अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में अब कुछ ही दिन बचे हैं। 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस भव्य आयोजन मे पीएम नरेन्द्र मोदी शामिल होंगे।
- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी
- इस पल को यादगार बनाने में जुटा ट्रस्ट
- श्रद्धालुओं को दिया जाएगा चांदी का सिक्का
- ब्रास को थाली और अंगवस्त्र भी प्रदान किये जाएंगे
- प्रसाद में मिलेगा देसी घी से बना 100 ग्राम का मोतीचूर का लड्डू
इस बीच, भव्य मंदिर में रामलला के विराजमान होने की खुशी को श्री राम मंदिर ट्रस्ट यादगार बनाने में जुटा है। इसके तहत प्राण- प्रतिष्ठा में बुलाए गए 7 हजार अतिथियों को प्रसाद के रुप में चांदी का सिक्का, ब्रास को थाली और अंगवस्त्र दिए प्रदान किये जाएंगे। चांदी के सिक्के के लिए अशोक सिंहल फाउंडेशन से मॉडल मांगे गए हैं। वहीं, अतिथियों को प्रसाद के रूप में देसी घी से बना मोतीचूर का लड्डू दिया जाएगा। 100 ग्राम के इस लड्डू पर चांदी का वर्क लगा होगा। लड्डू के करीब डेढ़ लाख पैकेट बनाए जा रहे हैं। जिसे 22 और 23 जनवरी को भक्तों को प्रदान किये जाएंगे। अयोध्या में 14 लाख ऐसे दीपक लगाए जाएंगे जिन्हें जलाना नहीं जाएगा लेकिन रोशनी पाकर जगमग हो उठेंगे। जबकि प्राण प्रतिष्ठा के दिन बजाने के लिए गुजरात से 600 किलो का सोने चांदी से मढ़ा नगाड़ा अयोध्या पहुंच गया है। इस नगाड़े पर सोने और चांदी को परत मढ़ी है। इसे बनाने में लोहे और तांबे का भी इस्तेमाल हुआ है। नगाड़े को बनाने वाले डगबर समाज के चार लोग इसे प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन मंदिर में बजाएंगे। ये नगाड़ा गुजरात से मध्य प्रदेश होते हुए अयोध्या पहुंचाया गया है। 22 जनवरी को इसकी गूंज श्रीराम मंदिर में सहित आसपास के दो किलोमीटर क्षेत्र में सुनी जा सकेगी।
अयोध्या नगरी पहुंचेंगे हर दिन तीन लाख श्रद्धालु
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यहां दर्शन के लिए आने वाले साल में प्रतिदिन तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। इसको ध्यान में रखते हुए अयोध्या के विकास की योजना बनाई गई है। इसके लिए कंबोडिया, यरूशलम और बेटिकन सिटी सहित विदेश के दूसरे प्रमुख शहरों और देश के तिरुपति और अमृतसर जैसे धार्मिक स्थानों पर व्यवस्था का अध्ययन किया है। अयोध्या के पुनर्विकास परियोजना के लिए प्रमुख योजनाकार दीक्षु कुकरेजा ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा अयोध्या आध्यात्मिक के साथ सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक वैश्विक पर्यटन स्थल बनने जा रहा है। लिहाजा इस धार्मिक नगरी को पर्यटन के साथ आर्थिक गतिविधियों के लिए एक बड़े केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। आने वाले तीन से चार साल में प्रतिदिन तीन लाख से अधिक श्रधालुओं के अयोध्या पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे बढ़ती आबादी ही नहीं पर्यटन की जरूरतों को समायोजित करने हेतु सड़क, पुल, सीवेज प्रणाली और दूसरे आधुनिक बुनियादी ढांचे का खाका तैयार किया है। प्रमुख योजनाकार की माने तो अयोध्या के पुनर्विकास में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक छवि से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसे संरक्षित रखा जाएगा। वहीं भीड़ को समायोजित करने के लिए भी कुशल भूमि उपयोग को बढ़ाया जाएगा।