BBC Documentary on Modi: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर जारी विवाद अब देश भर में फैल रहा है, जिसने हिंसक मोड़ भी ले लिया है।बैन किए जाने का समर्थन करने वाले कांग्रेस के नेता और एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने बुधवार सुबह पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने मुझसे ट्वीट डिलीट करने को कहा था, लेकिन मैंने इनकार कर दिया। क्या चाटुकारिता ही योग्यता का मापदंड बन गया है।’ उन्होंने मंगलवार दोपहर 1 बजे ट्वीट कर कहा था कि भारतीय संस्थानों पर BBC के विचारों को रखने का मतलब देश की संप्रभुता को कमजोर करना है।
- जेएनयू में प्रशासन की मनाही के बावजूद डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग पर अड़े वामपंथी छात्र
- मंगलवार यानी 24 जनवरी की रात बिजली कटी, जिसका आरोप वामपंथी छात्र प्रशासन पर लगा रहे हैं
- केरल के कुछ कॉलेजों में भी 24 जनवरी की देर शाम डॉक्यूमेंट्री सीरीज की स्क्रीनिंग की गई
- इसके विरोध में बीजेपी की यूथ विंग ने जमकर बवाल किया और मार्च भी निकाला
- राजधानी में पुलिस के साथ झड़प भी हुई और पुलिस ने कई राउंड वाटर कैनन चलाए
- इस हिंसक विरोध के दौरान कई कार्यकर्ताओं को आईं हैं
इसके साथ ही जेएनयू (JNU) एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। बीती रात यानी मंगलवार 24 फरवरी को जेएनयू के छात्र संगठनों के बीच जमकर बवाल हुआ और पथराव की भी खबरे आईं। प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट में रखकर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण को लेकर JNU में वामपंथी दल अड़े हुए थे। इसी मामले को लेकर कल देर रात कैंपस में बवाल होने की खबर है।
वामपंथी और कांग्रेस चाहते हैं कि स्क्रीनिंग हो
केरल में सत्तारूढ़ माकपा की यूथ विंग डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) ने स्क्रीनिंग का आयोजन किया था। बीजेपी इसके पुरजोर विरोध में थी, इसलिे बीजेपी कार्यकर्ताओं ने स्क्रीनिंग स्थल तक मार्च किया। पुलिस के रोकने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड्स हटाने की कोशिश भी की, जिसके बाद पुलिस को पानी की बौछारें चलानी पड़ीं। कार्यकर्ता-पुलिस भिड़ंत के बावजूद स्क्रीनिंग जारी रही।
पलक्कड़ और वायनाड जिलों से भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों की सूचना मिली है। देखा-देखी यूथ कांग्रेस ने भी 26 जनवरी के दिन डॉक्यूमेंट्री दिखाने का फैसला किया है। डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग पर बैन के इस फैसले को युवा कांग्रेस नेता अनिल के एंटनी का समर्थन मिला है। अनिल वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे हैं।
जानिए, अब तक डॉक्युमेंट्री विवाद में क्या हुआ
बीबीसी ने पीएम मोदी को निशाना बनाते हुए एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। इसको सरकार ने भारत में प्रदर्शित करने से रोक लगा दी। भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसे औपनिवेशिक मानसिकता से संचालित और पक्षपातपूर्ण डॉक्यूमेंट्री बताया। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इससे जुड़े हुए लोग और संगठन एक खास किस्म की सोच रखते हैं क्योंकि इसमें तथ्य और विषय को लेकर तटस्थता नहीं है।
विपक्षी पार्टियों को मिल गया मसला
विपक्षी पार्टियांसरकार पर हमलावर हो गईं। कांग्रेस ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को रोकने पर सरकार की आलोचना की और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को राजधर्म याद रखना चाहिए। सोमवार 23 जनवरी को JNU वामदलों के छात्र संगठन ने कैंपस में इस डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन को लेकर पैंफलेट बांटे। पिछले छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने भी विवादित डॉक्यूमेंट्री का पोस्टर शेयर किया।
आइशी घोष के इस पोस्टर को शेयर करने के बाद हरकत में आए जेएनयू प्रशासन ने एडवाइजरी जारी की। जेएनयू प्रशासन ने कहा कि छात्र-छात्राओं को सलाह है कि इस तरह के विवादित कार्यक्रम न करें। जो भी जो छात्र-छात्राएं ऐसा शेड्यूल बना चुके हैं, वे भी इसे रद्द कर दें। ऐसा न करने पर उन छात्र-छात्राओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कारवाई की जाएगी।
बावजूद इसके लेफ्ट छात्र संगठन कैंपस में आइशी घोष के नेतृत्व में इकट्ठा हुए और उन्होंने डाक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग करनी चाही। इस बात पर प्रशासन ने कथित तौर पर उस जगह पर बिजली काट दी। बिजली काटने पर लेफ्ट छात्र संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री का लिंक साझा कर दिया, और वहीं खड़े होकर मोबाइल से उस डॉक्यूमेंट्री को वहीं पर देखने की बात।
इसी विवाद के दौरान लेफ्ट संगठनों ने आरोप लगाया कि ABVP ने उनके ऊपर पत्थरबाजी कर दी है। हालांकि, जेएनयू के परिषद अध्यक्ष रोहित ने कहा कि उनके संगठन का इस झड़प से कोई कनेक्शन नहीं है। पूरे विवाद के बाद लेफ्ट छात्र संगठनों ने कैंपस से लेकर बसंत विहार थाने तक पैदल मार्च निकाला और प्रदर्शन किया। हालांकि, इस पूरे विवाद में अभी तक यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
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