राजस्थान चुनाव,हार के बाद भी कांग्रेस में कायम है गहलोत की जादूगरी, खरगे ने इस समिति में किया शामिल

हार के बाद भी बड़ा गहलोत का कद

राजस्थान में हार के बाद भी पूर्व सीएम अशोक गहलोत का पार्टी में रुतबा कम नहीं हुआ है। लोकसभा चुनाव-2024 के मद्देनजर कांग्रेस ने पांच सदस्यों की एक राष्ट्रीय गठबंधन समिति का बनाई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गहलोत को भी बड़ी जिम्मेदारी दी है। इस कमेटी में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल, मोहन प्रकाश, मुकुल वासनिक और सलमान खुर्शीद के साथ राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत को भी शामिल किया गया है।

गांधी परिवार की पहली पसंद गहलोत ही बने हुए है

कमेटी के संयोजक की जिम्मेदारी मुकुल वासनिक को दी गई है। सियासी जानकार पहले कयास लगा रहे थे कि हार के बाद अशोक गहलोत को क्या जिम्मेदारी मिलेगी। कद घटेगा या बढ़ेगा। लेकिन जिस तरह से हार के बावजूद गहलोत का कद बढ़ा है। उससे साफ जाहिर है कि अब भी गांधी परिवार की पहली पसंद गहलोत ही बने हुए है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में कांग्रेस को इस बार हार का सामना करना पड़ा है। 199 में से 69 सीटें ही पार्टी को मिली है। इस बार भी अशोक गहलोत सरकार रिपीट नहीं कर पाए। पहले दो बार ऐसा हो चुका है। सियासी जानकार इस बार सरकार रिपीट होने की बात कह रहे थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं सियासी जानकारों का कहना है कि नए आदेश से साफ जाहिर हो गया है कि अशोक गहलोत नेता प्रतिपक्ष नहीं बनेंगे। इससे पहले भी गहलोत ने नेता प्रतिपक्ष का पद लेने से इंकार कर दिया था।

राजस्थान में कौन होगा संगठन का मुखिया गहलोत या पायलट

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद यह सवाल अब भी बरकरार है कि अशोक गहलोत या सचिन पायलट किसे संगठन की कमान सौंपी जाएगी। अब तक अनुभवी और राजनीतिक के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत ही इस मुकाबले में जीतते रहे हैं। अब राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद एक बार फिर यह सवाल खड़ा होता है कि क्या कांग्रेस पाटी में पीढ़ीगत बदलाव का वक्त आ गया है? क्या यही सही समय है जब सचिन को ‘पायलट’ बनाकर मरुभूमि राजस्थान में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और इसके पांच साल बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी का मौका दिया जाए?  दरअसल विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी अभी मंथन में जुटी है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि सरकार की लोकलुभावन योजनाओं और कई बड़े वादों के बावजूद पार्टी भाजपा से मुकाबले में पिछड़ कैसे गई। इस बीच पार्टी में फेरबदल पर भी चर्चा हो रही है। हालांकि, पार्टी ने अभी इस मुद्दे पर कोई संकेत नहीं दिया है कि मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व परिवर्तन होगा या अभी पार्टी मौजूदा व्यवस्था के तहत ही आगे बढ़ेगी। वहीं सूत्रों काकी माने तो राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर पार्टी फिलहाल फूंक-फूंककर कदम रखती नजर आ रही है। क्यों कि इस मुद्दे पर पहले भी कई मौकों पर पार्टी का अंदरुरी टकराव उपरी सतह पर आ चुका है। जिससे उसकी काफी किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी व्यापक चिंतन मनन के बाद इस पर कोई फैसला लेगी।

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