावर्ती राज्य है जाहिर है कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की जीत का असर महाराष्ट्र में हो सकता है। यही वजह है कि शरद पवार को विपक्षी दलों की ओर से चुनावी गोटियां सजाने को आगे किया जा सकता है।