छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने एक बड़ा फैसला लिया है। कांग्रेस हाईकमान ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का डिप्टी सीएम बनाया है। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद पहली बार डिप्टी सीएम का पद छत्तीसगढ़ सरकार में होगा। टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाए जाने के अपने अलग राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। कथित तौर पर ढाई-ढाई साल सीएम वाले फार्मूले को दरकिनार कर दिए जाने के बाद से ही टीएस सिंहदेव की नाराजगी गाहे-बगाहे सामने आती रही है। अब भूपेश सरकार में सिंहदेव का घोषित रूप से नंबर 2 का दर्जा होगा। वैसे भी उनको नंबर 2 जैसा ही माना जाता रहा है। लिहाजा चुनाव के पहले कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव का सम्मान बढ़ाने का फैसला किया है। इससे न केवल टीएस सिंहदेव के स्वाभिमान का ध्यान रखा गया। बल्कि भूपेश सरकार में अंतर्विराेध खत्म करने और तालमेल बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। स्वयं सीएम भूपेश बघेल ने टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने के फैसले का का स्वागत कर संदेश दिया है कि आगे तालमेल बेहतर होगा। ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली में हुई बैठक के बाद डिप्टी सीएम बनाने से पहले टीएस सिंहदेव की रजामंदी ली गई इसके बाद ही उनको यह नई जिम्मेदारी उेन का निर्णय हुआ है।
सरगुजा संभाग पर खास नजर
टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाए जाने के फैसले से पहले सीएम भूपेश बघेल और सिंहदेव के बीच मनमुटाव की गई खबरें सामने आ चुकी है। इस फैसले का परिणाम यह होगा कि सरगुजा संभाग के अलावा जहां.जहां भी सिंहदेव की नाराजगी की चर्चा होती रही थी वहां अब कांग्रेस में एकता नजर आएगी। इतना ही नीह बल्कि संयुक्त रूप से कांग्रेस के लोग एक मंच पर नजर आएंगे। यह विधानसभा चुनाव की दृष्टि से इसे देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी की ताकत के बढ़ने की संभावना है। इससे बीजेपी के लिए नई मुष्किलें खड़ाी हो सकती है। बीजेपी के साथ दूसरे दल जो बार बार टीएस सिंहदेव पर नजरें लगाए हुए थे उनको भी शायद अब रास्ता नहीं मिलेगा। हालांकि सिंहदेव हर बार यह बोलते रहे कि वे कांग्रेस कभी नहीं छोड़ेंगे आखिर में यह बात प्रमाणित भी हुई। इससे हटकर विधानसभा चुनाव के दौरान अब पूरी कांग्रेस पार्टी सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में मैदान में खड़ी नजर आएगी। दरअसल अंबिकापुर से विधायक टीएस सिंहदेव की छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से सरगुजा में मजबूत पकड़ है। इतना ही नहीं सरगुजा शाही परिवार के वंशज टीएस सिंहदेव कांग्रेस में आलाकमान के भरोसेमंद भी हैं। सिंहदेव का 6 जिले से बने सरगुजा संभाग की 14 सीट पर सीधे असर माना जाता है। सरगुजा संभाग को छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी भी कहा जाता है। यही वजह है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने इन्हीं सीटों पर बड़े वोटों के अंतर से अपनी जीत दर्ज कराई थी। इसलिए सभी दलों की नजर सरगुजा संभाग पर रहती है।
लगाई जा रही थी बीजेपी में शामिल होने की अटकलें
टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला कांग्रेस ने यूं ही नहीं ले लिया। पिछले 13 जून को सिंहदेव ने अंबिकापुर में कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में कहा था कि दिल्ली में उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी। बीजेपी में शामिल होने का उन्हें प्रस्ताव दिया गया है। लेकिन वह बीजेपी में नहीं शामिल होंगे। उनके इस बयान के बाद यह अटकलें लगने लगी थीं कि टीएस कांग्रेस छोड़ सकते हैं। चुनाव से पहले वे पार्टी बदलते हैं तो कांग्रेस को इसका भारी नुकसान उठाना पकड़ता।
नाराज होकर छोड़ा था पंचायत मंत्रालय
दरअसल टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ के सीएम बनना चाहते थे। ऐसा दावा किया जाता है कि सरकार बनने के समय अघोशित तोर पर ये तय हुआ था कि पहले ढाई साल के लिए भूपेश बघेल सीएम रहेंगे इसके बाद फिर ढाई साल के लिए सिंहदेव को सीएम बनाया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं , या ये कहे भूपेष बघेल ने ऐसा होने नहीं दिया। इससे नाराज टीएस सिंहदेव ने 16 अगस्त 2022 को पंचायत और ग्रामीण मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। इतना ही नही उन्होंने सीएम भूपेश बघेल को चार पेज का लंबा लेटर लिखा था इसके कर मंत्रालय छोड़ा था। हालांकि वे स्वास्थ्य और वाणिज्यिकर मंत्री बने रहे थे। मंत्रालय छोड़ने की वजह उन्होंने प्रदेश के आवासविहीन लोगों को आवास नहीं मिलना और जनघोषणा पत्र में किए गए वादों का पूरा नहीं होना तब बताया था। ब्ता दें टीएस सिंहदेव कांग्रेस सरकार के आधार स्तंभों में से एक माने जाते हैं। 17 दिसम्बर 2018 को उन्होंने सीएम भूपेश बघेल के साथ मंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। मुख्यमंत्री भूपेश ने सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू को मंत्री बनाकर कैबिनेट का गठन करके सरकार की औपचारिक शुरुआत की थी।