वकील और राजूपाल हत्याकांड के गवाह रहे उमेश पाल की हत्या के बाद से ही गैंगस्टर अतीक अहमद की माफियागीरी को खत्म करने का सिलसिला जो शुरू कर दिया गया था जो बदस्तूर अब भी जारी है। अतीक का नसीब देखिए, जब बेटे असद के एनकाउंटर में मारे जाने की खबर आई तब वह प्रयागराज की कोर्ट में खड़ा था, और जब असद को सुपर्दे खाक किया गया तो वह कब्रिस्तान से कुछ ही दूरी पर था, लेकिन बेटे के जनाजे को कंधा तक देना उसे नसीब नहीं हुआ। यूपी की योगी आदित्यानाथ सरकार ने पहले अतीक की संपत्तियों पर एक के बाद एक बुलडोजर चलाया। उन्हें ध्वस्त किया गया। ईडी को भरोसे में लेकर आर्थिक रुप से भी उस पर चोट की गई। अतीक ने डमी कंपनियों के नाम पर करोड़ों रुपये की काली कमाई को बदलने का काम किया था। ऐसे में अतीक को आर्थिक चोंट पहुंचने के लिए ईडी की छापामार कार्रवाई भी जारी है।
- अतीक के आतंक को मिट्टी में मिलाने की शुरुआत
- कसारी मसारी कब्रिस्तान में किया सुपुर्द ए खाक
- बेटे के जनाने को कंधा देना भी नहीं हुआ नसीब
- ईडी भी कर रही अतीक पर आर्थिक चोट
- उमेश पाल हत्याकांड का सरगना था असद
- असद ही था उमेश हत्याकांड का लीडर
इस बीच अतीक के बेटे असद का ही एनकाउंटर कर दिया जाता है। हालात ये हैं कि कभी वो वक्त भी था जब पूरे उत्तरप्रदेश में अतीक के नाम की तूती बोला करती थी। लेकिन हालात किस तरह बदलते हैं देखिए आज उसी माफिया के बेटे के असद के जनाजे में शामिल होने से लोग कतराते नजर आए। अतीक अहमद का तीसरे नंबर का बेटा था असद। जिसने दिन दहाड़े उमेश पाल की हत्या कर जाहिर तौर पर गुनाह किया और उसके खिलाफ पहली मर्तबा केस दर्ज हुआ जो आखिरी भी साबित हुआ। उमेश पाल हत्याकांड केवल असद ही नहीं। अतीक अहमद के कई गुर्गों के लिए मौत का सबब बना।
बचपन से ही तमंचों खेलता था असद
असद के बारे में बताते हैं कि वह दस साल की उम्र से ही फायरिंग करने लगा था। दरअसल असद ने बचपन से ही अपने घर में बम बारूद बनते देखा। जब बच्चे खिलौनों से खेलते हैं उन दिनों में वह तमंचे से खेला करता था। शुरू से ही उसने गॉड फॉदर के रूप में अपने पिता अतीक और चाचा अशरफ को देखा। उन्हीं की तरह से ही अपराध की दुनिया में ख्याति हासिल करना चाहता था। असद पढ़ाई में काफी होशियार तो था, लेकिन अपनी किशोरवस्था में पिता और चाचा की छाया बनी कि वकील बनने का सपना छोड़ शार्प शूटर बन गया।
असद को वकील बनाना चाहता था अतीक
प्रयागराज के लोग बताते हैं कि अतीक अपने बेटे असद को वकालत के पेशे में लाना चाहता था। इसके लिए उसे विदेश भेजने को भी तैयार था। असद को लंदन के एक कॉलेज में एडमीशन लेने का मौका भी मिला, लेकिन उसका पासपोर्ट नहीं बन सका, क्योंकि पिता अतीक अहमद और चाचा अशरफ के आपराधिक इतिहास की वजह से पासपोर्ट का आवेदन खारिज हो गया था। अब असद के शव को पोस्टमार्टम के बाद झांसी से प्रयागराज लाया गया यहां प्रयागराज के कसारी और मसारी कब्रिस्तान में उसे सुपुर्द ए खाक किया गया।
यूपी का सबसे संवेदनशील इलाका था चकिया मोहल्ला
प्रयागराज से सेवानिवृत्त होने वाले पुलिस अधिकारी बताते हैं जब अतीक जेल से बाहर था तब इलाहबाद जिसे अब प्रयागराज के नाम से जाना जाता है वहां के चकिया मुहल्ले से अधिक संवेदनशील कोई दूसरा इलाका नहीं था। वे कहते हैं कि एक सममय इलाहाबाद का ये चकिया मोहल्ला यूपी ही नहीं पूरे देश में जाना जाने लगा था। दरअसल इसकी वजह केवल और केवल गैंगस्टर अतीक अहमद ही था। हालांकि हकीकत में ऐसा नहीं था। अतीक अदमद के अपराध की की काली छाया तले अशरफ, अली और असद उसके आपराधिक कारोबार को आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे। सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी कहते हैं असद अपने बचपन के दिनों में पढाई में काफी होशियार हुआ करता था। बड़े होकर वकील बनने की उसकी तमन्ना थाी लेकिन गैंगस्टर पिता अतीक के जुर्म की ऐसी काली छाया उस पर पड़ी कि वह महज 19 साल की उम्र में शातिर अपराधी बन गया। इसी साल 24 फरवरी को प्रयागराज में गवाह उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के बाद से ही असद फरार चल रहा था। उस समय के सीसीटीवी में साफ दिख रहा था कि वह कैसे बेखौफ होकर खुले चेहरे के साथ हाथ में लोडेड पिस्टल लिए उमेश पाल का पीछा करते हुए उसके घर तक पहुंचा था। इस दौरान उसने फायरिंग भी की जो सीसीटीवी में कैद हो गई। इस ट्रिपल हत्याकांड को दौरान उसकी चाल-ढाल और फुर्ती से साफ झलक रहा था कि वह इस हत्याकांड को लीड कर रहा था। उसके इसी रूप को देखकर उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसके खिलाफ इनाम घोषित किया था।