राजस्थान की सियासत मे कुछ नया होने वाला है। ये सवाल इसलिए भी कि राजस्थान में एक मंच पर एक साथ अशोक गेहलोत और सचिन पायलट आए। मौका था राजस्थान कांग्रेस Rajsthan Congress के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि का। राजेश पायलट की 25 पुण्यितिथि पर दौसा में श्रद्दांजिल कार्यक्रम के भावनात्मक कम राजनैतिक ज्यादा हो गया। दरअसल इस कार्यक्रम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और सचिन पायलट समर्थकों की भीड राजेश पायलट को श्रद्दाजंलि देने पहुंची। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत Ashok Gehlot भी कार्यक्रम में आए। सालों बाद अशोक गेहलोत और सचिन पायलट एक साथ दिखाई दिए. इसी से अब सवाल है कि क्या दोनों के रिश्तों में जमी बर्फ पिछलने वाली है।
2020 के बाद साथ दिखे गेहलोत और पायलट
राजस्थान की सियासत में ये नजारा भी बड़ा है कि गेहलोत और पायलट एक साथ दिखाई दे रहे है। ये नजारा राजस्थान में लगभग पांच साल बाद दिखाई दिया। पिछले कई सालों से राजस्थान कांग्रेस Rajsthan Congress दो गुटों में बंटी हुई थी। अशोक गेहलोत गुट और सचिन पायलट गुट। दोनों ही गुटों में इतनी खींचतान थी कि एक बार सचिन पायलट ने सरकार को संकट में डाल दिया। सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों को लेकर मानेसर जा पंहुचे, लेकिन वो सरकार नहीं गिरा सके। इस घटनाक्रम के साथ सचिन पायलट Sachin Pilot कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से तो हटाए गए साथ ही सात उपमुख्यमंत्री पद से भी उनको हटना पड़ा। इसके बाद से कई मौकों पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत कई बार मानेसर कांड कहकर याद करते रहे हैं।
दोनो दिगग्जों को बीच सियासी बर्फ पिछलेगी
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट Rajesh Pilot की 25 वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम को बडे पैमाने पर करने की तैयारी की गई थी। इसके लिए सचिन पायलट ने कांग्रेस के विधायकों पदाधाकारियों को बुलाया । उन्होंने अशोक गेहलोत को जयपुर उनके निवास पर जाकर निमंत्रण दिया। इस पर अशोक गेहलोत न केवल दौसा पहुंचे बल्कि उन्होंने सोसळ मीडिया प्लेटफार्म पर अपने और राजेश पायलट के रिश्तों को याद करते हुए लिखा कि -1980 में हम दोनों एक साथ लोकसभा पहुंचे। उनका जाना पार्टी के लिए बड़ी क्षति है।
क्या राजस्थान कांग्रेस में सबकुछ ठीक है
अशोक गेहलोत और सचिन पायलट Rajesh Pilot के एक साथ एक मंच पर आने के बाद अब ये सवाल है कि क्या राजस्थान कांग्रेस में सबकुछ ठीकठाक चल रहा है। राजस्थान कांग्रेस के दो बड़े दिगग्जो के बीच सीज फायर कायम रहेगा। राजनैतिक जानकार इसके दो मायने निकाल रहे है एक तो ये कि अब आलाकमान को ये संदेश दिया जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस में अब सब ठीक है । क्या दोनों नेता पुरानी बाते भूलकर 2028 के लिए एकजुट होना चाहते हैं। बहरहाल आगे जो भी लेकिन ये तो तय है कि 11 जून के को राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर दोनों नेताओं का एक साथ एक मंच पर आना बहुत कुछ संदेश दे रहा है।