मुंबई BMC चुनाव से पहले एक हो सकता है ठाकरे परिवार….एनसीपी शरद गुट और अजीत गुट का भी हो सकता है विलय…!

महाराष्ट्र में जल्दी ही बीएमसी चुनाव होना है। ऐसे में राजनैतिक दल अपनी अपनी तैयारियां तेज कर रहे है। इन चुनावों से पहले महाराष्ट्र में कई सारे राजनैतिक बदलाव देखने को मिल सकते है। महाराष्ट्र चुनावों में सभी दल अपनी अपनी ताकत बढ़ाने में लगे है। ऐसे में सबसे ज्यादा अटकले इस बात की है कि पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान टूटी पार्टिया एक हो सकती है। ये पार्टियां अलग अलग सियासी घरानों से जुड़ी है।

एनसीपी शरद गुट (Sharad Pawar) और अजीत गुट (Ajit Pawar) का हो सकता है विलय

महाराष्ट्र में बीएम सी चुनावों के पहले दो भागों में बंटी एनसीपी वापस एक हो सकती है। अजीत पंवार और शरद पंवार (Sharad Pawar) गुट को लेकर लगातार ये अटकलें जताई जा रही हैं। मुंबई विधानसभा चुनावों के बाद से ही परिवार के वापस एक होने की चर्चा सियासी गलियारों में बनी रही। इसके बाद जब दोनो नेता एक साथ एक मंच पर होते तो ये अटकलें और जोर पकड़ लेती। पिछले दिनों शरद पंवार (Sharad Pawar) के पोते रोहित ने ये बात साफ कर दी थी कि दोनो गुटों के बीच विलय का फैसला सुप्रिया सुले (Supriya Sule)करेंगी।

एक हो सकता है ठाकरे परिवार

इसी तरह महाराष्ट्र का ठाकरे परिवार पिछले सालों में बिखर गया । पहले शिवसेना का मतलब ठाकरे परिवार (Raj ThackeraUddhav Thackeray) होता था लेकिन शिवसेना में दो फाड़ हो गए और उद्धव ठाकरे Uddhav Thackeray)और राज ठाकरे (Raj Thackera)अलग अलग शिवसेना के मुखिया बने। महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद तो जैसे शिवसेना खत्म ही हो गई। महाराष्ट्र में उद्दव ठाकरे की सरकार गिरने के बाद अब असली शिवसेना के मुखिया उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) हैं। ऐसे में अब ठाकरे परिवार को एकसाथ लाने की कोशिश हो रही है। जिससे उनकी ताकत और विरासत दोनों ही बची रहेगी। क्योंकि इस बार बीएमसी चुनावों में ठाकरे परिवार के लिए चुनौतियां बहुत होंगी क्योंकि इस बार शिवसेना की कमान ठाकरे परिवार के पास नहीं है ऐसे में ठाकरे परिवार का वर्चस्व बीएससी में कमजोर हो सकता है।

अगर ग्राउंड की बात करें तो शिवसेना को मुंबई मे जमीनी स्तर पर उनके पार्षद ही जोड़ कर रखते है। ऐसे में अगर शिवसेना निचले स्तर पर कमजोर होती है तो ठाकरे परिवार का रसूख भी कम होगा।

क्यों एक होना चाहते है परिवार

एनसीपी के दो गुट हो या शिवसेना के सभी को एक बात समझ में आ गई है कि अगर पार्टी गुटों में बंटी रही तो ताकत भी कम होगी और रसूख भी। ठाकरे परिवार की पिछले दिनों राजनैतिक ताकत और रसूख दोनों कमजोर हुआ है। वहीं एनसीपी में अगर दोनों दल एक नहीं हुए तो उनमें फिर टूट हो सकती है। इनके विधायक पार्षद अगर बीजेपी या कांग्रेस जैसे दलों के साथ चले जाते है तो पार्टी कि ताकत और कमजोर होगी। (प्रकाश कुमार पांडेय)

Exit mobile version