जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच मनमुटाव को खत्म करना चाहता है। तीन प्रमुख मांगों को लेकर सचिन पायलट ने गहलोत सरकार को दिये अल्टीमेटम की तारीख 31 मई को समाप्त हो रही है।ऐसे में माना जा रहा है कि 31 मई के बाद राजस्थान की राजनीति में पारा हाई होने वाला है। राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर नजरें पायलट की ओर हो गई हैं।
- पायलट ने दिया है 31 मई तक का अल्टीमेटम
- खोज रहे गहलोत पायलट में सुलह का रास्ता
- राजस्थान कैबिनेट में हो सकता है फेरबदल
पायलट बन सकते हैं प्रदेशाध्यक्ष,क्या गहलोत मानेंगे?
राजस्थान में कांग्रेस हाईकमान सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच सुलह का फॉर्मूला तैयार करने में लगा हुआ है। चर्चा है कि फॉर्मूले के तहत सचिन पायलट को फिर से प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाने पर मंथन किया जा रहा है लेकिन सूत्र बताते हैं कि सीएम अशोक गहलोत इस ऑफर को लेकर चिंतित हैं और इसे मानने की संभावना नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर पायलट को पीसीसी अध्यक्ष बना दिया जाता है तो विधानसभा चुनाव में टिकट बांटने के उनके पास काफी अधिकार हो जाएंगे। ऐसे में पायलट द्वारा गहलोत खेमे के विधायकों का टिकट काटा जा सकता है। इसलिए 26 मई को दिल्ली में होने वाली बैठक स्थगित कर दी गई। आलाकमान गहलोत और पायलट दोनों को विश्वास में लेकर बैठक की नई तारीख तय करेगा। एक तरफ सचिन पायलट के 31 मई के अल्टीमेटम को लेकर कांग्रेस आलाकमान में खलबली मची हुई है। हाईकमान गहलोत और पायलट के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान को खत्म करने की पूरी कोशिश कर रहा है।
गोविंद सिंह डोटासरा को बना सकते हैं मंत्री
पार्टी सूत्रों के मुताबिक अगर सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाता है तो वर्तमान पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा को फिर से मंत्री पद की पेशकश की जाएगी। जिससे डोटासरा को हटाए जाने से जाट और किसान मतदाता नाराज न हों। वहीं विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी को डिप्टी सीएम पद का ऑफर दिया जा सकता है। पीसीसी में दो डिप्टी सीएम और दो कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए जा सकते हैं। वे चुनाव में विभिन्न जातीय समीकरणों को संतुलित करेंगे। राज्य कैबिनेट में फेरबदल होगा।
रंधावा बोले- जल्द सुलझा लेंगे यह मुद्दा
वहीं राजस्थान के एआईसीसी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का कहना है पार्टी जल्द ही गहलोत और पायलट के बीच के मुद्दों को सुलझा लेगी। पायलट की तीनों मांगों में से ज्यादातर को कमेटियां बनाकर और प्रस्ताव बनाकर दूर किया जाएगा। जो सिर्फ दिखावे के लिए होगा, ताकि यह संदेश जाए कि पायलट को नजरअंदाज नहीं किया गया है। असली लड़ाई सत्ता की है। कांग्रेस आलाकमान और तमाम नेता भी इस बात को बखूबी समझते हैं. जो तीन मांगें की गई हैं। वे दबाव बनाने का बहाना हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान के इस फॉर्मूले की पुष्टि नहीं हो सकी है।
खरगे कह सकते हैं पायलट से गहलोत का सहयोग करें
हाईकमान सचिन पायलट के सामने कुछ शर्तें भी रख सकते हैं। उनसे सीएम गहलोत के खिलाफ बयान देना पूरी तरह से बंद करने और सीएम के तौर पर सरकार में उनके नेतृत्व को स्वीकार करने को कहा जाएगा। उन्हें कांग्रेस सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाना होगा। सीएम गहलोत की महत्वाकांक्षी योजनाओं को राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर ही लागू किया गया है। इनमें महंगाई राहत शिविर, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस), सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य का अधिकार, खाद्य सुरक्षा प्रमुख हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, गहलोत वसुंधरा राजे के खिलाफ जांच की घोषणा करने के मूड में नहीं हैं। उनका कहना है कि विधानसभा चुनाव के लिए कम समय बचा है और इस तरह की जांच रिपोर्ट में अधिक समय लगेगा। एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने कहा कि खड़गे गहलोत में विश्वास करते हैं, लेकिन पायलट को भी नहीं खोना चाहते। इसलिए पैच-अप के लिए प्रयास जारी है। राजस्थान जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे, कांग्रेस के लिए एक उच्च-दांव वाली राजनीतिक लड़ाई है, जो गहलोत सरकार द्वारा सत्ता बनाए रखने के लिए लागू की गई सामाजिक कल्याण योजनाओं पर निर्भर है।