महामारियों का इतिहास और इंसानी ताकत

महामारियों का इतिहास और इंसानी ताकत

री दुनिया इस वक्त कोरोना से जूझ रही है. कोरोना से जूझते हुए सब परेशान है कि आखिर होने क्या वाला है. कोरोना कब तक खत्म होगा और देश दुनिया के लोगों की जिंदगी कब पटरी पर आएगी. कोरोना खत्म हो जाएगा, लेकिन कोरोना के जाते-जाते इंसानी दुनिया का रहन-सहन तौर तरीके के साथ-साथ व्यापार और बाजार भी बदल जाए. जी हां हम बताते है आपको कि विश्व में जब-जब महामारी आई तब-तब कैसे-कैसे देशो के तौर तरीके बदले महामारी के बाद कई विश्व में ताकत बनकर उभरे

शुरूआत करते है जानवरो की महामारी से, जानवरो की महामारी जो अफ्रीका में हुई थी. इस महामारी को जानवरों का फ्लेग भी कहा गया है. ये महामारी 1888 -1897 के दौरान रही. इस महामारी से हजारों लाखों जानवरों की मौत हो गई थी, जिससे अफ्रीका के लोग खेती नहीं कर सके. हालांकी ये वायरस जानवरों से इंसानों में नहीं आता था. लेकिन खेती नहीं होने के कारण अनाज में कमी आई और अफ्रीका में लोगों की मौत भूख से होने लगी, उसी दौरान यूरोप ने अफ्रीका को अपना उपनिवेश बना लिया और खराब हालात के चलते अफ्रीका इसके लिए तैयार हो गया. इससे यूरोप की ताकत बढ़ी.

प्लेग महामारी 

इस महामारी ने दो बार पूरी दुनिया पर अटैक किया. इस महामारी से तीन से चार करोड़ लोगाें की मौत हुई. जो उस समय दुनिया की आधी आबादी हुआ करते थे. ये महामारी तकरीबन 800 साल बाद फिर लौटी 1347 में इस महामारी ने यूरोप में दस्तक दी और देखते-देखते दो करोड़ लोगाें की इससे मौत हो गई. उस समय भी इस महामारी से निपटने का कोई रास्ता नहीं था. सिवाए इसके की ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल रही है. उसके बाद समुद्री रास्तों से यूरोप आने वाले लोगों को 15 से तीस दिन तक दूर रखा जाता था. उनके रहने खाने की व्यवस्था वहां रखे जहाजों पर की जाती थी. इस अलग रखने वाली अवधि को क्वारेंटाइन कहा जाता था. जो आजकल बहुत सुनने में आ रहा है. इस महामारी से यूरोपिय देशों में करोडों की संख्या में लोगों की मौत हुई, जिससे इन देशों की आबादी कम हो गई. यूरोप में खेती में काम करने वाले मजदूरों की मौत के आंकडे बढते गए. ब्लेक दैत में सैकडों हजारों की संख्या में लोग मरे. महामारी खत्म होने के बाद जमीदारों को खेतों पर काम करने वाले लोगों की कमी पड़ गई. उसके बाद से यूरोपिय देशाें में सामंती प्रथा खत्म होने लगी और मजदूरों को रोज के काम का मुंह मांगा पैसा मिलने लगा. लेकिन साथ ही लागत बढ़ने से जमीदारों ने खेती के लिए नए-नए अविष्कार किए और व्यापार के लिए दूर-दूर तक गए.

आबादी कम होने और बचे लोगों की व्यापार को दूर-दूर तक फैलाने के कारण यूरोपिय देश विश्व शक्ति बनकर उभरने लगे. इसके बाद 300 साल बाद फ्लगे एक बार वापस लौटा 1665 में, फ्लैग ने लंदन में एक बार फिर पैर पसारे इस समय भी बीमार लोगों को जबरन घर के अंदर कैद रखा गया और देखते-देखते फ्लगे में लाखाें लोग मर गए. लंदन की आबादी का एक बडा हिस्सा फ्लैग की चपेट में आ गया. वहीं 1641 में फ्लेग से चीन पर तीन सदी तक राज करने वाले मिग राजवंश की जडे़ हिला दी. बीस से चालीस प्रतिशत आबादी खत्म हो गई. फ्लेग में देश के हालात बिगडे़ अकाल पडा और उसके बाद पडोस के राजाओं ने अटैक कर दिया. इस तरह चीन का इतिहास भी फ्लैग के चलते बदला.

चेचक के कारण परेशान हुआ पश्चिम

पंद्रहवी शताब्दी के अंत में अमेरिका उपनिवेशों को बढावा दे रहा था. लेकिन इस दौरान चेचक की महामारी ने अमेरिका और उससे जुडे़ देशों की वरदान जलवायु चेचक की महामारी जो ताकत बनी. अमेरिका में और जलवायु परिवर्तन की कई देशों का वर्तमान जो है यूरोप के विस्तार के बाद छह करोड आबादी केवल 60 लाख रह गई.

खसरा हैजा मलेरिया और काली खांसी जैसी बीमारियो के साथ चेचक ने अमेरिका की कमर तोड दी. आबादी कम होने के चलते खेती करने वाले भी कम हो गए. बीमारी की मार झेल रहे लोग दर्द खैफ के साये में थे. खेती नहीं होने से जमीन का एक बडा हिस्सा खाली हो गया और बड़े जंगल में तब्दील हो गया. जंगल बढने से वातावरण में कार्बनडाॅयआक्साइड कम हो गई. तापमान गिरा और खेती होने में दिक्कत आ गई. लेकिन बावजूद इसके अमेरिका का जनसंख्या इतनी कम हो चुकी थी कि इन देशों ने जल्दी से जल्दी खुद को आधुनिक किया और समय के साथ कई सारे अविष्कार किए और आज विकसित देश बनकर उभरे है.

हैजा 

19 वी सदी की शुरूआत में इंग्लैंड में हैजा फैला. हैजा के कहर में हजारों लोगों की जान चली गई. लेकिन हैजा फैलने के कारण पता लगते ही दूषित वाटर प्लांट को बंद करा दिया और हैजा पर काबू पाया गया. आज भी अमेरिका, इटली और चीन, जर्मनी जैसे ताकतवर देश करोना से परेशान है. ज्यादातर देशों में लाॅकडाइन के हालात है लेकिन बावजदू उसके काबू में नही है करोना.

कहते है हर सौ साल में एक महामारी आती है. लेकिन जबतक इंसान संभलता है, तब तक कई लोगों की मौत हो चुकी होती है. कहते है सभी महामारियों की तरह इस महामारी से भी विश्व के सारे देश उबर जाऐंगे. इस महामारी से उभरने के बाद कौन सा देश किस रफ्तार के साथ आगे बढता है वो तय करेगा कि कौन अब वैश्विक ताकत बनेगा. हाल फिलहाल तो कहा जा सकता है कि इस महामारी ने पर्यावरण की तंदरूस्ती को वापस लौटा दिया है. वातावरण से नदियों से प्रदूषण बहुत कम हुआ है.

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